#प्रस्तुति - रेणु दत्ता / आशा सिन्हा
हनुमान जी भगवान शिव के ग्यारहवें रूद्र अवतार हैं। हनुमान जी विजय के प्रतीक हैं। शक्ति, ज्ञान और भक्ति के उदाहरण है हनुमान जी। हनुमान जी बुराई के विनाशक और भक्तों के रक्षक हैं।
हनुमान जी आठ सिद्धियां और नौ निधियों के दाता हैं। हनुमान जी के इन बारह नामों का पाठ करने से हमें दसों दिशाओं और आकाश- पाताल से भी आशीर्वाद प्राप्त होता है ।
रामचरितमानस में कहा गया है,
"कलयुग केवल नाम आधारा सुमिरि-सुमिरि नर उतर ही पारा"
1. हनुमान : हनुमान का अर्थ होता है अहंकार का हनन करना।
2. अंजनी सुत : हनुमान जी का दूसरा नाम है अंजनी सुत । अंजनी उनकी माता का नाम है और सुत का अर्थ होता है पुत्र अथार्त माता अंजनी के पुत्र।
3 महाबल : हनुमान जी को महाबल या महाबली भी कहते हैं। हनुमान जी बहुत ही बलशाली है।
4. पवन पुत्र : हनुमान जी को पवन पुत्र भी कहते हैं क्योंकि उनके पिता पवन देव हैं अर्थात वायु देव ।
5 रामेष्ठ : हनुमान जी श्री राम के अनन्य भक्त थे और श्री राम को भी हनुमान जी बहुत प्रिय थे इसलिए उन्हें रामेष्ठ भी कहा जाता है।
6 फाल्गुन सखा : हनुमान जी को फाल्गुन सखा भी कहा जाता है। यहां फाल्गुन से आशय है अर्जुन और हनुमान जी अर्जुन के मित्र हैं।
7 पिंगाक्ष : हनुमान जी को पिंगाक्ष भी कहते हैं। पिंगाक्ष का अर्थ होता है भूरे नेत्र वाला अर्थात भूरी आंखों वाला ।
8 अमित विक्रम: हनुमान जी को अमित विक्रम भी कहते हैं अमित विक्रम का अर्थ होता है वीरता की साक्षात मूर्ति।
9 उदधि क्रमण : हनुमान जी को उदधि क्रमण भी कहते हैं क्योंकि हनुमान जी ने उदधि अथार्त समुद्र को लांघा था।
10 सीता शोक विनाशन : हनुमान जी ने माता सीता के शोक का नाश किया था।
11 लक्ष्मण प्राण दाता : हनुमान जी को लक्ष्मण प्राण दाता भी कहा गया है। जब लक्ष्मण जी मूर्छित हो गए थे तब हनुमान जी संजीवनी बूटी लेकर आए और लक्ष्मण जी को जीवित किया था ।
12 दशग्रीव दर्पहा: भगवान हनुमान को दशग्रीव दर्पहा भी कहा गया है। हनुमान जी ने रावण के घमंड को दूर किया था।
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