गया
प्रस्तुति-- प्यासा रुपक, प्रवीण परिमल
गया | |
समय मंडल: आईएसटी (यूटीसी+५:३०) | |
देश | भारत |
जनसंख्या • घनत्व | 4,63,454 (२०11 के अनुसार ) • 7,800 /किमी2 (20,202 /वर्ग मील) |
क्षेत्रफल | 50.11 sq. kms कि.मी² |
झारखंड और बिहार की सीमा और फल्गु नदी के तट पर बसा गया बिहार प्रान्त का दूसरा बडा शहर है। वाराणसी की तरह गया की प्रसिद्धी मुख्य रुप से एक धार्मिक नगरी के रुप में है। पितृपक्ष के अवसर पर यहाँ हजारो श्रद्धालु पिंडदान के लिये जुटते हैं। गया सड़क, रेल और वायु मार्ग द्वारा पूरे भारत से अच्छी तरह जुड़ा है। नवनिर्मित गया अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा द्वारा यह थाइलैंड से भी सीधे जुड़ा हुआ है। गया से 17 किलोमीटर की दूरी पर बोधगया स्थित है जो बौद्ध तीर्थ स्थल है और यहीं बोधी वृक्ष के नीचे भगवान बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति हुई थी।
गया बिहार के महत्वपूर्ण तीर्थस्थानों में से एक है। यह शहर खासकर हिन्दू तीर्थयात्रियों के लिए काफी मशहूर है। यहां का विष्णुपद मंदिर पर्यटकों के बीच लोकप्रिय है। दंतकथाओं के अनुसार भगवान विष्णु के पांव के निशान पर इस मंदिर का निर्माण कराया गया है। हिन्दू धर्म में इस मंदिर को अहम स्थान प्राप्त है। गया पितृदान के लिए भी प्रसिद्ध है। कहा जाता है कि यहां फल्गु नदी के तट पर पिंडदान करने से मृत व्यक्ति को बैकुंठ की प्राप्ति होती है।
गया मध्य बिहार का एक महत्वपूर्ण शहर है, जो गंगा की सहायक नदी फल्गु के पश्चिमी तट पर स्थित है। यह बोधगया से 13 किलोमीटर उत्तर तथा राजधानी पटना से 100 किलोमीटर दक्षिण में स्थित है। यहां का मौसम मिलाजुला है। गर्मी के दिनों में यहां काफी गर्मी पड़ती है और ठंड के दिनों में औसत सर्दी होती है। मानसून का भी यहां के मौसम पर व्यापक असर होता है। लेकिन वर्षा ऋतु में यहां का दृश्य काफी रोचक होता है।
अनुक्रम
इतिहास
गया का उल्लेख महाकाव्य रामायण में भी मिलता है। गया मौर्य काल में एक महत्वपूर्ण शहर था। खुदाई के दौरान सम्राट अशोक से संबंधित आदेश पत्र पाया गया है। मध्यकाल में यह शहर मुगल सम्राटों के अधीन था। मुगलकाल के पतन के उपरांत गया पर अनेक क्षेत्रीय राजाओं ने राज किया। 1787 में होल्कर वंश की साम्राज्ञी महारानी अहिल्याबाई ने विष्णुपद मंदिर का पुनर्निर्माण कराया था।पवित्र स्थल
विष्णुपद मंदिर
फल्गु नदी के पश्चिमी किनारे पर स्थित यह मंदिर पर्यटकों के बीच काफी लोकप्रिय है। कहा जाता है कि इस मंदिर का निर्माण भगवान विष्णु के पदचिन्हों पर किया गया है। यह मंदिर 30 मीटर ऊंचा है जिसमें आठ खंभे हैं। इन खंभों पर चांदी की परतें चढ़ाई हुई है। मंदिर के गर्भगृह में भगवान विष्णु के 40 सेंटीमीटर लंबे पांव के निशान हैं। इस मंदिर का 1787 में इंदौर की महारानी अहिल्या बाई ने नवीकरण करवाया था। पितृपक्ष के अवसर पर यहां श्रद्धालुओं की काफी भीड़ जुटती है।जामा मस्जिद
जामा मस्जिद बिहार की सबसे बडी मस्जिद है। यह तकरीबन २०० साल पुरानी है। इसमे हजारो लोग साथ नमाज अदा कर सकते हैं।बिथो शरीफ
मुख्य नगर से १० कि मी दूर गया पटना मार्ग पर स्थित एक पवित्र धर्मिक स्थल है। यहा नवी सदी हिजरी मे चिशती अशरफि सिलसिले के प्रख्यात सूफी सत हजरत मखदूम सयद दर्वेश अशरफ (र अ) ने खानकाह अशरफिया की स्थापना की थी। आज भी पूरे भारत से श्रदालू यहा दर्शन के लिये आते है। हर साल इस्लामी मास शाबान की १० तारीख को हजरत मखदूम सयद दर्वेश अशरफ (र अ) का उर्स मनाया जाता है।[1]बानाबर (बराबर) पहाडः
