Vidisha seen in nine countries enactment
1/22/2015 2:00:39 AM
विदिशा। शहर की रामलीला को यूं ही ऎतिहासिक नहीं कहा जाता, अपने 114 वर्ष मना रही यह रामलीला विदिशा में ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी खूब देखी जा रही है। रामलीला की वेबसाइट के जरिए नौ देशोे में इसे देखा गया है। अब तक रामलीला की साइट को देश-विदेश के 1 लाख 63 हजार 851 दर्शक देख चुके हैं।
इन देशों में देखी गई साइट
रामलीला मेला समिति की साइट (द्धह्लह्लp://222.raद्वद्यeeद्यa1iस्त्रiह्यद्धaद्वp.श्rद्द/) नगर के ही युवक बलराम साहू द्वारा तैयार की गई है। साहू के मुताबिक इस वेबसाइट को भारत के अलावा अमेरिका, साउथ अफ्रीका, ब्राजील, मैक्सिको, इटली, अर्जेटीना, इक्वाडोर, तथा पनामा देशों में देखा गया है। इस वेबसाइट में रामलीला के इतिहास, उसके संविधान और 1956 से लेकर अब तक के पदाधिकारियों का भी पूरा विवरण दिया गया है। इसके साथ ही यहां होने वाली रामलीला के तमाम फोटो और वीडियो भी डाली गई हैं, जिसे दर्शक बेहद पसंद कर रहे हैं। विदिशा से जुड़े जो लोग विदेशों मे बसे हैं, उन्होंने वहां भी रामलीला को लोकप्रिय बनाया है।
समिति के प्रधान संचालक चंद्र किशोर मिश्र शास्त्री ने बताया कि उनके परिजनों में से रानी दुबे और कंचन दुबे लंदन में बसी हैं, उन्होंने फोन कर बताया है कि रामलीला की साइट पर वे भी अपने परिवार और परिचितों सहित विदिशा की रामलीला का आनंद लेते हैं। इसी तरह दक्षिण अफ्रीका में बसीं भाग्यश्री शर्मा भी अपने परिवार और परिचितों के साथ विदिशा की रामलीला देखती और उसकी खासियत से वहां के लोगों को अवगत कराती हैं।
विदिशा की रामलीला हमारी सांस्कृतिक धरोहर है। समय के साथ थोड़े-बहुत परिवर्तन हुए, लेकिन रामलीला के मूल स्वरूप में बदलाव नहीं हुआ। लोग इससे दिल से जुड़े हैं। विदेशों में भी इसकी ख्याति इसकी लोकप्रियता बताती है।
पं. चंद्रकिशोर मिश्र शास्त्री, प्रधान संचालक, रामलीला मेला समिति
इन देशों में देखी गई साइट
रामलीला मेला समिति की साइट (द्धह्लह्लp://222.raद्वद्यeeद्यa1iस्त्रiह्यद्धaद्वp.श्rद्द/) नगर के ही युवक बलराम साहू द्वारा तैयार की गई है। साहू के मुताबिक इस वेबसाइट को भारत के अलावा अमेरिका, साउथ अफ्रीका, ब्राजील, मैक्सिको, इटली, अर्जेटीना, इक्वाडोर, तथा पनामा देशों में देखा गया है। इस वेबसाइट में रामलीला के इतिहास, उसके संविधान और 1956 से लेकर अब तक के पदाधिकारियों का भी पूरा विवरण दिया गया है। इसके साथ ही यहां होने वाली रामलीला के तमाम फोटो और वीडियो भी डाली गई हैं, जिसे दर्शक बेहद पसंद कर रहे हैं। विदिशा से जुड़े जो लोग विदेशों मे बसे हैं, उन्होंने वहां भी रामलीला को लोकप्रिय बनाया है।
समिति के प्रधान संचालक चंद्र किशोर मिश्र शास्त्री ने बताया कि उनके परिजनों में से रानी दुबे और कंचन दुबे लंदन में बसी हैं, उन्होंने फोन कर बताया है कि रामलीला की साइट पर वे भी अपने परिवार और परिचितों सहित विदिशा की रामलीला का आनंद लेते हैं। इसी तरह दक्षिण अफ्रीका में बसीं भाग्यश्री शर्मा भी अपने परिवार और परिचितों के साथ विदिशा की रामलीला देखती और उसकी खासियत से वहां के लोगों को अवगत कराती हैं।
विदिशा की रामलीला हमारी सांस्कृतिक धरोहर है। समय के साथ थोड़े-बहुत परिवर्तन हुए, लेकिन रामलीला के मूल स्वरूप में बदलाव नहीं हुआ। लोग इससे दिल से जुड़े हैं। विदेशों में भी इसकी ख्याति इसकी लोकप्रियता बताती है।
पं. चंद्रकिशोर मिश्र शास्त्री, प्रधान संचालक, रामलीला मेला समिति
नौ देशों में देखी जा रही विदिशा की रामलीला
