Wednesday, July 19, 2023

.रा-धा-स्व-आ-मी*!

 *रा-धा-स्व-आ-मी*!        

                                                       

18-07-23- 



आज शाम शाम में पढ़ा गया बचन- कल से आगे:- (4-9-31- शुक्र)- अख़बारों में लिखा है कि महात्मा गांधी का जहाज़ जब अदन के बन्दरगाह के करीब पहुंचा तो आपने जेरे-निगरानी (देख रेख में) कप्तान साहब जहाज स्टियरिंग व्हील ( Steering Wheel) को घुमाया। जिस (से) जहाज़ ठीक सम्त (दिशा) में घूम कर मुक़र्ररह (नियत) जगह पर पहुंच गया। जब महात्मा गांधी (लगभग दो साल हुए) दयालबाग में तशरीफ़ लाये थे तो मैने आपको दयालबाग के कारख़ानजात और यहां के बने हुए ग्रामोफ़ोन दिखलाये थे। आपके हमराह (साथ) मिस्टर कृपलानी और चन्द (कुछ) दीगर (अन्य) असहाब (लोग) थे। मिस्टर कृपलानी खासकर और दीगर असहाब में से अक्सर (अधिकतर) दयालबाग की हर चीज को नफ़रत की निगाह से देखते थे क्योंकि यहां कलों का इस्तेमाल किया जाता है अब जब मिस्टर कृपलानी को मालूम होगा कि महात्मा जी के दिल में कलों के लिये इश्क (चाव) पैदा होने लगा है तो वह क्या कहते होंगे? जो लोग कलों को नफ़रत करते है वह दरअसल (वास्तव में) कलों के इस्तेमाल से नावाक़िफ़ (अनभिज्ञ) होते हैं। जैसे ऐसी जबान (भाषा) में लेक्चर जिससे हम नाआशना (अपरिचित) हैं जल्द ही हमारे अन्दर नींद का गलबा (प्रभुत्व -अधिक्रमण) पैदा करता है ऐसे ही कलों से नावाक़िफ़ अशख़ास (व्यक्तियों) की तबीयत पर कल देखकर जल्द ही गफ़लत(अचेतना) तारी (व्याप्त) हो जाती है वरना जैसे हर वाक़िफ़कार (जानकार) नौजवान का जीन कसा घोड़ा देखते ही सवारी के लिये दिल चाहने लगता है ऐसे ही हर कलों से वाक़िफ़ शख्स का दिल किसी नई कल को देखकर उसका हाल जानने और उसे चालू करने के लिये तड़पने लगता है और कल के चालू होने पर जो लुत्फ़ (आनन्द) उसे आता है वह अपनी ही मिसाल (उदाहरण) है। 

क्रमशः--------------                                                               

🙏🏻 रा-धा-स्व-आ-मी 🙏🏻

 रोजाना वाकिआत-परम गुरु हुज़ूर साहबजी महाराज।

No comments:

Post a Comment

बधाई है बधाई / स्वामी प्यारी कौड़ा

  बधाई है बधाई ,बधाई है बधाई।  परमपिता और रानी मां के   शुभ विवाह की है बधाई। सारी संगत नाच रही है,  सब मिलजुल कर दे रहे बधाई।  परम मंगलमय घ...