Tuesday, December 1, 2015

जहां पूजा निषेध है




प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर उत्तराखंड का पिथौरागढ जिला अपनी सौंदर्यता के लिये जाना जाता हैं। छोटे कश्मीर के नाम से प्रसिद्ध पिथोरागढ में कई अमूल्य धरोहर हैं, जिन्हे देखकर रोमांचित व आश्चर्यचकित हुये बिना नही रहा जाता। पिथोरागढ के तहसील डीडी हाट में राम गंगा के निकट स्थित एक शिव मंदिर हैं, यह छोटा सा शिव मंदिर कई रहस्यों से जुडा हुआ हैंं।
माना जाता हैं कि 12 वींं सदी में बने इस मंदिर का सबसे बडा रहस्य हैं, कि यह मंदिर एक व्यक्ति के द्वारा एक हाथ से बनाया गया हैं, वो भी सिर्फ एक रात में। इस मंदिर को अत्यधिक खुबसूरती के साथ तरासा गया हैं। की इसे देखने वाले मंत्र मुग्ध हो जाये। एक और रहस्य की बात यह हैं कि इस मंदिर को सिर्फ एक पत्थर से बनाया गया हैं। यहां तक की इस मंदिर में स्थापित शिव लिंग के लिये भी इसी पत्थर का स्तेमाल किया गया हैं। इसी कारण इस मंदिर का नाम एक हथिया देवाल पडा।
कहा जाता हैं, कि इसे मल्ल शासकों द्वारा बारहवीं शताब्दी में बनाया गया था। जिस व्यक्ति ने इसे बनाया था राजा ने यह सोचकर उसके हाथ कटवा दिये जिससे की ऐसा मंदिर दुबारा न बन सके, ऐसा माना जाता हैं, की इस वजह से शिव इतने क्रोधित हुये की उन्होने राजा का वंश तत्काल समाप्त कर, शिवलिंग का मुहॅ मृत्यु दिशा (दक्षिण) की तरफ कर दिया। शिव लिंग के विपरीत दिशा में होने के कारण यहां पूजा अर्चना करना निषेध हैं।
इतिहास कारों का मानना हैं कि इस मंदिर की स्थापत्य कला नागर और लैटिन शैली की है। इस तरह का हस्तशिल्प मंदिर भारत में अन्यत्र कहीं नजर नहीं आता।

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