- जिन्हे नाज है हिन्द पे वे कहाँ है? शहीद भगत सिंह साहेब आप सुन रहे हैं?
आप जहाँ जेल में अपने मित्र बटुकेश्वर दत्त के साथ बंद थे, जहाँ 14 क्रांतिकारियों को फाँसी पर लटकाया गया था, उस शहीद-स्थल के दीवारों पर दिल्ली के लोग पेशाब करते हैं !SBS Hindi added 2 new photos.आखिर कहाँ खो गया दिल्ली का वो पुराना जेल जहाँ हमारे शहीद हँसते हँसते फाँसी चढ़ गए थे ?भारत की राजधानी दिल्ली के ह्रदय में बसा वो एक स्थान, जहाँ स्वतंत्रता संग्राम के दिनों में १३ क्रांतिकारियों को फांसी पर लटकाया गया था, उसके तो "पौराणिक-नामों-निशान" लोगों ने, अधिकारियों ने मिटा दीये --, महज़ एक पत्थर रखकर और उसे चाहर दिवारी से घेर कर; परन्तु आपको सुनकर बेहद अफ़सोस होगा की दिल्ली के लोग भी "उस शहीद-स्थल की दीवारों पर शाम के अंधेरों में गन्दा करने में पीछे नहीं रहते। अपनी कहानी को आगे बढ़ने के लिए हमने बात की है श्री विजय जयाड़ा से जो दिल्ली सरकार में एक वरिष्ठ शिक्षक भी हैं और दिल्ली स्थित सभी पुरातत्वों, ऐतिहासिक स्थानों, भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम से जुडी सभी वस्तुओं पर काफी दिनों से शोध कर रहे हैं। प्रस्तुति कुमुद मिरानी, कॉन्सेप्ट शिवनाथ झा .
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- Ashish Jha इसमें आश्चर्य की कौन सी बात है..ये लोग किस जाति से थे इसका उल्लेख कीजिए ना..गुजरात से इनका क्या संबंध था ये बताइये ना...अंग्रेज के एजेंट थे या पाकिस्तान के एजेंट थे इसका खुलासा कीजिए..जो देश गांधी का नहीं हुआ वो इनका होगा..सोचना ही मूर्खता था..बेकार फालतू में इन लोगों ने आत्महत्या की, क्या जरुरत थी मरने की। दो चार ले दे कर सांसद बन जाते।
- Bhairab Lal Das शिवनाथ जी की फोटोग्राफी ने जिज्ञासा बढ़ा दी। बटुकेश्वर दत्त पर मैंने काम किया है। भगत सिंह एवं अन्य स्वतंत्रता सेनानियों के बारे में दिलचस्पी है। कर्त्तार सिंह सराभा पर भी काम किया है। शिवनाथजी से शिकायत है कि उन्होंने फोटोग्राफी ठीक से नहीं की, प...See More
- Bhairab Lal Das कैंसर का इलाज करवाने के लिए बटुकेश्वर दत्त को पटना अस्पताल से एम्स, दिल्ली ले जाया गया। यह घटना 1964 की होगी। रेलवे स्टेशन पर उतरे ही थे कि पत्रकारों ने दत्त को घेर लिया। प्रश्न भी बिलकुल सामान्य सा- आपको कैसा लग रहा है। उन्होंने दिल्ली का आभार जताया कि जिस दिल्ली में हमलोगों ने बम फेंका था, उसी दिल्ली में मैं इलाज करवाने आया हूं।
- Bhairab Lal Das बटुकेश्वर दत्त दिल्ली में ऐसे ही घूम रहे थे पुरानी जगहों को खोज रहे थे। एक मैदान में कुछ बच्चे गेंद खेल रहे थे। बटुकेश्वर दत्त ने अपने साथ व्यक्ति को कहा कि यहां ही कहीं दिल्ली जेल थी और आगे आनेवाली पीढ़ी इसे देखने से वंचित हो जाएगी। शिवनाथ जी को और रिसर्च करने की आवश्यकता है।
Anami Sharan Babal भारतीय सत्ता जिसको न पानी दे तो लोग क्या करेंगे मूत करके ही तो बेचारे नमन करेगे हम भारतीय अपने शहीदों को कितना माने कोई एक दो तीन हो तब ना शहीद हो तो कोई श्री मती गांधी की तरह या राजीव गांधी की तरह तब न पूरा देश माने कि क्या हुआ
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