प्रस्तुति- शैलेन्द्र किशोर
छठ पूजा दो बार मनाई जाती हैं :
- चैती छठ पूजा
- कार्तिक छठ पूजा
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Chaiti Kartik Chhath Puja Date
कब होती हैं छठ पूजा ?
छठ पूजा कार्तिक शुक्ल पक्ष की षष्ठी को मनाई जाती हैं | यह चार दिवसीय त्यौहार होता हैं जो कि चौथ से सप्तमी तक मनाया जाता हैं | इसे कार्तिक छठ पूजा कहा जाता हैं | इसके आलावा चैत्र माह में भी यह पर्व मनाया जाता हैं जिसे चैती छठ पूजा कहा जाता हैं |इसे खासतौर पर उत्तरप्रदेश, बिहार, झारखण्ड एवम नेपाल में मनाया जाता हैं | यह दिन उत्सव की तरह हर्ष के साथ मनाया जाता हैं |
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Chhath Puja Mahatva
कार्तिक चैती छठ पूजा महत्व :
इसका महत्व उत्तर भारत में सबसे अधिक हैं कहा जाता हैं भगवान राम जब माता सीता से स्वयंबर करके घर लौटे थे और उनका राज्य अभिषेक किया गया था | उसके बाद उन्होंने पुरे विधान के साथ कार्तिक शुक्ल पक्ष की षष्ठी को पुरे परिवार के साथ पूजा की थी | तब ही से इस पूजा का महत्व हैं |महाभारत काल में जब पांडव ने भी अपना सर्वस्व गँवा दिया था | तब द्रोपदी ने इस व्रत का पालन किया वर्षो तक इसे नियमित करने पर पांडवों को उनका सर्वस्व मिला था |इस प्रकार यह व्रत पारिवारिक खुशहाली के लिए किया जाता हैं |
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Chhath Puja Katha Itihas
छठ पूजा कथा इतिहास :
इसका बहुत अधिक महत्व होता हैं | इस दिन छठी माता की पूजा की जाती हैं और छठी माता बच्चो की रक्षा करती हैं | इसे संतान प्राप्ति की इच्छा से किया जाता हैं | इसके पीछे के पौराणिक कथा हैं :बहुत समय पहले एक राजा रानी हुआ करते थे | उनकी कोई सन्तान नहीं थी | राजा इससे बहुत दुखी थे | महर्षि कश्यप उनके राज्य में आये | राजा ने उनकी सेवा की महर्षि ने आशीर्वाद दिया जिसके प्रभाव से रानी गर्भवती हो गई लेकिन उनकी संतान मृत पैदा हुई जिसके कारण राजा रानी अत्यंत दुखी थे जिस कारण दोनों ने आत्महत्या का निर्णय लिया | जैसे ही वे दोनों नदी में कूदने को हुए उन्हें छठी माता ने दर्शन दिये और कहा कि आप मेरी पूजा करे जिससे आपको अवश्य संतान प्राप्ति होगी | दोनों राजा रानी ने विधि के साथ छठी की पूजा की और उन्हें स्वस्थ संतान की प्राप्ति हुई |तब ही से कार्तिक शुक्ल पक्ष की षष्ठी को यह पूजा की जाती हैं |
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Chhath Puja Vrat Vidhi
छठ पूजा व्रत विधि :
यह पर्व चार दिन का होता हैं | बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता हैं |इसे उत्तर भारत में सबसे बड़ा त्यौहार मानते हैं | इसमे गंगा स्नान का महत्व सबसे अधिक होता हैं |यह व्रत स्त्री एवम पुरुष दोनों करते हैं | यह चार दिवसीय त्यौहार हैं जिसका माहत्यम कुछ इस प्रकार हैं :
1 | नहाय खाय | यह पहला दिन होता हैं | यह कार्तिक शुक्ल पक्ष की चतुर्थी से शुरू होता हैं | इस दिन सूर्य उदय के पूर्व पवित्र नदियों का स्नान किया जाता हैं इसके बाद ही भोजन लिया जाता हैं जिसमे कद्दू खाने का महत्व पुराणों में निकलता हैं | |
2 | लोहंडा और खरना | यह दूसरा दिन होता हैं जो कार्तिक शुक्ल की पंचमी कहलाती हैं | इस दिन, दिन भर निराहार रहते हैं | रात्रि में खिरनी खाई जाती हैं और प्रशाद के रूप में सभी को दी जाती हैं | इस दिन आस पड़ौसी एवम रिश्तेदारों को न्यौता दिया जाता हैं | |
3 | संध्या अर्घ्य | यह तीसरा दिन होता हैं जिसे कार्तिक शुक्ल की षष्ठी कहते हैं | इस दिन संध्या में सूर्य पूजा कर ढलते सूर्य को जल चढ़ाया जाता हैं जिसके लिए किसी नदी अथवा तालाब के किनारे जाकर टोकरी एवम सुपड़े में देने की सामग्री ली जाती हैं एवम समूह में भगवान सूर्य देव को अर्ध्य दिया जाता हैं | इस समय दान का भी महत्व होता हैं | इस दिन घरों में प्रसाद बनाया जाता हैं जिसमे लड्डू का अहम् स्थान होता हैं | |
4 | उषा अर्घ्य | यह अंतिम चौथा दिन होता हैं | यह सप्तमी का दिन होता हैं | इस दिन उगते सूर्य को अर्ध्य दिया जाता हैं एवम प्रसाद वितरित किया जाता हैं | पूरी विधि स्वच्छता के साथ पूरी की जाती हैं | |
छठ व्रत के नियम :
- इसे घर की महिलायें एवम पुरुष दोनों करते हैं |
- इसमें स्वच्छ एवम नए कपड़े पहने जाते हैं जिसमे सिलाई ना हो जैसे महिलायें साड़ी एवम पुरुष धोती पहन सकते हैं |
- इन चार दिनों में व्रत करने वाला धरती पर सोता हैं जिसके लिए कम्बल अथवा चटाई का प्रयोग कर सकता हैं |
- इन दिनों घर में प्याज लहसन एवम माँस का प्रयोग निषेध माना जाता हैं |
कार्तिक छठ की तरह ही चैती अथवा चैत्री छठ मनाया जाता हैं | बस तिथी में अन्तर होता हैं | दोनों ही पूजा में सूर्य देव की पूजा की जाती हैं | Kartik Chaiti Chhath Puja Date Mahatva Katha Vrat Vidhi Itihas आपको यह कैसा लगा कमेंट जरुर करें |
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Karnika
कर्णिका दीपावली की एडिटर हैं इनकी रूचि हिंदी भाषा में हैं| यह दीपावली के लिए बहुत से विषयों पर लिखती हैं |यह दीपावली की SEO एक्सपर्ट हैं,इनके प्रयासों के कारण दीपावली एक सफल हिंदी वेबसाइट बनी हैं |
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