आठ सौ साल से झुकी हुई है एक मीनार
Friday, Nov 9 2012 2:31PM IST
नई दिल्ली। इस संसार में कई आश्चर्यजनक वस्तुएं हैं, जिनमें पीसा की मीनार सबसे अधिक आश्चर्यजनक है। यूरोप महाद्वीप के दक्षिण में इटली बड़ा ही मनोहर देश है। इसी देश में पीसा नगर है। इस नगर में जमीन की ओर झुकी हुई एक बहुत बड़ी मीनार है।
इसका झुकाव 13 फुट है। इसे देखकर अचरज होता है कि सैकड़ों वर्ष पहले बनी हुई यह इतनी बड़ी मीनार झुकी हालत में कैसे खड़ी है।
यह मीनार आज से 800 वर्ष पूर्व बनी थी। इसे पीसा के निवासियों ने बड़े ही चाव से बनाया था। वे अपने नगर में इटली के संसार-प्रसिद्ध सुंदर नगर वेनिस के घंटाघर से भी बढ़िया मीनार बनाने के इच्छुक थे, किंतु दैवयोग से यह मीनार झुक गई। आज तक यह उसी हालत में ज्यों की त्यों खड़ी है। वेनिस का घंटाघर तो एक बार गिर भी चुका है।
यह मीनार लड़की के लट्ठों को जमीन में गाड़कर उनके ऊपर बनाई गई है। मीनार थोड़ी ही बनने पाई थी कि एक ओर धरती में धंसनी शुरू हो गई, फिर भी इसका बनाना बंद नहीं किया गया। यह मीनार बहुत ऊंची ही नहीं है, वरन बहुत सुंदर भी है। इसका बाहरी भाग संगमरमर का बना हुआ है।
इस मीनार का महत्व और भी अधिक हो गया है, क्योंकि इस विश्वविख्यात इटालियन ज्योतिषी गैलीलियो ने आज से कोई 300 वर्ष पूर्व अपनी विद्या का प्रयोग किया था। गैलीलियो पीसा में प्रोफेसर थे। उनसे 2000 वर्ष पूर्व इटली में एक और संसार-प्रसिद्ध विद्वान हो चुके थे, जिनका कहना था, ''यदि हम एक ही सामग्री के बने हुए भिन्न-भिन्न बोझ के दो गोले लें और उन गोलों को एक पृथ्वी पर गिराएं तो भारी गोला पहले जमीन पर पहुंचेगा।''
2000 वर्ष तक सभी लोग इस सिद्धांत को सत्य मानते रहे, किंतु गैलीलियो ने कहा कि नहीं, भारी और हल्के दोनों ही गोलेएक साथ जमीन पर पहुंचेंगे। लोग गैलीलियों का मजाक उड़ाने लगे लेकिन वह हताश नहीं हुए।
उन्होंने एक दिन पीसा विश्वविद्यालय के प्रोफेसरों और छात्रों को एकत्र किया और अपना प्रयोग दिखलाने के लिए हाथ में दो गोले लेकर पीसा की मीनार के ऊपर चढ़ गए। एक गोले का बोझ दस पौंड था, दूसरे का एक पौंड। गैलीलियो ने मीनार पर दोनों गोले एक साथ गिराए और दोनों एक ही साथ जमीन पर आकर गिरे। फिर तो लोगों ने गैलीलियो की बड़ी प्रशंसा की किंतु इसी के साथ उन पर एक मुसीबत भी आई।
कुछ लोग गैलीलियो से बुरी तरह चिढ़ गए, इसलिए कि उन्होंने पूर्व प्रचलित सिद्धांत को असत्य सिद्ध कर दिखाया था। विरोधियों ने गैलीलियो के व्याख्यानों में गड़बड़ी पैदा करनी शुरू कर दी। विवश होकर गैलीलियो को पीसा नगर छोड़कर अन्यत्र जाना पड़ा।
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