प्रस्तुति-- हुमरा असद
मांड गायन को नई ऊंचाइयां देने वाली अल्लाह जिलाई बाई, उस्ता कला के महारथी मोहम्मद हनीफ, साहित्यकार चिंतक नंदकिशोर आचार्य, हरीश भादानी व मालचंद तिवाड़ी, शूटर डा करणी सिंह, फुटबालर मगन सिंह राजवी, अर्थशास्त्री विजयशंकर व्यास, कार्टूनिस्ट सुधीर तैलंग ….. इन कुछ हस्तियों में एक समानता यह भी है कि ये सभी बीकानेर से हैं. पद्मश्री से लेकर अर्जुन अवार्डधारी.. अपने अपने क्षेत्र के महारथी… जिन्होंने ऐतिहासिक बीकानेर शहर को नित नई पहचान दी और अपनी विद्वता या प्रतिभा की कूची से इसके कैनवास पर नए रंग भरे.
थार के सबसे पुराने, ऐतिहासिक और घूमने लायक शहरों में से एक शहर है बीकानेर. उत्तर पश्चिमी राजस्थान का आखिरी संभाग मुख्यालय और इस सिरे पर अंतिम प्रमुख रियासत का केंद्र भी. एक ऐसा जीवंत शहर जो आज भी रम्मत जैसी अपनी लोकरंजक परंपराओं के लिए जाना जाता है या जो अपनी पाटा संस्कृति के लिए चर्चित है. ऐतिहासिक धरोहर के रूप में जहां जूनागढ़ पैलेस जैसी आलीशान इमारत है तो देश के सबसे समृद्ध अभिलेखागारों में से एक अभिलेखागार भी.
लालगढ़ पैलेस जाने वाली रोड पर चलें या सिविल लाइंस क्षेत्र में सुबह सुबह घूमें तो लगता है कि वास्तव में किसी सुनियोजित एेतिहासिक शांत शहर की गलियों में घूम रहे हैं. हेरीटेज श्रेणी के दो होटल लक्ष्मीनिवास और लालगढ़ पैलेस साथ साथ ही हैं. इनके दालान में मोर घूमते दिखते हैं. यहां मोर की पीहू पीहू और नाळ हवाई अड्डे से उड़ान भरते लड़ाकू विमानों की घर्र घर्राहट एक साथ सुनी जा सकती है.
यहां सिविल लाइंस इलाके में बुजुर्गों के लिए विशेष पार्क है. इस बड़े से पार्क में खूब हरियाली, पेड़ पौधे हैं. बुजुर्गों के घूमने के लिए पैदल पथ भी बना हुआ है. बताते हैं कि सुबह शाम यहां खूब लोग जमा रहते हैं.
जूनागढ पैलेस में लैला मजनूं से लेकर श्रत्रिय तक अनेक फिल्मों की शूटिंग हुई और यह किला अपने प्रोल यानी मुख्य द्वारों के लिए भी चर्चित है… कर्ण प्रोल, रतन प्रोल, सूरज प्रोल आदि. इसी तरह यहां वाड़े (या बाड़े अथवा इलाके?) हैं जैसे जोशीवाड़ा व तेलीवाड़ा.
इस शहर के इतिहास और यहां की हस्तियों पर तो अनेकानेक किताबें लिखी जा चुकी हैं पर एक पर्यटक और शोधार्थी के लिहाज से बात करें तो बेहतरीन जगह है बीकानेर. देखने घूमने के लिए जूनागढ पैलेस, थोड़ी दूर करणीमाता का मंदिर, शोध के लिए एक सराहनीय समृद्ध अभिलेखागार, ठहरने के लिए अच्छे होटल और धर्मशालाएं, यातायात के लिए रेल और बेहतरीन बस सेवाएं!
बीकानेर शहर में अभी एक ही फ्लाईओवर है जिसपर गुजरती सड़क रानी बाजार की ओर निकल जाती है. रानीबाजार यहां का सबसे बड़ा ओर आधुनिक बाजार है जहां कई माल्स नजर आने लगे हैं. यहां दूसरा फ्लाईओवर गजनेर रोड पर बन रहा है. चर्चित केईएम रोड है तो सब्जी और परचून का फड़ बाजार भी. शिक्षा, शोध, इतिहास, खेल .. बीकानेर ने खूब नाम कमाया है. मांड की विख्यात गायिका अल्लाह जिलाई बाई तो इस शहर के उस हिस्से की बात है जो पर्यटक और शोधार्थी के लिहाज से मायने रखता है. यहां के आमजीवन का शेष हिस्सा तो बहुत व्यापक और गहरा है.
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Posted in गांव- गुवाड़
बीकानेर की जानकारी ऐसी है जैसे गागर में सागर। फिर भी कुछेक शब्दों में समेटा गया यह नक्शा कुछ अधूरा लगता है। बीकानेर के बारे में जानकारी तब तक अधूरी है जब तक अंदरुनी शहर के बारे में, कोटगेट, गोगागेट, नत्थूसर गेट और जस्सूसर गेट के बारे में न लिखा जाए। चार दरवाजे और बारह बारियों वाले इस परकोटे के भीतर रियासत काल से एक बड़ा इतिहास सिमटा हुआ है। आपकी अगली यात्रा में कुछ और बातें होंगी। वैसे बीकानेर आएं तो यहां कुछ ऐसे लोगों से भी मिलाउंगा जो बाहर के हैं और बीकानेर के बारे में हमसे ज्यादा जानते हैं। और हां तैस्सीतोरी उन पर तो ओम थानवीजी पूरी सीरीज लिख चुके हैं।
अगली पोस्ट में उन सबको समेटने का प्रयास करना। वैसे बीकानेर की धूल ही सबसे ज्यादा बिकती है देश में। उसके बाद नम्बर आता है जिप्सम, भुजिया और रसगुल्लों का :)
at 11:40 अपराह्न
– Vinod Nokhwal,
Pilibangan(Raj.)
at 12:11 अपराह्न
at 12:46 अपराह्न
at 5:48 अपराह्न
at 2:00 अपराह्न
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