मुक्त ज्ञानकोष विकिपीडिया से
गोपाल दास 'नीरज' काव्य पाठ करते हुए नीरज | |
उपनाम: | 'नीरज' |
---|---|
जन्म: | 4 जनवरी 1925 ग्राम पुरावली, जिला इटावा, उत्तर प्रदेश, भारत |
कार्यक्षेत्र: | कवि सम्मेलन, 50 वर्षों से निरन्तर मंच पर काव्य पाठ |
राष्ट्रीयता: | भारतीय |
भाषा: | हिन्दी |
काल: | बीसवीं शताब्दी |
विधा: | गद्य, पद्य, गीत |
विषय: | गीतकार, फ़िल्म |
साहित्यिक आन्दोलन: | काव्य मंचों पर साहित्यिक रचना की प्रस्तुति |
प्रमुख कृति(याँ): | दर्द दिया है (पुरस्कृत), आसावरी (सचित्र), मुक्तकी (सचित्र),लिख-लिख भेजत पाती (पत्र संकलन) पन्त-कला, काव्य और दर्शन (आलोचना) |
गोपालदास नीरज (अंग्रेजी: Gopaldas Neeraj, जन्म: 4 जनवरी 1925 ,ग्राम: पुरावली, जिला इटावा, उत्तर प्रदेश, भारत), हिन्दी साहित्य के लिये कॉलेज में अध्यापन से लेकर कवि सम्मेलन के मंचों पर एक अलग ही अन्दाज़ में काव्य वाचन और फ़िल्मों में गीत लेखन के लिये जाने जाते हैं। वे पहले व्यक्ति हैं जिन्हें शिक्षा और साहित्य के क्षेत्र में भारत सरकार ने दो-दो बार सम्मानित किया, पहले पद्म श्री से, उसके बाद पद्म भूषण से। यही नहीं, फ़िल्मों में सर्वश्रेष्ठ गीत लेखन के लिये उन्हें लगातार तीन बार फिल्म फेयर पुरस्कार भी मिला।
नीरज जी से हिन्दी संसार अच्छी तरह परिचित है किन्तु फिर भी उनका काव्यात्मक व्यक्तित्व आज सबसे अधिक विवादास्पद है। जन समाज की दृष्टि में वह मानव प्रेम के अनन्यतम गायक हैं। भदन्त आनन्द कौशल्यायन के शब्दों में उनमें हिन्दी का अश्वघोष बनने की क्षमता है। रामधारी सिंह 'दिनकर' के अनुसार वे हिन्दी की वीणा हैं। अन्य भाषा भाषियों के विचार में वे "सन्त कवि" हैं और कुछ आलोचक उन्हें "निराश मृत्युवादी" मानते हैं। वर्तमान समय में सर्वाधिक लोकप्रिय और लाड़ले कवि हैं जिन्होंने अपनी मर्मस्पर्शी काव्यानुभूति तथा सरल भाषा द्वारा हिन्दी कविता को एक नया मोड़ दिया और हरिवंश राय बच्चन के बाद नयी पीढ़ी को सर्वाधिक प्रभावित किया। आज अनेक गीतकारों के कण्ठ में उन्हीं की अनुगूँज सुनायी देती है।
आजकल नीरजजी उत्तर प्रदेश भाषा संस्थान के कार्यकारी अध्यक्ष हैं। मुलायम सिंह यादव की संस्तुति पर उन्हें इस पद पर नामित कर कैबिनेट मन्त्री की सुविधाएँ प्रदान की गयी हैं।
अनुक्रम |
संक्षिप्त जीवनी
गोपालदास सक्सेना 'नीरज' का जन्म 4 जनवरी 1925 को ब्रिटिश भारत के संयुक्त प्रान्त आगरा व अवध, जिसे अब उत्तर प्रदेश के नाम से जाना जाता है, में इटावा जिले के पुरावली गाँव में बाबू ब्रजकिशोर सक्सेना[1] के यहाँ हुआ था। मात्र 6 वर्ष की आयु में पिता गुजर गये। 