*रा धा स्व आ मी!*
*04-01-23-आज शाम सतसंग में पढ़ा गया बचन-कल से आगे:-*
*(11.3.31-बुध का शेष भाग)*
*आज सेहपहर एक रजिस्ट्री चिट्ठी बाबू माघोप्रसाद साहब के नाम इलाहाबाद भेजी है। जिसमें लिखा है कि वाइसराय व कांग्रेस के बाहम समझौते का हाल जिसके लिये तमाम हिन्दोस्तान खुशियां मना रहा है आपको मालूम ही होगा हर कोई जानता है कि यह समझौता लन्दन की गोलमेज़ कांफ्रेंस की मेहरबानी से जहूर" में आया। इससे खयाल होता है कि अगर मुख्तलिफ " सतसंगों के अफ़सर बाहम मिलकर बैठें तो निहायत मुमकिन है कि सतसंग मंडली के अन्दर से निफ़ाक़ की सूरत" दूर हो जावे और सब मिलकर नौए-इन्सान की खिदमत कर सकें। अगर आप इस मामले में ज़रा दिलचस्पी लें तो निहायत आसानी से कांफ्रेंस मुनअक़िद और बारआवर" हो सकती हैं। और यह भी लिखा है कि यह तहरीर भेजने की हिम्मत मैंने इसलिये की है कि मुझे बार बार ख़याल आता है कि आप दिल से सतसंग के अन्दर मेल चाहते हैं। गर्जेकि' देखें क्या जवाब आता है। रा धा स्व आ मी दयाल दया फ़रमा कर सतसंग मंडली के अन्दर से निफ़ाक़ दूर करें।*
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