प्रस्तुति- अखौरी प्रमोद
फिलीपींस के वातावरण को प्रदूषण से बचाने के लिए अब बांस से बनी साइकिलें अहम भूमिका निभाएंगी.
राजधानी मनीला ट्रैफिक जाम और वायु प्रदूषण के लिए बदनाम है. लेकिन बहुत जल्द इस छवि को बदलेंगी यहां इस्तेमाल होने जा रही बांस की साइकिलें.
बांस से तैयार इन साइकिलों का आइडिया 29 साल के मैकक्लीलैंड का है. वह फिलीपीनी अमेरिकी हैं. उनकी कंपनी बैंबाइक्स फिलीपींस में बांस से बाइक तैयार करती है. उन्होंने कंपनी की शुरुआत 2010 में की थी. हाल ही में उन्होंने मनीला में बैंबाइक टुअर का आयोजन किया. मनीला के ऐतिहासिक इंत्रामुरोस इलाके से करीब ढाई घंटे तक बैंबाइकों पर सवार सैलानी गुजरते रहे.
उनकी साइकिलों का ढांचा बांस से तैयार किया गया है. बांस को मनीला के खास पौधे के रेशे से बांधा जाता है. मैकक्लीलैंड मानते हैं कि बांस दुनिया की कुछ सबसे मजबूत चीजों में है और उसमें धातु जैसी ही लोचदार भी होती है.
बाइक टुअर की शुरुआत
मैकक्लीलैंड ने बताया, "वैसे तो इस तरह के साइकिल टुअर दुनिया के बहुत से शहरों में लोकप्रिय हैं. कई शहरों में इनका आयोजन शहर और वहां के पर्यावरण से लोगों के परिचय के लिए भी होता है." उन्हें इंत्रामुरोस मनीला का टुअर शुरू करने का सबसे सही इलाका लगा. यह शहर का सबसे पुराना इलाका है और प्रकृति के नजदीक भी.
मनीला की ही जूलिया नेब्रीजा ने हाल में हुए बैंबाइक टुअर में हिस्सा लिया. उन्होंने बताया, "बांस की बाइकों पर सवार होकर लोग शहर को एक नई तरह से देख सकते हैं. इनसे इंत्रामुरोस में घूमना आसान और मजेदार हो जाता है." वह कहती हैं कि इसके जरिए आप लोगों को दिखा सकते हैं कि इंत्रामुरोस जैसे इलाकों में भी बाइक आसानी से चलाई जा सकती है और इन बाइकों से पर्यावरण को नुकसान भी नहीं पहुंचता.
साफ सुथरे शहर के लिए
इस प्रोजेक्ट के जरिए पर्यटक और खुद मनीला के रहने वाले शहर को प्रदूषण से नुकसान पहुंचाए बगैर शहर में घूम पा रहे है. साथ ही प्रदूषण मुक्त शहर की ओर कदम बढ़ाए जा रहे हैं. मैकक्लीलैंड इंत्रामुरोस के अधिकारियों से इस सिलसिले में बात भी कर रहे हैं कि शहर को ज्यादा पैदल चलने वालों और साइकिल वालों के लायक बनाया जाए और पर्यटन के क्षेत्र में भी इन तरीकों को बढ़ावा दिया जाए.
उन्होंने बताया फिलहाल मनीला में साइकिल से चलने वालों के लिए अलग से कोई सड़क या रास्ता नहीं है. सड़कों पर इतनी ज्यादा संख्या में कारें हैं कि ट्रैफिक में फंसने का डर रहता है. वह मानते हैं, "कई फिलीपीनों को तो साइकिल चलाना भी नहीं आता. शायद इसलिए कि ये लोग शहर में पले बढ़े हैं और यहां साइकिल चलाना फिलहाल उतना सुरक्षित नहीं जिससे वे हतोत्साहित हो सकते हैं."
वायु प्रदूषण की चपेट में
एशिया के कुछ सबसे प्रदूषित इलाकों में मनीला भी शुमार है. पर्यावरण एवं प्राकृतिक संसाधन मंत्रालय के अनुसार मनीला में 70 फीसदी प्रदूषण वाहनों के कारण होता है. शहर को बेहतर विकल्प की जल्द से जल्द जरूरत है.
एशियाई विकास बैंक में काम करने वाले अर्थशास्त्री को साकामोतो कहते हैं, "मनीला जैसे शहर को टिकाऊ यातायात में निवेश करके बहुत फायदा हो सकता है. खास कर दो क्षेत्रों में- सार्वजनिक परिवहन और पैदल चलने वालों और साइकिल सवारों के लिए नए रास्ते तैयार करके."
देश के सामने एक बड़ी चुनौती है मोटर गाड़ियों की संख्या में हर साल हो रही भारी वृद्धि. एशिया के दूसरे देशों की तरह फिलीपींस भी इस समस्या से जूझ रहा है. साकामोतो कहते हैं कि एशियाई देशों में हर चार से सात साल में सड़कों पर दौड़ रही गाड़ियों की संख्या दोगुनी हो रही है.
सरकारी कदम
प्रदूषण से निपटने के लिए सरकार भी अपनी तरफ से कदम उठा रही है. ज्यादा से ज्यादा हाइब्रिड बसें सड़कों पर लाने के प्रोजेक्ट पर काम चल रहा है. इनके साथ डीजल इंजन और इलेक्ट्रिक मोटर के इस्तेमाल को प्रोत्साहित किया जा रहा है. ये बसें 30 फीसदी कम ईंधन इस्तेमाल करती हैं और कार्बन डायॉक्साइड का भी 30 फीसदी कम उत्सर्जन करती हैं. फिलहाल 249 हाइब्रिड बसें सड़कों पर दौड़ रही हैं. इस साल के अंत तक 300 और बसों के आने की योजना है.
