*रा धा/ध: स्व आ मी!
27-12-23- आज शाम सतसंग में पढ़ा गया बचन- कल से आगे:-
(22.12.31 मंगल का तीसरा भाग)-
कल 6 शादियां होंगी। फरीकैन (पक्षकार गण) ने जेवर व कपडे दिखलाये। शुक्र है कि अब सतसंगिन बहनों को समझ आ गई है कि दयालबाग की साख्ता (निर्मित ) अशिया (वस्तुएं ) शादी में देने से अपना व कुल संगत का भला है।
प्रेमी भाई जयन्ती प्रसाद एम० ए० ने अपनी दुख्तर (पुत्री) को करीबन सभी कपडे दयालबाग के बुने हुए दिये हैं। और दूसरे असहाब (लोगों) ने भी दयालबाग के कपडों व जेवरों की काफ़ी तादाद इस्तेमाल की है। सुनहरी फाउण्टेनपेन, ग्रामोफोन, बेशक़ीमत (बहुमूल्य ) सुनहरी साडिया, तिलाई (स्वर्ण) जेवर ऐसी चीज़े हैं जो दयालबाग में साख्त होती हैं और मुकर्ररह (नियत) दामों पर बिकती हैं और जिनके खरीदार को किसी किस्म के धोखे का एहतिमाल (आशंका) नहीं है।
जेवरात के लिये अभी एक नामी कारीगर कलकत्ता से बुलाया गया है। उसकी मदद से उम्मीद है कि जेवरात का काम खूब चमकेगा। लोग नहीं जानते बेईमान सुनार उन्हें टाके व मिलावट के जरीये कैसी बेरहमी से लूटते हैं
दयालबाग में इस सीगे (विभाग) के तरक़्क़ी करने से सतसंगी भाइयों को हर साल हज़ारों रुपये की बचत रहेगी। क्रमशः-------- 🙏🏻रा धा/ध: स्व आ मी🙏🏻 रोजाना वाकिआत-परम गुरु हुज़ूर साहबजी महाराज!*
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