इन
सर्दियों में यदि आप अपनी सेहत बनाने की सोच रहे हैं तो सबसे पहले पेट साफ
करने की जरूरत है। पेट में कब्ज रहेगा तो कितने ही पौष्टिक पदार्थों का
सेवन करें, लाभ नहीं होगा। भोजन समय पर तथा चबा-चबाकर खाना चाहिए, ताकि
पाचन शक्ति ठीक बनी रहे, फिर पौष्टिक आहार या औषधि का सेवन करना चाहिए।
आचार्य
चरक ने कहा है कि पुरुष के शरीर में वीर्य तथा स्त्री के शरीर में ओज होना
चाहिए, तभी चेहरे पर चमक व कांति नजर आती है और शरीर पुष्ट दिखता है।हम
यहाँ कुछ ऐसे पौष्टिक पदार्थों की जानकारी दे रहे हैं, जिन्हें
किशोरावस्था से लेकर युवावस्था तक के लोग सेवन कर लाभ उठा सकते हैं और
बलवान बन सकते हैं-
* सोते समय एक गिलास मीठे गुनगुने गर्म दूध में एक चम्मच शुद्ध घी डालकर पीना चाहिए।
* दूध की मलाई तथा पिसी मिश्री जरूरत के अनुसार मिलाकर खाना चाहिए, यह अत्यंत शक्तिवर्द्धक है।
* एक बादाम को पत्थर पर घिसकर दूध में मिलाकर पीना चाहिए, इससे अपार बल मिलता है। बादाम को घिसकर ही उपयोग में लें।
* छाछ से निकाला गया ताजा माखन तथा मिश्री मिलाकर खाना चाहिए, ऊपर से पानी बिलकुल न पिएँ।
* 50 ग्राम उड़द की दाल आधा लीटर दूध में पकाकर खीर बनाकर खाने से अपार बल प्राप्त होता है। यह खीर पूरे शरीर को पुष्ट करती है।
* प्रातः एक पाव दूध तथा दो-तीन केले साथ में खाने से बल मिलता है, कांति बढ़ती है।
*
एक चम्मच असगंध चूर्ण तथा एक चम्मच मिश्री मिलाकर गुनगुने एक पाव दूर के
साथ प्रातः व रात को सेवन करें, रात को सेवन के बाद कुल्ला कर सो जाएँ। 40
दिन में परिवर्तन नजर आने लगेगा।
*
सफेद मूसली या धोली मूसली का पावडर, जो स्वयं कूटकर बनाया हो, एक चम्मच
तथा पिसी मिश्री एक चम्मच लेकर सुबह व रात को सोने से पहले गुनगुने एक पाव
दूध के साथ लें। यह अत्यंत शक्तिवर्धक है।
* सुबह-शाम भोजन के बाद सेवफल, अनार, केले या जो भी मौसमी फल हों, खाएँ।
* सुबह एक पाव ठंडे दूध में एक बड़ा चम्मच शहद मिलाकर पीने से खून साफ होता है, शरीर में खून की वृद्धि होती है।
*
प्याज का रस 2 चम्मच, शहद 1 चम्मच, घी चौथाई चम्मच मिलाकर सेवन करें और
स्वयं शक्ति का चमत्कार देखें। यह नुस्खा यौन शक्ति बढ़ाने में अचूक है।
ऊपर वर्णित नुस्खे स्त्री-पुरुष दोनों के लिए समान हैं। इन्हें अनुकूल
मात्रा में उचित विधि से सुबह-रात को सेवन सेवन करना चाहिए।
पेट व कमर कैसे कम करें
गलत
ढंग से आहार-विहार यानी खान-पान, रहन-सहन से जब शरीर पर चर्बी चढ़ती है तो
पेट बाहर निकल आता है, कमर मोटी हो जाती है और कूल्हे भारी हो जाते हैं।
इसी अनुपात से हाथ-पैर और गर्दन पर भी मोटापा आने लगता है। जबड़ों के नीचे
गरदन मोटी होना और तोंद बढ़ना मोटापे के मोटे लक्षण हैं।
मोटापे
से जहाँ शरीर भद्दा और बेडौल दिखाई देता है, वहीं स्वास्थ्य से सम्बंधित
कुछ व्याधियाँ पैदा हो जाती हैं, लिहाजा मोटापा किसी भी सूरत में अच्छा
नहीं होता। बहुत कम स्त्रियाँ मोटापे का शिकार होने से बच पाती हैं।
हर
समय कुछ न कुछ खाने की शौकीन, मिठाइयाँ, तले पदार्थों का अधिक सेवन करने