1942 में एटा से हाई स्कूल परीक्षा प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की। शुरुआत में इटावा की कचहरी में कुछ समय टाइपिस्ट का काम किया उसके बाद सिनेमाघर की एक दुकान पर नौकरी की। लम्बी बेकारी के बाद दिल्ली जाकर सफाई विभाग में टाइपिस्ट की नौकरी की। वहाँ से नौकरी छूट जाने पर कानपुर के डी०ए०वी कॉलेज में क्लर्की की। फिर बाल्कट ब्रदर्स नाम की एक प्राइवेट कम्पनी में पाँच वर्ष तक टाइपिस्ट का काम किया। नौकरी करने के साथ प्राइवेट परीक्षाएँ देकर 1949 में इण्टरमीडिएट, 1951 में बी०ए० और 1953 में प्रथम श्रेणी में हिन्दी साहित्य से एम०ए० किया।मेरठ कॉलेज मेरठ में हिन्दी प्रवक्ता के पद पर कुछ समय तक अध्यापन कार्य भी किया किन्तु कॉलेज प्रशासन द्वारा उन पर कक्षाएँ न लेने व रोमांस[2] करने के आरोप लगाये गये जिससे कुपित होकर नीरज ने स्वयं ही नौकरी से त्यागपत्र दे दिया। उसके बाद वे अलीगढ़ के धर्म समाज कॉलेज में हिन्दी विभाग के प्राध्यापक नियुक्त हो गये और मैरिस रोड जनकपुरी अलीगढ़ में स्थायी आवास बनाकर रहने लगे।
कवि सम्मेलनों में अपार लोकप्रियता के चलते नीरज को बम्बई के फिल्म जगत ने गीतकार के रूप में नई उमर की नई फसल के गीत लिखने का निमन्त्रण दिया जिसे उन्होंने सहर्ष स्वीकार कर लिया। पहली ही फ़िल्म में उनके लिखे कुछ गीत जैसे कारवाँ गुजर गया गुबार देखते रहे और देखती ही रहो आज दर्पण न तुम, प्यार का यह मुहूरत निकल जायेगा बेहद लोकप्रिय हुए जिसका परिणाम यह हुआ कि वे बम्बई में रहकर फ़िल्मों के लिये गीत लिखने लगे। फिल्मों में गीत लेखन का सिलसिला मेरा नाम जोकर, शर्मीली और प्रेम पुजारी जैसी अनेक चर्चित फिल्मों में कई वर्षों तक जारी रहा।
किन्तु बम्बई की ज़िन्दगी से भी उनका जी बहुत जल्द उचट गया और वे फिल्म नगरी को अलविदा कहकर फिर अलीगढ़ वापस लौट आये। तब से आज तक वहीं रहकर स्वतन्त्र रूप से मुक्ताकाशी जीवन व्यतीत कर रहे हैं। आज सत्तासी वर्ष की आयु में भी वे देश विदेश के कवि-सम्मेलनों में उसी ठसक के साथ शरीक होते हैं। बीड़ी, शराब और शायरी उनके जीवन की अभिन्न सहचरी बन चुकी हैं।
अपने वारे में उनका यह शेर आज भी मुशायरों में फरमाइश के साथ सुना जाता है:
इतने बदनाम हुए हम तो इस ज़माने में, लगेंगी आपको सदियाँ हमें भुलाने में।
न पीने का सलीका न पिलाने का शऊर, ऐसे भी लोग चले आये हैं मयखाने में॥
प्रमुख कविता संग्रह
हिन्दी साहित्यकार सन्दर्भ कोश[3] के अनुसार नीरज की कालक्रमानुसार प्रकाशित कृतियाँ इस प्रकार हैं:- संघर्ष (1944)
- अन्तर्ध्वनि (1946)
- विभावरी (1948)
- प्राणगीत (1951)
- दर्द दिया है (1956)
- बादर बरस गयो (1957)
- मुक्तकी (1958)
- दो गीत (1958)
- नीरज की पाती (1958)
- गीत भी अगीत भी (1959)
- आसावरी (1963)
- नदी किनारे (1963)
- लहर पुकारे (1963)
- कारवाँ गुजर गया (1964)
- फिर दीप जलेगा (1970)
- तुम्हारे लिये (1972)
- नीरज की गीतिकाएँ (1987)
पुरस्कार एवं सम्मान
