Tuesday, March 29, 2022

आज़ादी की दीवानी मस्तानी भीकाजी कामा


क्या आप जानते हैं?


प्रस्तुति -  उषा रानी / राजेंद्र प्रसाद


भारत की आज़ादी से चार दशक पहले, साल 1907 में विदेश में पहली बार भारत का झंडा एक महिला ने फहराया था!


46 वर्षीया भीकाजी कामा ने जर्मनी के स्टुटगार्ट में हुई दूसरी 'इंटरनेशनल सोशलिस्ट कांग्रेस' में यह झंडा फहराया था। यह भारत के आज के झंडे से अलग, आज़ादी की लड़ाई के दौरान बनाए गए कई अनौपचारिक झंडों में से एक था। उस वक्त देश में राष्ट्रवाद की लहर तेज थी, क्योंकि दो साल पहले ही बंगाल प्रांत का बंटवारा हुआ था। लोगों का गुस्सा अंग्रेज सरकार के खिलाफ अपनी चरम पर था। यह वह दौर था, जब महात्मा गांधी दक्षिण अफ़्रीका में ही थे, पर बंटवारे से उमड़े गुस्से में लोगों ने 'स्वदेशी' को तरजीह देने के लिए विदेशी कपड़ों का बहिष्कार शुरू कर दिया था।


लेखक बंकिम चंद्र चैटर्जी की किताब 'आनंदमठ' से निकला गीत 'वन्दे मातरम' राष्ट्रवादी आंदोलनकारियों में लोकप्रिय हो गया। भीकाजी कामा द्वारा फहराए झंडे पर भी 'वन्दे मातरम' लिखा था। इसमें हरी, पीली और लाल पट्टियां थीं। झंडे में हरी पट्टी पर बने आठ कमल के फूल भारत के आठ प्रांतों को दर्शाते थे। लाल पट्टी पर सूरज और चांद बना था। सूरज हिन्दू धर्म और चांद इस्लाम का प्रतीक था। यह झंडा अब भी पुणे की केसरी मराठा लाइब्रेरी में प्रदर्शित है।


एक गुलाम देश, एक आज़ाद सोच लिए, एक क्रांतिकारी महिला और हमारे देश का अपना पहला झंडा!! आज करीब 114 साल बाद यह घटना बड़ी आम लगती है, लेकिन उस वक्त यह निडरता, बहादुरी और अपने अधिकार को न छोड़ने की मिसाल रही होगी और ऐसी मिसाल पेश करने के लिए भीकाजी कामा को शत-शत नमन।


#Firstflag #india #फ्रीडमफैटर


🙏🏿🙏🏿

No comments:

Post a Comment

बधाई है बधाई / स्वामी प्यारी कौड़ा

  बधाई है बधाई ,बधाई है बधाई।  परमपिता और रानी मां के   शुभ विवाह की है बधाई। सारी संगत नाच रही है,  सब मिलजुल कर दे रहे बधाई।  परम मंगलमय घ...