बेहतरीन शहर: नई संभावनाओं के द्वार पर आगरा
ताज महल के अलावा पेठा, हस्तशिल्प और चर्म उद्योग के लिए मशहूर आगरा विरोधाभासों का शहर है. एक ओर चमचमाता दुनिया का अजूबा ताज तो दूसरी ओर भारी ट्रैफिक से अराजक होती सड़कों पर खीजते-भुनभुनाते लोग. दो और दृश्य अकसर दिखते हैं. दिल्ली से आईं भव्य वोल्वो बसों में बैठ शहर घूमते श्वॉव्य कहते दुनियाभर के पर्यटक तो दूसरी ओर बीच सड़क पर झगड़ते ट्रैक्टर और कार चालक. इन्हीं विरोधाभासों में रोज नई संभावनाएं तलाश रहा है आगरा.
पुराने शहर पर आबादी का दबाव बढऩे से शहर तेजी से बाहर फैलने लगा है. चूंकि यह पर्यटन नगरी है, इसलिए उस फैलाव में आकार लेती बहुमंजिला इमारतों में बड़े पैमाने पर दिल्ली और आसपास के लोग इन्वेस्ट कर रहे हैं. एक ओर 15 लाख से ज्यादा की खुद की आबादी और ऊपर से बाहर के लोगों का बढ़ता आकर्षण.
ऐसे में शहर के बुनियादी ढांचे को बेहतर बनाने के लिए प्रशासकों को नित नए जतन करने पड़ रहे हैं. ताज महल के दुनिया में देश का चेहरा होने के नाते उसके आसपास का विकास जाहिर तौर पर बड़ी प्राथमिकता है. उसी के तहत 133 करोड़ रु. से ज्यादा की लागत वाले ताजगंज प्रोजेक्ट के जरिए इर्दगिर्द की बस्तियों का पुनरुद्धार किया जा रहा है.
यहां फाइटोसैनिटेशन नाम की तकनीक के तहत खास किस्म के पौधे लगाकर मल मूत्र को साफ कर वह पानी यमुना में डाला जाएगा. 300 एकड़ में फैले शाहजहां गार्डन का रूप निखारा गया है. वहां वॉच टावर से आप ताज का नजारा ले सकते हैं. यातायात सुगम बनाने के लिए यमुना किनारा रोड को भी चौड़ा किया गया है.
लेकिन भगवान टाकीज से प्रतापपुरा चौराहे तक शहर की धमनी माने जाने वाले साढ़े पांच किलोमीटर के एमजी रोड पर अराजक ट्रैफिक अब भी चिंता का सबब है. शहर के किसी भी अफसर से बात कीजिए, यह फिक्र दिख जाएगी. अब ट्रैफिक शिफ्ट करने की योजना बन रही है.
इसके अलावा दिल्ली से कानपुर या ग्वालियर आने-जाने के लिए शहर में न आना पड़े, इसके लिए दिल्ली से ग्वालियर मार्ग और वहां से कानपुर मार्ग तक कुल 50 किलोमीटर से ज्यादा की फोर लेन सड़कें तैयार होने को हैं. लेकिन इस हफ्ते तक जिले के कलेक्टर रहे जुहैर बिन सगीर एमजी मार्ग के लिए मोनोरेल की वकालत करते हैं. ‘‘इस पर करीब 175 करोड़ रु. खर्च होंगे, जबकि मेट्रो पर दोगुनी लागत आएगी और जमीन भी ज्यादा चाहिए होगी.’’
आगरा में जूते की 100 से ज्यादा बड़ी फैक्ट्रियां हैं, जिनमें करीब एक लाख कर्मचारी हैं. इस उद्योग में जान डालने के लिए पिछले साल यहां कराए गए इंटरनेशनल शू फेयर में 58 देशों ने हिस्सेदारी की. हस्तशिल्प के बढ़ते बाजार का आलम देखिए कि अकेले कलाकृति इंपोरियम के शोरूम में 70,000 से ज्यादा शिल्प हैं. यहां 600 सीटों वाले सभागार में पांच साल से चल रहे मोहब्बतः द ताज नाटक में रोज ज्यादातर विदेशी दर्शक ही होते हैं.
शहर का रुतबा बढ़ाने के लिए अब पास में ही 1,000 एकड़ में डिज्नीलैंड बनने जा रहा है. पांच फाइवस्टार होटल तो अकेले उसी में होंगे. जमीन का अधिग्रहण शुरू हो गया है. लेकिन इससे भी बड़ा कदम है सिविल एयरपोर्ट की दिशा में पहल. अब तय हुआ है कि एयरफोर्स के एयरपोर्ट पर ही 58 एकड़ में एक सिविल टर्मिनल बनेगा. इसके लिए धनौली गांव में जमीन का सर्वे हो चुका है. यानी अब आगरा की तस्वीर बदलने को है.
शहर एक नजर
ताकतः ताज नगरी होने की वजह से पर्यटन से जुड़े उद्योगों/उपक्रमों में लगातार हलचल बनी रहती है. यमुना एक्सप्रेस-वे ने आगरा को दिल्ली के बगल में ला खड़ा किया है.