रिपोर्टः आया लोवे/एसएफ
संपादनः ए जमाल
बांस से तैयार इन साइकिलों का आइडिया 29 साल के मैकक्लीलैंड का है. वह फिलीपीनी अमेरिकी हैं. उनकी कंपनी बैंबाइक्स फिलीपींस में बांस से बाइक तैयार करती है. उन्होंने कंपनी की शुरुआत 2010 में की थी. हाल ही में उन्होंने मनीला में बैंबाइक टुअर का आयोजन किया. मनीला के ऐतिहासिक इंत्रामुरोस इलाके से करीब ढाई घंटे तक बैंबाइकों पर सवार सैलानी गुजरते रहे.
उनकी साइकिलों का ढांचा बांस से तैयार किया गया है. बांस को मनीला के खास पौधे के रेशे से बांधा जाता है. मैकक्लीलैंड मानते हैं कि बांस दुनिया की कुछ सबसे मजबूत चीजों में है और उसमें धातु जैसी ही लोचदार भी होती है.
बाइक टुअर की शुरुआत
मैकक्लीलैंड ने बताया, "वैसे तो इस तरह के साइकिल टुअर दुनिया के बहुत से शहरों में लोकप्रिय हैं. कई शहरों में इनका आयोजन शहर और वहां के पर्यावरण से लोगों के परिचय के लिए भी होता है." उन्हें इंत्रामुरोस मनीला का टुअर शुरू करने का सबसे सही इलाका लगा. यह शहर का सबसे पुराना इलाका है और प्रकृति के नजदीक भी.
मनीला की ही जूलिया नेब्रीजा ने हाल में हुए बैंबाइक टुअर में हिस्सा लिया. उन्होंने बताया, "बांस की बाइकों पर सवार होकर लोग शहर को एक नई तरह से देख सकते हैं. इनसे इंत्रामुरोस में घूमना आसान और मजेदार हो जाता है." वह कहती हैं कि इसके जरिए आप लोगों को दिखा सकते हैं कि इंत्रामुरोस जैसे इलाकों में भी बाइक आसानी से चलाई जा सकती है और इन बाइकों से पर्यावरण को नुकसान भी नहीं पहुंचता.
साफ सुथरे शहर के लिए
इस प्रोजेक्ट के जरिए पर्यटक और खुद मनीला के रहने वाले शहर को प्रदूषण से नुकसान पहुंचाए बगैर शहर में घूम पा रहे है. साथ ही प्रदूषण मुक्त शहर की ओर कदम बढ़ाए जा रहे हैं. मैकक्लीलैंड इंत्रामुरोस के अधिकारियों से इस सिलसिले में बात भी कर रहे हैं कि शहर को ज्यादा पैदल चलने वालों और साइकिल वालों के लायक बनाया जाए और पर्यटन के क्षेत्र में भी इन तरीकों को बढ़ावा दिया जाए.
उन्होंने बताया फिलहाल मनीला में साइकिल से चलने वालों के लिए अलग से कोई सड़क या रास्ता नहीं है. सड़कों पर इतनी ज्यादा संख्या में कारें हैं कि ट्रैफिक में फंसने का डर रहता है. वह मानते हैं, "कई फिलीपीनों को तो साइकिल चलाना भी नहीं आता. शायद इसलिए कि ये लोग शहर में पले बढ़े हैं और यहां साइकिल चलाना फिलहाल उतना सुरक्षित नहीं जिससे वे हतोत्साहित हो सकते हैं."
वायु प्रदूषण की चपेट में
एशिया के कुछ सबसे प्रदूषित इलाकों में मनीला भी शुमार है. पर्यावरण एवं प्राकृतिक संसाधन मंत्रालय के अनुसार मनीला में 70 फीसदी प्रदूषण वाहनों के कारण होता है. शहर को बेहतर विकल्प की जल्द से जल्द जरूरत है.
एशियाई विकास बैंक में काम करने वाले अर्थशास्त्री को साकामोतो कहते हैं, "मनीला जैसे शहर को टिकाऊ यातायात में निवेश करके बहुत फायदा हो सकता है. खास कर दो क्षेत्रों में- सार्वजनिक परिवहन और पैदल चलने वालों और साइकिल सवारों के लिए नए रास्ते तैयार करके."
देश के सामने एक बड़ी चुनौती है मोटर गाड़ियों की संख्या में हर साल हो रही भारी वृद्धि. एशिया के दूसरे देशों की तरह फिलीपींस भी इस समस्या से जूझ रहा है. साकामोतो कहते हैं कि एशियाई देशों में हर चार से सात साल में सड़कों पर दौड़ रही गाड़ियों की संख्या दोगुनी हो रही है.
सरकारी कदम
प्रदूषण से निपटने के लिए सरकार भी अपनी तरफ से कदम उठा रही है. ज्यादा से ज्यादा हाइब्रिड बसें सड़कों पर लाने के प्रोजेक्ट पर काम चल रहा है. इनके साथ डीजल इंजन और इलेक्ट्रिक मोटर के इस्तेमाल को प्रोत्साहित किया जा रहा है. ये बसें 30 फीसदी कम ईंधन इस्तेमाल करती हैं और कार्बन डायॉक्साइड का भी 30 फीसदी कम उत्सर्जन करती हैं. फिलहाल 249 हाइब्रिड बसें सड़कों पर दौड़ रही हैं. इस साल के अंत तक 300 और बसों के आने की योजना है.
रिपोर्टः आया लोवे/एसएफ
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- तारीख 28.06.2014
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