Vidisha seen in nine countries enactment
1/22/2015 2:00:39 AM
विदिशा। शहर की रामलीला को यूं ही ऎतिहासिक नहीं कहा जाता, अपने 114 वर्ष मना रही यह रामलीला विदिशा में ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी खूब देखी जा रही है। रामलीला की वेबसाइट के जरिए नौ देशोे में इसे देखा गया है। अब तक रामलीला की साइट को देश-विदेश के 1 लाख 63 हजार 851 दर्शक देख चुके हैं।
इन देशों में देखी गई साइट
रामलीला मेला समिति की साइट (द्धह्लह्लp://222.raद्वद्यeeद्यa1iस्त्रiह्यद्धaद्वp.श्rद्द/) नगर के ही युवक बलराम साहू द्वारा तैयार की गई है। साहू के मुताबिक इस वेबसाइट को भारत के अलावा अमेरिका, साउथ अफ्रीका, ब्राजील, मैक्सिको, इटली, अर्जेटीना, इक्वाडोर, तथा पनामा देशों में देखा गया है। इस वेबसाइट में रामलीला के इतिहास, उसके संविधान और 1956 से लेकर अब तक के पदाधिकारियों का भी पूरा विवरण दिया गया है। इसके साथ ही यहां होने वाली रामलीला के तमाम फोटो और वीडियो भी डाली गई हैं, जिसे दर्शक बेहद पसंद कर रहे हैं। विदिशा से जुड़े जो लोग विदेशों मे बसे हैं, उन्होंने वहां भी रामलीला को लोकप्रिय बनाया है।
समिति के प्रधान संचालक चंद्र किशोर मिश्र शास्त्री ने बताया कि उनके परिजनों में से रानी दुबे और कंचन दुबे लंदन में बसी हैं, उन्होंने फोन कर बताया है कि रामलीला की साइट पर वे भी अपने परिवार और परिचितों सहित विदिशा की रामलीला का आनंद लेते हैं। इसी तरह दक्षिण अफ्रीका में बसीं भाग्यश्री शर्मा भी अपने परिवार और परिचितों के साथ विदिशा की रामलीला देखती और उसकी खासियत से वहां के लोगों को अवगत कराती हैं।
विदिशा की रामलीला हमारी सांस्कृतिक धरोहर है। समय के साथ थोड़े-बहुत परिवर्तन हुए, लेकिन रामलीला के मूल स्वरूप में बदलाव नहीं हुआ। लोग इससे दिल से जुड़े हैं। विदेशों में भी इसकी ख्याति इसकी लोकप्रियता बताती है।
पं. चंद्रकिशोर मिश्र शास्त्री, प्रधान संचालक, रामलीला मेला समिति
इन देशों में देखी गई साइट
रामलीला मेला समिति की साइट (द्धह्लह्लp://222.raद्वद्यeeद्यa1iस्त्रiह्यद्धaद्वp.श्rद्द/) नगर के ही युवक बलराम साहू द्वारा तैयार की गई है। साहू के मुताबिक इस वेबसाइट को भारत के अलावा अमेरिका, साउथ अफ्रीका, ब्राजील, मैक्सिको, इटली, अर्जेटीना, इक्वाडोर, तथा पनामा देशों में देखा गया है। इस वेबसाइट में रामलीला के इतिहास, उसके संविधान और 1956 से लेकर अब तक के पदाधिकारियों का भी पूरा विवरण दिया गया है। इसके साथ ही यहां होने वाली रामलीला के तमाम फोटो और वीडियो भी डाली गई हैं, जिसे दर्शक बेहद पसंद कर रहे हैं। विदिशा से जुड़े जो लोग विदेशों मे बसे हैं, उन्होंने वहां भी रामलीला को लोकप्रिय बनाया है।
समिति के प्रधान संचालक चंद्र किशोर मिश्र शास्त्री ने बताया कि उनके परिजनों में से रानी दुबे और कंचन दुबे लंदन में बसी हैं, उन्होंने फोन कर बताया है कि रामलीला की साइट पर वे भी अपने परिवार और परिचितों सहित विदिशा की रामलीला का आनंद लेते हैं। इसी तरह दक्षिण अफ्रीका में बसीं भाग्यश्री शर्मा भी अपने परिवार और परिचितों के साथ विदिशा की रामलीला देखती और उसकी खासियत से वहां के लोगों को अवगत कराती हैं।
विदिशा की रामलीला हमारी सांस्कृतिक धरोहर है। समय के साथ थोड़े-बहुत परिवर्तन हुए, लेकिन रामलीला के मूल स्वरूप में बदलाव नहीं हुआ। लोग इससे दिल से जुड़े हैं। विदेशों में भी इसकी ख्याति इसकी लोकप्रियता बताती है।
पं. चंद्रकिशोर मिश्र शास्त्री, प्रधान संचालक, रामलीला मेला समिति
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