कमजोरीः यमुना एक्सप्रेस-वे की वजह से पर्यटक रात में यहां रुकते नहीं. पर्यटन की दूसरी जगहें उतनी लोकप्रिय नहीं.
संभावनाएं: सिविल एयरपोर्ट बनने से विदेशी पर्यटक सीधे आगरा आ सकेंगे.
पुराने शहर पर आबादी का दबाव बढऩे से शहर तेजी से बाहर फैलने लगा है. चूंकि यह पर्यटन नगरी है, इसलिए उस फैलाव में आकार लेती बहुमंजिला इमारतों में बड़े पैमाने पर दिल्ली और आसपास के लोग इन्वेस्ट कर रहे हैं. एक ओर 15 लाख से ज्यादा की खुद की आबादी और ऊपर से बाहर के लोगों का बढ़ता आकर्षण.
ऐसे में शहर के बुनियादी ढांचे को बेहतर बनाने के लिए प्रशासकों को नित नए जतन करने पड़ रहे हैं. ताज महल के दुनिया में देश का चेहरा होने के नाते उसके आसपास का विकास जाहिर तौर पर बड़ी प्राथमिकता है. उसी के तहत 133 करोड़ रु. से ज्यादा की लागत वाले ताजगंज प्रोजेक्ट के जरिए इर्दगिर्द की बस्तियों का पुनरुद्धार किया जा रहा है.
यहां फाइटोसैनिटेशन नाम की तकनीक के तहत खास किस्म के पौधे लगाकर मल मूत्र को साफ कर वह पानी यमुना में डाला जाएगा. 300 एकड़ में फैले शाहजहां गार्डन का रूप निखारा गया है. वहां वॉच टावर से आप ताज का नजारा ले सकते हैं. यातायात सुगम बनाने के लिए यमुना किनारा रोड को भी चौड़ा किया गया है.
लेकिन भगवान टाकीज से प्रतापपुरा चौराहे तक शहर की धमनी माने जाने वाले साढ़े पांच किलोमीटर के एमजी रोड पर अराजक ट्रैफिक अब भी चिंता का सबब है. शहर के किसी भी अफसर से बात कीजिए, यह फिक्र दिख जाएगी. अब ट्रैफिक शिफ्ट करने की योजना बन रही है.
इसके अलावा दिल्ली से कानपुर या ग्वालियर आने-जाने के लिए शहर में न आना पड़े, इसके लिए दिल्ली से ग्वालियर मार्ग और वहां से कानपुर मार्ग तक कुल 50 किलोमीटर से ज्यादा की फोर लेन सड़कें तैयार होने को हैं. लेकिन इस हफ्ते तक जिले के कलेक्टर रहे जुहैर बिन सगीर एमजी मार्ग के लिए मोनोरेल की वकालत करते हैं. ‘‘इस पर करीब 175 करोड़ रु. खर्च होंगे, जबकि मेट्रो पर दोगुनी लागत आएगी और जमीन भी ज्यादा चाहिए होगी.’’
आगरा में जूते की 100 से ज्यादा बड़ी फैक्ट्रियां हैं, जिनमें करीब एक लाख कर्मचारी हैं. इस उद्योग में जान डालने के लिए पिछले साल यहां कराए गए इंटरनेशनल शू फेयर में 58 देशों ने हिस्सेदारी की. हस्तशिल्प के बढ़ते बाजार का आलम देखिए कि अकेले कलाकृति इंपोरियम के शोरूम में 70,000 से ज्यादा शिल्प हैं. यहां 600 सीटों वाले सभागार में पांच साल से चल रहे मोहब्बतः द ताज नाटक में रोज ज्यादातर विदेशी दर्शक ही होते हैं.
शहर का रुतबा बढ़ाने के लिए अब पास में ही 1,000 एकड़ में डिज्नीलैंड बनने जा रहा है. पांच फाइवस्टार होटल तो अकेले उसी में होंगे. जमीन का अधिग्रहण शुरू हो गया है. लेकिन इससे भी बड़ा कदम है सिविल एयरपोर्ट की दिशा में पहल. अब तय हुआ है कि एयरफोर्स के एयरपोर्ट पर ही 58 एकड़ में एक सिविल टर्मिनल बनेगा. इसके लिए धनौली गांव में जमीन का सर्वे हो चुका है. यानी अब आगरा की तस्वीर बदलने को है.
शहर एक नजर
ताकतः ताज नगरी होने की वजह से पर्यटन से जुड़े उद्योगों/उपक्रमों में लगातार हलचल बनी रहती है. यमुना एक्सप्रेस-वे ने आगरा को दिल्ली के बगल में ला खड़ा किया है.
कमजोरीः यमुना एक्सप्रेस-वे की वजह से पर्यटक रात में यहां रुकते नहीं. पर्यटन की दूसरी जगहें उतनी लोकप्रिय नहीं.
संभावनाएं: सिविल एयरपोर्ट बनने से विदेशी पर्यटक सीधे आगरा आ सकेंगे.
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