स्वणि॔म शुकराना
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ग्रेशस हुजूर सतसंगी साहब जी द्वारा रचित
गाऊँ रा-धा-स्व-आ-मी परम गुरु महिमा |
सुनाऊँ दया निज धार का बहना ||
काशीवासी भोलानाथ साहब मित्र रहना |
कनिका भक्तसहेली कृष्ण कुमार ब्याहना ||
एक नहीं तीन संतान अल्पायु रह जाना |
भोलानाथ करें फरियाद साहब देव एक दाना ||
होय संतान दीघऻयु सतसंग संस्कार समाना |
अस दयालदेई प्रेम सरन जन्म पा जाना ||
यथा प्रेम रंग होली खेलन संयोग मिलाना |
मेहता साहब प्रेम सरन पर्म आदर्श रहाना ||
सत्यवती विश्वनाथ-प्रेमबाला घर जन्माना |
अत एव प्रेम-सत्य संगम दीपावली पुन पुन सजाना ||
सुरत समागम हेतु प्रेम और दयाल प्यारी आ जाना |
रजत जयंती पर्म गुरु हुजूर चरन सरन मनाना ||
अर्श बानी मुक्ति भी सुरत समागम संयोग मिलाना |
पाणिग्रहण स्वणऺ-जयती रा-धा-स्व-आ-मी रा-धा-स्व-आ-मी शुकराना गाना ||
जिन्ही अपार मेहर-वृष्टि दासानुदास सरन पर होना |
जिन समरथ सतगुरु दाता संस्पर्शन प्रेम पुनः पुनः पा जाना ||
जस पारस स्पर्श से लोहा बन जाय सोना |
तस गुरु पाणिग्रहण से गुरुमुख गुरु-गति पाना ||
मै बुलबुल सम भया हूँ मस्ताना |
स्वणिऺम शुकराना गाता हूँ शुकराना ||
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