वाली और शारीरिक परिश्रम न करने वाली स्त्रियों के शरीर पर मोटापा आ जाता
है।प्रायः प्रसूति के बाद की असावधानी और गलत आहार-विहार करने से
स्त्रियों का पेट बढ़ जाया करता है।
प्रसव
के बाद 40 दिन तक पेट बाँधकर रखने से पेट बड़ा नहीं हो पाता। पेट बाँधने के
बेल्ट बाजार में मिलते हैं। पहली कोशिश तो यही करना चाहिए कि पेट बढ़ने ही
न पाए, क्योंकि एक बार पेट बढ़ जाने पर कम करना कठिन और समय साध्य कार्य हो
जाता है। इसके लिए दो-तीन बातों का ध्यान रखना जरूरी है।* प्रायः महिलाएँ
भोजन करके खूब पानी पिया करती हैं।
भोजन
के अन्त में पानी पीना उचित नहीं, बल्कि एक-डेढ़ घण्टे बाद ही पानी पीना
चाहिए। इससे पेट और कमर पर मोटापा नहीं चढ़ता, बल्कि मोटापा हो भी तो कम हो
जाता है।
*
आहार भूख से थोडा कम ही लेना चाहिए। इससे पाचन भी ठीक होता है और पेट बड़ा
नहीं होता। पेट में गैस नहीं बने इसका खयाल रखना चाहिए। गैस के तनाव से
तनकर पेट बड़ा होने लगता है। दोनो समय शौच के लिए अवश्य जाना चाहिए।
* भोजन में शाक-सब्जी, कच्चा सलाद और कच्ची हरी शाक-सब्जी की मात्रा अधिक और चपाती, चावल व आलू की मात्रा कम रखना चाहिए।
* सप्ताह में एक दिन उपवास या एक बार भोजन करने के नियम का पालन करना चाहिए। उपवास के दिन सिर्फ फल और दूध का ही सेवन करना चाहिए।
*
पेट व कमर का आकार कम करने के लिए सुबह उठने के बाद या रात को सोने से
पहले नाभि के ऊपर के उदर भाग को 'बफारे की भाप' से सेंक करना चाहिए। इस
हेतु एक तपेली पानी में एक मुट्ठी अजवायन और एक चम्मच नमक डालकर उबलने रख
दें। जब भाप उठने लगे, तब इस पर जाली या आटा छानने की छन्नी रख दें। दो
छोटे नैपकिन या कपड़े ठण्डे पानी में गीले कर निचोड़ लें और तह करके एक-एक
कर जाली पर रख गरम करें और पेट पर रखकर सेंकें। प्रतिदिन 10 मिनट सेंक
करना पर्याप्त है। कुछ दिनो में पेट का आकार घटने लगेगा।
*
सुबह उठकर शौच से निवृत्त होने के बाद निम्नलिखित आसनों का अभ्यास करें या
प्रातः 2-3 किलोमीटर तक घूमने के लिए जाया करें। दोनों में से जो उपाय
करने की सुविधा हो सो करें।
*
भुजंगासन, शलभासन, उत्तानपादासन, सर्वागासऩ, हलासन, सूर्य नमस्कार। इनमें
शुरू के पाँच आसनों में 2-2 मिनट और सूर्य नमस्कार पाँच बार करें तो पाँच
मिनट यानी कुल 15 मिनट लगेंगे। इन आसनों की विधि वेबदुनिया के योग चैनल से
प्राप्त की जा सकती है।
* भोजन में गेहूँ के आटे की चपाती लेना बन्द
करके जौ-चने के आटे की चपाती लेना शुरू कर दें। इसका अनुपात है 10 किलो
चना व 2 किलो जौ। इन्हें मिलाकर पिसवा लें और इसी आटे की चपाती खाएँ। इससे
सिर्फ पेट और कमर ही नहीं सारे शरीर का मोटापा कम हो जाएगा।
* प्रातः एक गिलास ठण्डे पानी में 2 चम्मच शहद घोलकर पीने से भी कुछ दिनों में मोटापा कम होने लगता है।
दुबले
होने के लिए दूध और शुद्ध घी का सेवन करना बन्द न करें। वरना शरीर में
कमजोरी, रूखापन, वातविकार, जोड़ों में दर्द, गैस ट्रबल आदि होने की
शिकायतें पैदा होने लगेंगी।ऊपर बताए गए उपाय करते हुए घी-दूध खाते रहिए,