नीरज जी को अब तक कई पुरस्कार व सम्मान[4] प्राप्त हो चुके हैं, जिनका विवरण इस प्रकार है:- विश्व उर्दू परिषद् पुरस्कार
- पद्म श्री सम्मान (1991), भारत सरकार
- यश भारती एवं एक लाख रुपये का पुरस्कार (1994), उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान, लखनऊ
- पद्म भूषण सम्मान (2007), भारत सरकार
फिल्म फेयर पुरस्कार
नीरज जी को फ़िल्म जगत में सर्वश्रेष्ठ गीत लेखन के लिये उन्नीस सौ सत्तर के दशक में लगातार तीन बार यह पुरस्कार दिया गया। उनके द्वारा लिखे गये पुररकृत गीत हैं-- 1970: काल का पहिया घूमे रे भइया! (फ़िल्म: चन्दा और बिजली)
- 1971: बस यही अपराध मैं हर बार करता हूँ (फ़िल्म: पहचान)
- 1972: ए भाई! ज़रा देख के चलो (फ़िल्म: मेरा नाम जोकर)
मन्त्रीपद का विशेष दर्ज़ा
उत्तर प्रदेश की वर्तमान सरकार ने अभी हाल सितम्बर में ही नीरजजी को भाषा संस्थान का कार्यकारी अध्यक्ष नामित कर कैबिनेट मन्त्री[5] का दर्जा दिया है।सन्दर्भ
- ↑ हमारे लोकप्रिय गीतकार गोपालदास नीरज सम्पादक:शेरजंग गर्ग 2006 पृष्ठ 131 वाणी प्रकाशन दरिया गंज नई दिल्ली 110002 ISBN 81-7055-904-0
- ↑ हमारे लोकप्रिय गीतकार गोपालदास नीरज सम्पादक:शेरजंग गर्ग 2006 पृष्ठ 6 वाणी प्रकाशन दरिया गंज नई दिल्ली 110002 ISBN 81-7055-904-0
- ↑ डॉ. गिरिराजशरण अग्रवाल एवं डा० मीना अग्रवाल हिन्दी साहित्यकार सन्दर्भ कोश (दूसरा भाग) 2006 पृष्ठ 110 हिन्दी साहित्य निकेतन, बिजनौर (उ०प्र०) ISBN 81-85139-29-6
- ↑ डॉ. गिरिराजशरण अग्रवाल एवं डा० मीना अग्रवाल हिन्दी साहित्यकार सन्दर्भ कोश (दूसरा भाग) 2006 पृष्ठ 110 हिन्दी साहित्य निकेतन, बिजनौर (उ०प्र०) ISBN 81-85139-29-6
- ↑ उप्र में कवि नीरज समेत पांच को मंत्री का दर्जा
इन्हें भी देखें
बाहरी कड़ियाँ
विकिमीडिया कॉमन्स पर गोपालदास नीरज से सम्बन्धित मीडिया है। |
- हिन्दी साहित्य में नीरज की कविताएँ
- C.M. announces Rs. 20 lakh assistance for Gopaldas Neeraj Foundation उ०प्र० सरकार द्वारा गोपालदास नीरज फाउण्डेशन को बीस लाख की सहायता
- International Hindi association features Gopaldas Neeraj इण्टरनेशनल हिन्दी ऐसोसिएशन का गोपालदास नीरज पर फीचर्
- Life and work of Neeraj नीरज का व्यक्तित्व और कृतित्व
- भारतीय साहित्य संग्रह में नीरज की कृतियाँ
- गोपालदास नीरज कविता कोश में
- गोपालदास नीरज (हिंदीकुंज में)
- गोपालदास नीरज गोपालदास नीरज पर स्पेशल
[छुपाएँ] हिन्दी साहित्यकार (जन्म १९२१-१९३०) | |
---|---|
अमरकांत । रांगेय राघव । मोहन राकेश । कृष्ण बलदेव वैद । कृष्णा सोबती । धर्मवीर भारती । हरिशंकर परसाईं । फणीश्वर नाथ रेणु । मोहन राकेश । राजकमल चौधरी । राजेन्द्र यादव । रघुवीर सहाय । कुँवर नारायण । दामोदर स्वरूप 'विद्रोही' । गोपालदास नीरज । शिवानी
|
No comments:
Post a Comment