आग का पेट बड़ा है
#रात_पश्मीने_की❤️
आग को चाहिए हर लहज़ा चबाने के लिये
ख़ुश्क करारे पत्ते,
आग कर लेती है तिनकों में गुजारा लेकिन
आशियानों को निगलती है निवालों की तरह,
आग को सब्ज़ हरी टहनियाँ अच्छी नहीं लगती,
ढूंढती है, कि कहीं सूखे हुये जिस्म मिलें!
उसको जंगल की हवा रास बहुत है फिर भी,
अब गरीबों की कई बस्तियों पर देखा है हमला करते,
आग अब मंदिरों-मस्जिद की ग़ज़ा खाती है
लोगों के हाथों में अब आग नहीं-
आग के हाथों में कुछ लोग हैं अब...
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