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रा-धा-स्व-आ-मी
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टूक बंदगी
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क्यों कर करुं शुकराने मै उनके,
फिर फिर शुकराने करते हैं,
क्यों कर करुं शुकराने मै उनके,
रा-धा-स्व-आ-मी धारा अगम हैं,
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रा-धा-स्व-आ-मी
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टूक बंदगी
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क्यों कर करुं शुकराने मै उनके,
फिर फिर शुकराने करते हैं,
क्यों कर करुं शुकराने मै उनके,
रा-धा-स्व-आ-मी धारा अगम हैं,
सुरत शब्द मिलवाए हैं,
हम उलटी धार चलाए है,
हम पलटी बात बताए है,
क्यों कर करुं शुकराने मै उनके,
फिर फिर शुकराने करते हैं,
हम रा-धा-स्व-आ-मी नित नित गाएं है,
सो रा-धा-स्व-आ-मी बात बनाए है,
हम उनकी महिमा गाए है,
उन्ही से सब हम पाए हैं,
क्यों कर करुं शुकराने मै उनके,
फिर फिर शुकराने करते हैं,
यही मर्म भेद चाहे अन्तज्ञऻन कहे,
जो हम नत-मस्तक हो कर सुनाते हैं,
फिर फिर जीवों हेतु बखाने हैं,
उन रा-धा-स्व-आ-मी रा-धा-स्व-आ-मी जपवाये हैं,
क्यों कर करुं शुकराने मै उनके,
फिर फिर शुकराने करते हैं,
क्यों कर करुं शुकराने मै उनके,,
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रा-धा-स्व-आ-मी
🙏🙏🙏🙏🙏 मिलवाए हैं,
हम उलटी धार चलाए है,
हम पलटी बात बताए है,
क्यों कर करुं शुकराने मै उनके,
फिर फिर शुकराने करते हैं,
हम रा-धा-स्व-आ-मी नित नित गाएं है,
सो रा-धा-स्व-आ-मी बात बनाए है,
हम उनकी महिमा गाए है,
उन्ही से सब हम पाए हैं,
क्यों कर करुं शुकराने मै उनके,
फिर फिर शुकराने करते हैं,
यही मर्म भेद चाहे अन्तज्ञऻन कहे,
जो हम नत-मस्तक हो कर सुनाते हैं,
फिर फिर जीवों हेतु बखाने हैं,
उन रा-धा-स्व-आ-मी रा-धा-स्व-आ-मी जपवाये हैं,
क्यों कर करुं शुकराने मै उनके,
फिर फिर शुकराने करते हैं,
क्यों कर करुं शुकराने मै उनके,,
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रा-धा-स्व-आ-मी
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