Sunday, December 12, 2010

रखैल' जैसे शब्द प्रयोग बंद करे सुप्रीम कोर्ट!


रखैल' जैसे शब्द प्रयोग बंद करे सुप्रीम कोर्ट!

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स्टॉक मारकेट की एक्सपर्ट सलाह.
नई दिल्ली। देश की सर्वोच्च अदालत का फैसला सर्वमान्य होता है, इसलिए वो एक पूज्यनीय और गरिमामय प्रतीक है लेकिन अगर उसे अपने इस गरिमामयी छवि को बरकरार रखना है तो उसे कुछ बातों का ख्याल रखना होगा, इसलिए उसे अपनी टिप्पणीयों में से अपशब्द जैसे शब्द हटाने होंगे । ये गुजारिश की है महिलाओं के लिए काम करने वाले संगठन ‘महिला दक्षता समिति’ ने।

जिसने उच्चतम न्यायालय से मांग की है कि वह अपने एक फैसले से ‘रखैल’, ‘नौकरानी’ और ‘एक रात का संबंध’ जैसी टिप्पणियां हटाएं क्योंकि यह महिलाओं का अपमान करने वाली हैं। देश की एकमात्र महिला अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल इंदिरा जयसिंह ने 22 अक्तूबर को न्यायमूर्ति मार्कंडेय काटजू और न्यायमूर्ति टी एस ठाकुर की खंडपीठ से कहा था कि उन्हें अपने फैसले से ये शब्द हटाने ही होंगे।

पढ़े : 'लिव इन रिलेशन' फैसले में कैसे आया 'रखैल' शब्द 

इंदिरा की इस टिप्पणी के बाद संगठन ने यह समीक्षा याचिका दायर की है। वैवाहिक विवाद संबंधी एक याचिका का निपटारा करते हुए पीठ ने कहा था कि अगर महिला ‘रखैल’ है, शारीरिक संबंधों के उद्देश्य के लिए रखी गई एक ‘नौकरानी’ है या उस महिला और पुरूष के बीच सिर्फ ‘एक रात का संबंध’ बना है तो आपराधिक दंड संहिता की धारा 125 और घरेलू हिंसा अधिनियम 2005 के तहत उस महिला को गुजारा भत्ता नहीं मिल सकता। याचिका में कहा गया है कि रखैल जैसे शब्दों का इस्तेमाल महिलाओं के लिए अपमानजनक है, जिसे हटाया जाना चाहिए।
English summary
Mahila Dakshta Samiti, an NGO working for the cause of women, has asked the Supreme Court to expunge its remarks like "keep", "one night stand" and "servant" made in a judgement, saying it was highly derogatory and insulting to females.

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