रविवार, 30 दिसंबर, 2012 को 08:33 IST तक के समाचार
लोग उसे बहादुर, निर्भीक और भारत की बिटिया कहकर जल्द बेहतर होने की कामना के साथ दुआएं मांग कर रहे थे.
लेकिन जब शनिवार तड़के सिंगापुर के अस्पताल में उसने दम तोड़ दिया, तब कई लोगों के ज़ेहन में ये सवाल कौंधा कि भारत में लड़कियों के साथ इतनी बुरी तरह सुलूक क्यों किया जाता है?जो फिर भी किसी तरह बच जाती हैं, उनमें से ज़्यादातर को अपनी पूरी ज़िंदगी भेदभाव, हिंसा और उपेक्षा सहनी पड़ती है, और इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि लड़की शादीशुदा है या कुंवारी.
ऐसे में कोई हैरानी नहीं होती कि थॉमसन रॉयटर्स की न्यूज़ सर्विस ट्रस्टलॉ ने भारत को औरतों के लिए दुनिया की सबसे बदतर जगह करार दिया है, सऊदी अरब से भी बदतर.
विडम्बना
भारत जैसे देश के लिए ये स्थिति बड़ी विडम्बनापूर्ण है.विडम्बना इसलिए क्योंकि भारत की सत्तारुढ़ पार्टी की मुखिया एक महिला है, संसद के निचले सदन लोकसभा की स्पीकर एक महिला है.
लोकसभा में विपक्ष की नेता एक महिला है, कुछ महिलाएं मुख्यमंत्री की कुर्सी पर काबिज़ हैं और कई महिलाएं खेल और कारोबार जगत में कामयाबी के झंडे गाड़ रही हैं.
भारत एक ऐसा भी मुल्क है जहां नई पीढ़ी में कई लड़कियां पहले के मुकाबले कहीं अधिक संख्या में घरों से बाहर निकलकर पुरुषों से कंधे से कंधा मिलाकर काम कर रही हैं.
बढ़ते अपराध
गुजरे साल 2011 की बात करें तो महिलाओं के खिलाफ अपराध के 24,000 से अधिक मामले दर्ज किए गए.
साल 2010 के मुकाबले बलात्कार के 9.2 प्रतिशत अधिक मामले सामने आए.
पचास फीसदी से ज़्यादा मामलों में पीड़िता की उम्र 18 से 30 वर्ष थी.
पुलिस रिकॉर्ड के मुताबिक, सबसे ज्यादा परेशान करने वाली बात ये है कि 94 प्रतिशत मामलों में महिलाओं को उनके करीबी लोगों ने ही अपनी हवस का शिकार बनाया.
पड़ोसी ने ही अपनी महिला पड़ोसी को निशाना बनाया और कई मामलों में लड़की के घर-परिवार के सदस्य और रिश्तेदार ही शामिल पाए गए.
पूरे भारत में बलात्कार के जितने मामले दर्ज किए गए, उनमें से 17 प्रतिशत से ज़्यादा मामले राजधानी दिल्ली में ही दर्ज हुए.
अपराध के और भी हैं बहाने
साल 2011 के पुलिस रिकॉर्ड बताते हैं कि देश में लड़कियों के अपहरण के मामले 19.4 प्रतिशत बढ़े हैं.दहेज मामलों में महिलाओं की मौत में 2.7 फीसद इज़ाफ़ा हुआ है.
प्रताड़ना की वजह से महिलाओं की मौत के मामले 5.4 प्रतिशत बढ़े हैं.
सबसे ज़्यादा चिंताजनक बात ये सामने आई है कि लड़कियों की तस्करी के मामले 122 प्रतिशत बढ़े हैं.
विशेषज्ञों की राय
नोबेल पुरस्कार विजेता अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन का अनुमान है कि दुनियाभर में दस करोड़ से अधिक महिलाएं लापता हो चुकी हैं.उनका ये भी कहना है कि इन महिलाओं को पुरुषों की तरह अच्छी खुराक और जरूरत पड़ने पर दवा मिली होती तो वे लापता नहीं होतीं.
सीवन एंडरसन और देवराज रे नामक दो अर्थशास्त्रियों के नए शोध से अनुमान लगाया गया है कि भारत में हर साल 20 लाख से ज्यादा महिलाएं लापता हो जाती हैं.
उनका कहना है कि इस मामले में भारत के दो राज्य हरियाणा और राजस्थान अव्वल हैं.
उनका ये भी मानना है कि ज्यादातर महिलाओं की मौत जख्मों से होती है जिससे ये पता चलता है कि उनके साथ हिंसा होती है.
जानकार ये भी कहते हैं कि इन तमाम समस्याओं से निपटने के लिए भारतीय समाज में गहरे बदलावों की जरूरत है.
आक्रोशित लोग कहते हैं कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह समेत तमाम नेता अपने वादों पर अमल नहीं करते जिसकी वजह से प्रभावी कानून लागू नहीं हो पाते और महिलाओं के खिलाफ अपराध थमते नहीं.
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