नीतीश सरकार में सोलह साल का भगोड़ा है कैबिनेट मंत्री
: पटना से प्रकाशित दैनिक 'सन्मार्ग' का खुलासा
: पटना में नीतीश के तलवे चाटने वाले सारे बड़े अखबारों के लिए पटना से
प्रकाशित दैनिक सन्मार्ग ने एक उदाहरण पेश करते हुए मंगलवार को अपवने मुख्य
पृष्ठ पर एक ऐसी खबर छापी है, जिसने सरकार की नींद उड़ा दी है। अपराधी
प्रवृति के लागों को अपने मंत्रिमंडल में जगह न देने के नीतीश के इरादे
कितने मजबूत हैं इसका खुलासा सन्मार्ग ने किया है।
अप्रत्याशित और भारी बहुमत के साथ दूसरी
बार सत्ता पर काबिज नीतीश कुमार के मंत्रिमंडल में सहकारिता मंत्री पद पर
काबिज औरंगाबाद के भाजपा विधायक रामाधार सिंह कानून की नजर में पिछले 16
वर्षों से फरार है। बिहार सरकार में एक महत्वपूर्ण विभाग के मंत्री रामाधार
सिंह पर औरंगाबाद जिले के मदनपुर थाने में 1992 में ही भादवि की
धारा188,153 ए-1 के तहत दंगा भड़काने की कोशिश और भड़काऊ भाषण देने संबंधी
प्राथमिकी दर्ज करायी गई थी। इस मामले में रामाधार लगभग डेढ़ माह तक जेल में
भी रहे। बाद में जमानत पर रिहा होने के बाद वह इस मामले की सुनवाई में एक
भी तारिख पर कोर्ट नहीं गए।
अंतत: कोर्ट ने 1995 में उन्हें भगोड़ा
घोषित कर संबंधित अभिलेख जिला अभिलेखागार में जमा कराने का निर्देश दे
दिया। भड़ास4मीडिया को कोर्ट के उस आदेश की प्रतिलिपि भी हाथ लगी है, जिसमें
न्यायाधीश ने रामाधार सिंह को भगोड़ा और फरार घोषित कर मामले की फाइल बंद
करने का आदेश दिया है। पटना में चर्चा है कि प्रिंट मीडिया के कई पत्रकारों
को इस मामले की भनक थी, पर किसी ने इस मामले को उठाने की साहस नहीं की।
पटना से प्रकाशित टाइम्स ऑफ इंडिया ने घूमा-फिराकर इस मामले को थोड़ा जरूर
उठाया है। सन्मार्ग में रामाधर सिंह के मामले के खुलासे के बाद विपक्ष को
नीतीश के खिलाफ एक बड़ा मुद्दा मिल गया है, जिसे विपक्ष भुनाने की कोशिश
अवश्य कर सकता है।
No comments:
Post a Comment