लोक आस्था का महापर्व चैती छठ 10 अप्रैल से, 13 को होगा समापन | ||||||
| ||||||
|
लोक आस्था का महापर्व चैती छठ 10 अप्रैल रविवार से शुरू होकर 13 अप्रैल बुधवार तक मनाया जाएगा.
यह सत्य ही कहा जाता है कि भारत पर्वों, व्रतों, परम्पराओं और रीति-रिवाजों का देश है. भारत के अधिकाधिक पर्व अपने साथ किसी न किसी व्रत अथवा पूजा का संयोजन किए हुए हैं. ऐसे ही त्योहारों की कड़ी में पूर्वी भारत में सुप्रसिद्ध छठ पूजा का नाम भी प्रमुख रूप से आता है. लोक आस्था का महापर्व चैती छठ 10 अप्रैल रविवार से शुरू होकर 13 अप्रैल बुधवार तक मनाया जाएगा. जिसकी तैयारी घरों में शुरू हो चुकी है.
इस पर्व के नाम पर विचार करें तो ज्ञात होता है कि इस पर्व के तिथिसूचक के अपभ्रंश रूप को ही इस पर्व की संज्ञा के रूप में अपनाया गया है. जैसे कि इस पर्व को मुख्य रूप से इसकी षष्ठी तिथि को होने वाली सूर्यदेव की पूजा व अर्घ्य के लिए जाना जाता है. इस प्रकार षष्ठी तिथि के विशेष महत्व के कारण उसका अपभ्रंश छठ के रूप में हमारे सामने आता है.
यूं तो इस पर्व में देवता के रूप में सूर्यदेव की ही प्रतिष्ठा है, पर तिथि के कारण ये छठ नाम से प्रसिद्ध हो गया है. छठ पर्व वर्ष में दो बार चैत्र और कार्तिक मास में मनाया जाता है. पर इनमें तुलनात्मक रूप से अधिक प्रसिद्धि कार्तिक मास के छठ की ही है.चैत्र शुक्लपक्ष षष्ठी पर मनाए जाने वाले छठ पर्व को चैती छठ कहते हैं, जिसे महिला व पुरुष दोनों अपने परिवार की सुख-समृद्धि और मनोवांछित फल प्राप्ति के लिए मनाते हैं.
चार दिवसीय छठ पर्व के पहले दिन 10 अप्रैल को नहाय खाय है. वहीं, दूसरे दिन 11 अप्रैल को खरना है. इस दिन व्रती दिनभर उपवास कर शाम में सूर्यास्त के बाद भगवान को रोटी-खीर सहित अन्य चीजें अर्पित करेंगी. 12 अप्रैल को व्रती द्वारा अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा. वहीं, 13 अप्रैल को उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देने के साथ इस महापर्व का समापन होगा.
यह पर्व सूर्य देव का है, जिसे लोग पूरी निष्ठा से मनाते हैं और पूजा के दौरान सभी नियमों का पालन करते हैं.
छठ पूजा का शुभ मुहूर्त
10 अप्रैल : नहाय खाय : सुबह 9.41 बजे के बाद
11 अप्रैल : खरना : शाम 5.40 से 7.58 बजे तक
12 अप्रैल : पहला अर्घ्य : शाम 5.40 बजे
13 अप्रैल : दूसरा अर्घ्य : सुबह 5.15 बजे
यह सत्य ही कहा जाता है कि भारत पर्वों, व्रतों, परम्पराओं और रीति-रिवाजों का देश है. भारत के अधिकाधिक पर्व अपने साथ किसी न किसी व्रत अथवा पूजा का संयोजन किए हुए हैं. ऐसे ही त्योहारों की कड़ी में पूर्वी भारत में सुप्रसिद्ध छठ पूजा का नाम भी प्रमुख रूप से आता है. लोक आस्था का महापर्व चैती छठ 10 अप्रैल रविवार से शुरू होकर 13 अप्रैल बुधवार तक मनाया जाएगा. जिसकी तैयारी घरों में शुरू हो चुकी है.
इस पर्व के नाम पर विचार करें तो ज्ञात होता है कि इस पर्व के तिथिसूचक के अपभ्रंश रूप को ही इस पर्व की संज्ञा के रूप में अपनाया गया है. जैसे कि इस पर्व को मुख्य रूप से इसकी षष्ठी तिथि को होने वाली सूर्यदेव की पूजा व अर्घ्य के लिए जाना जाता है. इस प्रकार षष्ठी तिथि के विशेष महत्व के कारण उसका अपभ्रंश छठ के रूप में हमारे सामने आता है.
यूं तो इस पर्व में देवता के रूप में सूर्यदेव की ही प्रतिष्ठा है, पर तिथि के कारण ये छठ नाम से प्रसिद्ध हो गया है. छठ पर्व वर्ष में दो बार चैत्र और कार्तिक मास में मनाया जाता है. पर इनमें तुलनात्मक रूप से अधिक प्रसिद्धि कार्तिक मास के छठ की ही है.चैत्र शुक्लपक्ष षष्ठी पर मनाए जाने वाले छठ पर्व को चैती छठ कहते हैं, जिसे महिला व पुरुष दोनों अपने परिवार की सुख-समृद्धि और मनोवांछित फल प्राप्ति के लिए मनाते हैं.
यह पर्व सूर्य देव का है, जिसे लोग पूरी निष्ठा से मनाते हैं और पूजा के दौरान सभी नियमों का पालन करते हैं.
छठ पूजा का शुभ मुहूर्त
10 अप्रैल : नहाय खाय : सुबह 9.41 बजे के बाद
11 अप्रैल : खरना : शाम 5.40 से 7.58 बजे तक
12 अप्रैल : पहला अर्घ्य : शाम 5.40 बजे
13 अप्रैल : दूसरा अर्घ्य : सुबह 5.15 बजे
No comments:
Post a Comment