Sunday, June 4, 2023

रोजाना वाकिआत-परम गुरु हुज़ूर साहबजी महाराज!*

 *रा-धा-स्व-आ-मी*


*04-06-23-आज शाम सतसंग में पढ़ा गया बचन-कल से आगे:-*


*(9-8-31 आदित्य)* 




*तुलबा (विद्यार्थीगण ) के सतसंग में बवक्त सेहपहर (तीसरे पहर) बयान हुआ चूंकि छोटा बच्चा तजरबे (अनुभव) से जानता है कि उसके रोने में बड़ा असर है इसलिये वह अपनी हर एक मांग रोकर पूरी कराता है और जब वाल्दैन(माता पिता) किसी क़दर (कुछ) सर्दमहरी (कठोरता) से पेश आते (बरतते) हैं तो वह और जोर से चीखता है हत्ता (यहां तक) कि वाल्दैन उसकी ख्वाहिश (इच्छा) पूरा करने के लिये मजबूर हो जाते हैं इसी तरह चूंकि हुक्काम (अधिकारीगण ) जानते हैं कि लोग ताज़ीराते हिन्द (भारतीय दण्ड़ सहिंता)  यानी सज़ा के क़ानून से डरते हैं इसलिये जितने समन या नोटिस अदालतों से जारी होते हैं उन सबके अन्दर किसी न किसी धमकी का जिक्र रहता है ठीक इसी तरह प्रेमीजन जानते हैं कि प्रेम व दीनता का अंग लेकर और अपनी तबीयत यकसूं (एकाग्र) करके अगर सच्चे मालिक के हुजूर में कोई अर्ज (प्रार्थना ) पेश की जावे तो वह ज़रूर मंजूर हो जाती है। इसलिये हर एक ऐसे शख्स के लिये जो मालिक की हस्ती (अस्तित्व ) में एतक़ाद (आस्था) रखता है और उससे स्वार्थ व परमार्थ में मदद का उम्मीदवार है लाज़िमी (आवश्यक ) है कि अपने अन्दर प्रेम व दीनता का अंग और यकसूई तवज्जुह (एकाग्रता अभ्यास) का मुहावरा (क्रम) पैदा करे। रा धा स्व आ मी सतसंग में जो सेवा व सतसंग का सिलसिला जारी है वह इसीलिये है कि उनके जरीये (माध्यम से) हर सेवक के अन्दर प्रेम व दीनता पैदा हों और सुमिरन व ध्यान का जो उपदेश दिया जाता है उसकी अव्वल गरज (उद्देश्य ) यही है कि प्रेमीजन यकसूई तवज्जुह कायम (स्थापित ) करने में कामयाब (सफ़ल) हों।*


 *क्रमश------*



   *🙏🏻 रा-धा-स्व-आ-मी 🙏🏻*

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