*रा-धा-स्व-आ-मी*
*परम पूज्य ग्रैशस हुजूर सतसंगी साहब जी के सुझाव*
*(23 जुलाई 2006)-*
*आप लोग अमल करें, आप लोग अभी तक पुराने रीति रिवाजों में लिप्त है,*
*हमारे किसी भी संत सतगुरु ने पुराने रीति रिवाजों व पुरानी परम्पराओं को अधिक दिन तक सतसंग में जारी नहीं रहने दिया,*
*इन सभी पुराने रीति रिवाजों में फसे रहने से आप सब काल के भवर में फसे रहेगें,*
और काल आपको जाल में फसाये रहेगा,*
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