गया से लगभग २० किलोमीटर उत्तर बेलागंज से १० किलोमीटर पूरब मे स्थित है। इसके ऊपर भगवान शिव का मन्दिर है, जहाँ हर वर्ष हजारों श्रद्धालू सावन के महीने मे जल चढ़ते है। कहते हैं इस मन्दिर को बानासुर ने बनवाया था। पुनः सम्राट अशोक ने मरम्मत करवाया। इसके नीचे सतघरवा की गुफा है, जो प्राचीन स्थापत्य कला का नमूना है। इसके अतिरिक्त एक मार्ग गया से लगभग ३० किमी उत्तर मखदुमपुर से भी है। इस पर जाने हेतु पातालगंगा, हथियाबोर और बावनसीढ़ी तीन मार्ग है, जो क्रमशः दक्षिण, पश्चिम और उत्तर से है, पूरब में फलगू नदी है।कोटेस्वरनाथ
यह अति प्राचीन शिव मन्दिर मोरहर नदी के किनारे मेन गाँव में स्थित है। यहाँ हर वर्ष शिवरात्रि में मेला लगता है। यहाँ पहुँचने हेतु गया से लगभग ३० किमी उत्तर पटना-गया मार्ग पर स्थित मखदुमपुर से पाईबिगहा समसारा होते हुए जाना होता है। गया से पाईबिगहा के लिये सीधी बस सेवा उपलब्ध है। पाईबिगहा से इसकी दूरी लगभग २ किमी है।सूर्य मंदिर
- इन्हें भी देखें: सूर्य मंदिर, गया
ब्रह्मयोनि पहाड़ी
इस पहाड़ी की चोटी पर चढ़ने के लिए ४४० सीढ़ियों को पार करना होता है। इसके शिखर पर भगवान शिव का मंदिर है। यह मंदिर विशाल बरगद के पेड़ के नीचे स्थित हैं जहां पिंडदान किया जाता है। इस स्थान का उल्लेख रामायण में भी किया गया है। दंतकथाओं पर विश्वास किया जाए तो पहले फल्गु नदी इस पहाड़ी के ऊपर से बहती थी। लेकिन देवी सीता के शाप के प्रभाव से अब यह नदी पहाड़ी के नीचे से बहती है। यह पहाड़ी हिन्दुओं के लिए काफी पवित्र तीर्थस्थानों में से एक है। यह मारनपुर के निकट है।मंगला गौरी
पहाड पर स्तिथ यह मंदिर मां शक्ति को समर्पित है। यह स्थान १८ माहा शक्ति पिथों मैं से एक है। माना जाता है कि जो भी यहां पुजा कराते हैं उन्कि मन कि इच्छा पुरि होति है। इसी मन्दिर के परिवेश मैं मां काली, गणेश, हनुमान तथा भगवान शिव के भी मन्दिर स्तिथ हैं।बराबर गुफा
यह गुफा गया से 20 किलोमीटर उत्तर में स्थित है। इस गुफा तक पहुंचने के लिए 7 किलोमीटर पैदल और 10 किलोमीटर रिक्शा या तांगा से चलना होता है। यह गुफा बौद्ध धर्म के लिए महत्वपूर्ण है। यह बराबर और नागार्जुनी श्रृंखला के पहाड़ पर स्थित है। इस गुफा का निर्माण बराबर और नागार्जुनी पहाड़ी के बीच सम्राट अशोक और उनके पोते दशरथ के द्वारा की गई है। इस गुफा उल्लेख ई.एम. फोस्टर की किताब ए पैसेज टू इंडिया में भी किया गया है। इन गुफओं में से 7 गुफाएं भारतीय पुरातत्व विभाग की देखरख में है।जनसंख्या
२००१ की जनगणना के अनुसार इस जिले की जनसंख्या:[2]gaya district (2001)
- शहरी क्षेत्र:- ३,५५,८९५
- देहाती क्षेत्र:- २३,०८,९०८
- कुल:- २६,६४,८०३
गम्यता
हवाई मार्ग
बिहार एवं झारखण्ड के एकमात्र अंतर्राष्ट्रीय हवाईअड्डा गया अंतर्राष्ट्रीय हवाईअड्डा हैरेल मार्ग
गया जन्कशन बिहार का दूसरा बडा रेल स्टेशन है। यह एक विशाल परिसर मे स्थित है। इसमे ९ प्लेटफार्म है। गया से पटना, कोलकाता, पुरी, बनारस, चेन्नई, मुम्बई, नई दिल्ली, नागपुर, गुवाहाटी आदि के लिए सीधी ट्रेनें है।सड़क मार्ग
गया राजधानी पटना और राजगीर, रांची, बनारस आदि के लिए बसें जाती हैं। गया में दो बस स्टैंड हैं। दोनों स्टैंड फल्गु नदी के तट पर स्थित है। गांधी मैदान बस स्टैंड नदी के पश्चिमी किनार पर स्थित है। यहां से बोधगया के लिए नियमित तौर पर बसें जाती हैं।शिक्षा
संदर्भ
- http://www.mdashrafbitho.faithweb.com बिथो शरीफ का जालस्थल
- गया की जनसंख्या
यह भी देखें
खरखुरा गया
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