मोटापा नहीं बढ़ेगा। इस प्रकार उपाय करके पेट और कमर का मोटापा निश्चित रूप
से घटाया जा सकता है। ये सब उपाय सफल सिद्ध हुए हैं।
एसिडिटी से करें बचाव
लाएँ खान-पान में सुधार
-डॉ. इकबाल मोदी
एसिडिटी
की समस्या आज एक आम बात हो गई है। इसका कारण गलत खान-पान, प्रदूषण,
धूम्रपान, शराब का सेवन और चाय, कॉफी व कैफीनयुक्त पदार्थों का अधिक
प्रयोग है। एसिडिटी होने पर पाचन विकार उत्पन्न हो जाते हैं, भोजन ठीक से
नहीं पचता। इसके कारण घबराहट होती है, खट्टी डकारें आती हैं और गले में
जलन-सी भी महसूस होती है।
एसिडिटी
से बचाव के लिए सबसे जरूरी है खान-पान में सुधार। आजकल समयाभाव के चलते
जल्दी में बिना चबाए भोजन निगल जाने के कारण पाचन क्रिया सही ढंग से नहीं
हो पाती, इसलिए भोजन हमेशा चबा-चबाकर खाना चाहिए, ताकि वह अच्छी तरह से
लार में मिल जाए। यही नहीं, भोजन भूख से थोड़ा कम खाना चाहिए।
आजकल अधिकांश लोगों को बाहर के खाने का शौक हो गया है और वे बाजार में मिर्च-मसाले व अधिक वसायुक्त भोजन करते हैं।
ऐसा
भोजन भी एसिडिटी पैदा करता है। खाना खाने के बाद अगर आप टहलें तो खाना पच
जाता है। रोजाना 8-10 गिलास पानी अवश्य पीना चाहिए। समयानुसार भोजन करें।
असमय किया गया भोजन भी एसिडिटी उत्पन्न करता है।
सर्दियों के लिए कारगर नुस्खे
नुस्खेसर्दी,"
आजमाइए, लाभ उठाइए
*
भोजन में घी, दूध, चावल, उड़द, नारियल, मलाई, मक्खन, शहद, मौसमी फल, हलवा,
हरी साग-भाजी, टमाटर, गाजर, आँवला आदि का सेवन करना चाहिए।
* सर्दियों
में बादाम का हलवा, दूध में पकाया हुआ छुहारा, मीठा अनार, प्याज का रस,
नारियल की गिरी और दूध की खीर, उड़द दाल का लड्डू, गन्ना रस, सौंठ और काली
मिर्च तथा मैथी का लड्डू बहुत फायदेमंद है। योग्य वैद्य की सलाह अवश्य
लेनी चाहिए, ताकि अपने शरीर के अनुकूल पथ्य-अपथ्य का चयन किया जा सके।
*
चिकनाईयुक्त, मधुर, लवण और अम्ल रस वाले पदार्थं का सेवन करके अपना
स्वास्थ्य बनाए रखें। बासी, दुर्गंधयुक्त, अधिक चटपटे मसालेदार खानपान से
बचना ही श्रेयस्कर है।
* ठीक समय पर, चबा-चबाकर प्रसन्नतापूर्वक भोजन करना चाहिए। भोजन के पूर्व नीबू पानी और भोजन के पश्चात छाछ पीना लाभदायक होता है।
*
इस ऋतु में रूखे, कटु-तिक्त-कषाय, अति शीतल और वात प्रधान भोज्य पदार्थ न
खाएँ । अन्यथा जोड़ों के दर्द, गठिया और सायटिका से पीड़ित हो सकते हैं। इसी
प्रकार अधिक खटाई से भी बचें, ताकि खाँसी-सर्दी, जुकाम, नजला आदि से बचाव
हो सके। नीबू और ताजा दही वर्जित नहीं है।
*
शीतऋतु में अधिक देर तक भूखे न रहें, क्योंकि जठराग्नि की प्रबलता के कारण
यथासमय भोजन नहीं करने से यह अग्नि शरीर की धातुओं को जला डालती है, जिससे
जीवन-शक्ति का क्षय होता है।
*
सेहत बनाने के लिए प्रतिदिन स्नान भी जरूरी है। कुछ लोग ठंड के डर से कई
दिन तक नहाते नहीं, यह उचित नहीं। पानी कुनकुना कर लेना चाहिए। अत्यधिक
ठंडा और अधिक गर्म पानी नुकसान पहुँचाता है।
* मल-मूत्र विसर्जन में आलस्य नहीं करना चाहिए। रात को सिर ढँककर सोना भी उचित नहीं होता।
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