Friday, January 13, 2023

 *रा धा स्व आ मी!                                    


   08-01-23-(9-1-23)-आज सुबह सतसंग में दोबारा पढ़ा गया बचन-कल से आगे:-(14.3.31-सनीचर)


-बरसात के दिनों में सतसंग के वक़्त जगह की किल्लत" की वजह से सबको सख़्त तकलीफ़ पहुँचती रही है आज एक तख़मीना" मंजूर किया गया जिससे 90 फ़ीट लम्बा और 50 फ़ीट चौड़ा टिन का शेड मौजूदा प्लेटफार्म पर डाला जा सकेगा। इस शेड की छत हस्बे मरजी खोली जा सकेगी। और लागत अन्दाजन" दस हजार रुपया होगी। उम्मीद है कि इस शेड से कुछ अरसा आराम से काम चल जावेगा मेरी दिली आरजू तो यह रही है और अब भी है कि एक नफीस सतसंग हाल स्वामीबाग़ में बने लेकिन स्वामीबाग का मामला अभी दूसरों के हाथ है इसलिये सरेदस्त टिन शेड ही गनीमत है।                                                               आज रात को सतसंग में बयान हुआ कि दुनिया के सामान हासिल करने के लिये जीव उम्र भर हाथ पांव मारते हैं सामान बड़ी मुश्किल से हाथ आते हैं बीमारी व बुढ़ापा आने से सामान बेकार हो जाते हैं। हर वक़्त चोर डाकू व जानवरों से नुक़सान होने का अंदेशा लगा रहता है मौत के वक़्त उनकी मोहब्बत सख्त तकलीफ़ का बाइस बन जाती है। दुनिया के सामान के भोग से जो सुख प्राप्त होता है उससे कहीं बढ़कर आनन्द आत्मदर्शन में है फिर क्यों न हम लोग आत्मदर्शन के लिये जतन करें ? यह दुरुस्त है कि आत्मदर्शन की प्राप्ति इतनी आसान नहीं है। लेकिन सुरत के छठे चक्र पर एकत्र होने से जो रस प्राप्त होता है उसके मुक़ाबले इस दुनिया के सभी भोग रस हेच' हैं। रा धा स्व आ मी मत के साधन करने से इस क़दर गति बआसानी प्राप्त हो सकती है। इस अन्तरी आनन्द को न चोर चुरा सकता है न डाकू छीन सकता है। बीमारी बुढ़ापा उसके भोग में किसी तरह मुज़ाहिम नहीं हो सकते। मौत के वक़्त उसके लुत्फ़ की कोई इन्तिहा ही नहीं रहती क्योंकि मौत के वक़्त सुरत खुद ही छठे चक्र की जानिब सिमटती है। इसके बाद मैंने उपनिषद के एक मंत्र का हवाला देकर बतलाया कि जैसे तिलों के अन्दर तेल छिपा है, दही के अन्दर घी, जमीन के नीचे पानी और लकड़ियों में आग। ऐसे ही आत्मा इन्सान के शरीर के अन्दर छिपा है। जो संजीदगी" व सच्चाई के साथ अपने अन्दर में पिलता है अपने घट का मंथन करता है, अन्तर में कुदाली चलाता है और नाम की रगड़ लगाता है वही आत्मदर्शन का लुत्फ़" उठाता है।                                                               🙏🏻रा धा स्व आ मी🙏🏻 रोजाना वाकिआत-परम गुरु हुज़ूर साहबजी महाराज!*

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