प्रस्तुति-- निम्मी नर्गिस, वसीम शेख
वर्धा
बढ़ते मोटापे से परेशान लोगों को सबसे आम सलाह यह मिलती है कि उन्हें आलू और चावल जैसी चीजों से दूर रहना चाहिए. इससे वजन तो कम होता दिखता है लेकिन करीब आती मौत नहीं दिखती.। इस चक्कर में आदमी अपनी उम्र से खिलवाड़ करने लग जाता है।
बहुत सारे मामलों में पाया गया है कि ज्यादा कार्बोहाइड्रेट वाली चीजें
खाने और वजन बढ़ने में सीधा नाता है. इसलिए जो लोग जल्दी से अपना वजन कम
करना चाहते हैं, वे आलू और चावल जैसी चीजें खाना तुरंत बंद कर देते हैं.
बहुत लोगों को इससे काफी फायदा भी होता है.
लेकिन ऑस्ट्रिया के रिसर्चर बताते हैं कि शरीर में अगर कार्बोहाइड्रेट की
कमी हो तो इससे शरीर बहुत सी बीमारियों का घर बन जाता है और बीमारियां
इंसान को कमजोर बना कर मौत को भी जल्दी न्यौता देती हैं.
रिसर्चरों ने इन नतीजों पर पहुंचने के लिए 900 चूहों पर परीक्षण किए. इन सैकड़ों चूहों से डायटिंग करवाई गई. इसके दौरान चूहों के अलग अलग समूहों को अलग अलग तरह का खाना दिया गया. इनके भोजन में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट और फैट या वसा की अलग अलग मात्राएं थीं. चूहों को जिस तरह का खाना मिला उसका सीधा संबंध उनकी उम्र के साथ दिखाई दिया. इन चूहों का जीवनकाल 100 हफ्तों से लेकर 150 हफ्तों के बीच दर्ज किया गया. कौन सा चूहा कितना लंबा जीता है, इसे उसके भोजन में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट और फैट के अनुपात के साथ जोड़कर देखा गया.
बुढ़ापे में दिखता है असर
खाने में पोषक तत्वों के संतुलन और शरीर की ऊर्जा की जरूरतों को सेहत, बुढ़ापे और जीवनकाल के साथ जोड़कर देखने वाली अपनी तरह की यह पहली स्टडी है. सिडनी यूनिवर्सिटी में जराविज्ञान या बुढ़ापे के बारे में शोध करने वाले डेविड ले कुटुअर बताते हैं कि कार्बोहाइड्रेट से भरपूर खाना खाने और मांस और बाकी प्रोटीन से भरी हुई खाने की चीजों की मात्रा कम करने से लोग लंबा और स्वस्थ जीवन जी सकते हैं. उन्होंने 'सेल मेटाबोलिज्म' नाम के जर्नल में प्रकाशित इस स्टटी को लिखने में ऑस्ट्रियाई रिसर्चरों की मदद की है. कुटुअर कहते हैं, "कम प्रोटीन और ज्यादा कार्बोहाइड्रेट वाले आहार का सीधा संबंध शरीर में ग्लूकोस की बेहतर सहनशीलता, कम रक्तचाप और कोलेस्ट्रॉल के साथ दिखता है."
जिन चूहों पर रिसर्च किया गया वे जब अपनी अधेड़ उम्र में पहुंचे तो उनमें एक खास बात दिखाई दी. जो अधेड़ चूहे ज्यादा प्रोटीन वाला खाना खा रहे थे उनपर खाने का बुरा असर पड़ रहा था. कुटुअर बताते हैं, "हमारे जीवविज्ञान ने हमें वृद्धि और प्रजनन के लिए ही ऐसा बनाया है. जब हम बूढ़े होने लगते हैं तो चीजें बदल जाती है." स्टडी में पाया गया कि जिन चूहों को ज्यादा प्रोटीन वाला खाना मिला वे दुबले पतले थे. लेकिन उनकी सेहत बुरी थी और वे जल्दी मर गए. इसलिए कम से कम वैज्ञानिकों की तो यही सलाह होगी कि खुद को दुबला पतला रखने के लिए भूखा ना मारें.
आरआर/आईबी (डीपीए)
रिसर्चरों ने इन नतीजों पर पहुंचने के लिए 900 चूहों पर परीक्षण किए. इन सैकड़ों चूहों से डायटिंग करवाई गई. इसके दौरान चूहों के अलग अलग समूहों को अलग अलग तरह का खाना दिया गया. इनके भोजन में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट और फैट या वसा की अलग अलग मात्राएं थीं. चूहों को जिस तरह का खाना मिला उसका सीधा संबंध उनकी उम्र के साथ दिखाई दिया. इन चूहों का जीवनकाल 100 हफ्तों से लेकर 150 हफ्तों के बीच दर्ज किया गया. कौन सा चूहा कितना लंबा जीता है, इसे उसके भोजन में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट और फैट के अनुपात के साथ जोड़कर देखा गया.
बुढ़ापे में दिखता है असर
खाने में पोषक तत्वों के संतुलन और शरीर की ऊर्जा की जरूरतों को सेहत, बुढ़ापे और जीवनकाल के साथ जोड़कर देखने वाली अपनी तरह की यह पहली स्टडी है. सिडनी यूनिवर्सिटी में जराविज्ञान या बुढ़ापे के बारे में शोध करने वाले डेविड ले कुटुअर बताते हैं कि कार्बोहाइड्रेट से भरपूर खाना खाने और मांस और बाकी प्रोटीन से भरी हुई खाने की चीजों की मात्रा कम करने से लोग लंबा और स्वस्थ जीवन जी सकते हैं. उन्होंने 'सेल मेटाबोलिज्म' नाम के जर्नल में प्रकाशित इस स्टटी को लिखने में ऑस्ट्रियाई रिसर्चरों की मदद की है. कुटुअर कहते हैं, "कम प्रोटीन और ज्यादा कार्बोहाइड्रेट वाले आहार का सीधा संबंध शरीर में ग्लूकोस की बेहतर सहनशीलता, कम रक्तचाप और कोलेस्ट्रॉल के साथ दिखता है."
जिन चूहों पर रिसर्च किया गया वे जब अपनी अधेड़ उम्र में पहुंचे तो उनमें एक खास बात दिखाई दी. जो अधेड़ चूहे ज्यादा प्रोटीन वाला खाना खा रहे थे उनपर खाने का बुरा असर पड़ रहा था. कुटुअर बताते हैं, "हमारे जीवविज्ञान ने हमें वृद्धि और प्रजनन के लिए ही ऐसा बनाया है. जब हम बूढ़े होने लगते हैं तो चीजें बदल जाती है." स्टडी में पाया गया कि जिन चूहों को ज्यादा प्रोटीन वाला खाना मिला वे दुबले पतले थे. लेकिन उनकी सेहत बुरी थी और वे जल्दी मर गए. इसलिए कम से कम वैज्ञानिकों की तो यही सलाह होगी कि खुद को दुबला पतला रखने के लिए भूखा ना मारें.
आरआर/आईबी (डीपीए)
- तारीख 18.03.2014
- कीवर्ड वजन, उम्र, कार्बोहाइड्रेट, वसा, फैट, खाना, मोटापा, जीवनशैली
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