14-04-23-आज शाम सतसंग में पढ़ा गया बचध-कल से आगे:-
(3-7-31-शुक्र)
आज तय हो गया कि बतारीख 9 जुलाई बोर्ड ऑफ़ इंडस्ट्रीज के जलसे(अधिवेशन )में शिरकत(सम्मिलित होना)के बाद बनारस चला जाये और वहां यूनिवर्सिटी में प्रोफ़ेसर डूंगर सिंह का काम देखा जाये। इंतजाम किया जा रहा है।
रात भर बूंदा बांदी होती रही है क़रीबन 2 बजे सेहपहर(तीसरे पहर) को जोर से बारिश हुई। डेरी के सब पौधे खुश्क हो रहे थे। बड़े मौका से बारिश हुई। नहर बवजह टूट जाने के वक़्त पर पानी से जवाब दे गई।
सुबह जदीद(नई) हस्पताल की इमारत देखने के लिये गये रास्ते में बहुत से टांगे मिले जिनपर गुजराती लोग सवार थे। एक टांगे की सवारियां मुझे देखकर उतर गई। उन्होंने रा धा स्व आ मी की मैने जवाब दिया। मालूम होता है कि इलाहाबाद से ताल्लुक(संबंध) रखने वाले सतसंगी है। इन बन्दगाने-ख़ुदा(खुदा के बंदो) को कोई बतलावे कि इलाहाबाद पार्टी की क्या क्या मसरुफ़ियते(व्यस्तताएं) हैं और उनके मुन्तजिमान(प्रबन्धको) के क्या क्या खयालात है। यह बेचारे अपनी तरफ से सतसंग में शरीक हुए लेकिन सतसंग से कोसों दूर है। रा धा स्व आ मी दयाल दया फ़रमायें! क्रमश:----------
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