प्रस्तुति-- स्वामी शरण,
बिहार के गया जिले से अलग हुए औरंगाबाद किसी समय में मगध साम्राज्य का अभिन्न भाग हुआ करता था। राजधानी पटना से दक्षिण पश्चिम में स्थित यह जिला पर्यटन की दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। प्रसिद्व ग्रांट ट्रैंक रोड के किनारे बसे इस शहर में पर्यटक मदनपुर की पहाड़ी, बौद्व विहार, देव का प्रसिद्व सूर्य मंदिर, देवकुंड आदि जैसे जगह घूम सकते है। फोटो गैलरी देखें क्या देखें
देव- औंरगाबाद शहर से 10 किमी. दक्षिणपूर्व में स्थित देव का प्रसिद्व सूर्य मंदिर 15वीं शताब्दी का माना जाता है। कहा जाता है कि उमगा के चन्द्रवंशी राजा भैरवेन्द्र सिंह ने इस 100 फीट उंचे मंदिर का निर्माण करवाया था। इस मंदिर के संबंध में यह भी धारणा है कि यहां के बह्म कुंड में स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। कार्तिक माह में अगल-बगल के जिले से भी लोग यहां प्रसिद्व छठ पूजा करने आते है।
देवकुंड- यह शहर से दक्षिणपूर्व और जहानाबाद जिले के सीमा पर स्थित है। इस कुंड को ऐतिहासिक स्थल माना जाता है। यह पर एक बहुत प्राचीन भगवान शिव का मंदिर है जिसका उल्लेख पुराण में मिलता है। शिवरात्रि के समय हजारों की संख्या में श्रदालु यहां भगवान शिव पर जल चढ़ाने यहां आते है।
उमगा- यह औरंगाबाद से 24 किमी. पूरब में स्थित है और वैष्णव मंदिर के लिए प्रसिद्व है। इस मंदिर की दीवार ग्रेनाइट पत्थर से निर्मित है। देव तथा यहां के मंदिर को लगभग एक ही तरीके से डिजाइन किया गया है।
अमझार शरीफ- औरंगाबाद से 10 किमी. की दूरी पर स्थित अमझार शरीफ इस्लाम धर्म को मानने वालों का महत्वपूर्ण स्थल माना जाता है। यह दाउदनगर-गया रोड पर स्थित है। यहां पर एक बहुत ही प्राचीन मजार हजरत सैदाना मोहम्मद जिलानी अमझारी कादरी की याद में बना हुआ है। हरेक साल जून के पहले सप्ताह में इनका हिज उर्स मुबारक (वार्षिक समारोह) मनाया जाता है। इस दिन हजारों की संख्या में पूरे भारत वर्ष से इस्लाम धर्म को मानने वाले लोग जुटते है।
सिरिस- किसी समय में इस जगह पर शेरशाह और मुगल साम्राज्य का आधिपत्य माना जाता था। यहां पर अब एक औरंगजेब का बनवाया हुआ एक मस्जिद है जिस पर पारसी में अभिलेख्ा खुदा हुआ है।
इसके अलावा पर्यटक यहां पर पवई, माली, चंदनगढ़ और पीरु जैसे जगह घूम सकते है।
No comments:
Post a Comment