दयालबाग, एक ऐसा स्थान ज़िस मे खुशबू बसती हैं अध्यातम , धर्म , शिक्षा , जन कल्याण और सर्व धर्म सम्भाव की, परम पूज्ये गुरुओ की महान शिक्षा की |
सन 1915 मे उस समय के आचार्य साहब जी महाराज ने इस आश्रम की नीव रखी थी , जमीन विधिवत अधिग्रहीत करी गई थी तथा उस समय यहां ऊबड खाबड भूमि को जो कि किसी भी प्रकार से उपयोग की स्थिती मे नहीं थी , उस का सुधार कई सालों के कठिन परिश्रम के बल पर सत्संगी लोगो द्वारा किया गया , यह ही नहीं साहब जी महाराज ने स्वदेशी की महत्ता को बहुत पहले समझ कर यहां कई रोजाना इस्तेमाल की वस्तुओ के निर्माण हेतु कारखाने स्थापित किये , ज़िस में न सिर्फ इस मत के अनुयायी बल्कि अन्य कई non satsangi लोगो को भी रोजगार मिला , यह बात हैं सन 1915 से 1937 तक के बीच की , जब देश अंग्रेजो के राज मे था और देश मे तमाम संकट थे , उस वक्त उन्होने हिंदुस्तानी जनता की भलाई हेतु REI नामक intermediate तक का स्कूल खोला और इस स्कूल के छात्र जो कि आज भी 90% से अधिक non satsangi परिवारो से आते हैं उन्होने देश विदेश मे बड़ा नाम कमाया, यही नहीं सरन आश्रम अस्पताल की भी स्थापना करी जो आज भी पूरे शहर के लोगो को बेहतरीन इलाज फ्री मे प्रदान करता हैं , यहां सिर्फ 2 रूपये का पर्चा बनता हैं जो 1 साल तक चलता हैं , गरीब को इस से अच्छा, फ्री और आसानी से उपलब्ध इलाज कहीं और मिलता हो तो जाने , यहां के DEI विश्वविध्यालय का नाम पूरे देश विदेश मे हैं , जहां हजारो बच्चे पढ़ कर अपना भविष्य उज्जव करते हैं , यहां भी शिक्षक और students non satsangi भी हैं , students तो अधिकतर non satsangi ही हैं |
पूरे आगरा मे अगर कहीं concrete जंगल नहीं बना हैं तो वो जगह दयालबाग ही हैं , वरना builders और भूमाफीआ यहां भी बड़ी बड़ी बिल्डिंग तान देते और शहर का eco-सिस्टम खराब कर चुके होते , दयालबाग को आगरा का environment park भी कह सकते हैं जो पूरे शहर को fresh oxigen देने का काम करता हैं , यहां कई प्रजाती के पौधे लगाये ज़ाते हैं और उन की चिकित्सा मे उपयोग पर शोध भी हो रहा हैं |
दयालबाग का योगदान समाज मे केवल यही नहीं हैं , यहां हिन्दु धर्म मे व्याप्त कई कुरीतिया जैसे जात पात ,
ऊँच नीच आदि को भी अपने समाज मे पनपने का मौका नहीं दिया गया हैं , किसी भी जात का व्यक्ति यहां समान अधिकार और सम्मान पाता हैं जो किसी और को प्राप्त हो , यहां विवाह , रिश्ते जात देख कर नहीं किये ज़ाते वरन जो योग्य हैं उस को प्राथमिकता मिलती हैं |
दयालबाग , अध्यातम , सुरत शब्द अभ्यास द्वारा साधना कर के उस परम पिता परमात्मा से मिलने का द्वार हैं, यहां नियमित तौर पर धर्म , चेतना तथा व्यक्तिक विकास पर गहन शोध तथा conferences होती रहती हैं , यहां की university की distence education की branches पूरे देश मे कई शहरो मे हैं जहां बच्चे पढ़ कर अपना जीवन सुधारते हैं |
यहां समाज के बच्चो को superman बनने की शिक्षा बचपन से मिलती हैं , उन के चरित्रनिर्माण तथा शारीरिक तथा मानसिक विकास और मजबूती पर बल दिया जाता हैं , क्यो किया जाता हैं तो यह बताना भी ज़रूरी हैं , देश और विदेश मे राजनीतिक और समाजिक उठा पटक सदा से चली आई हैं इस लिये हमें आने वाले कल के लिये इस समाज से volunteers तैयार करने हैं जो उस मुशकिल वक्त मे जन कल्यान के हेतु तत्पर रहे , यह कोई फौज नहीं बन रही पर यह volunteers की फौज आने वाले समय मे जनता और निरीहजन के सहयोग के लिए बनाई जा रही हैं |
कुछ समय से दयालबाग और सत्संगी लोगो पर निराधार आरोप समाचार पत्रो तथा social media पर लगाये
जा रहे हैं , जो वास्तविकता से कोसो परे हैं , न तो वो varified हैं और न ही किसी भी रूप मे स्वीकार करने योग्य|
दयालबाग की भूमि किसी 1 व्यक्ति की मालकियत नहीं हैं , यह विधिवत अधिग्रहित की गई हैं , इस से सम्बंधी सभी दस्तावेज राधास्वामी सत्संग सभा के पास सुरक्षित हैं तथा प्रशासन या उस का वकील जब चाहे उन का अवलोकन करें परंतु इस प्रकार की कार्येवाही ज़िस मे निर्दोष लोगो को मारा पीटा गया , छोटे बच्चो तक को बक्शा नहीं गया वो सभ्य समाज मे घोर निन्दनीय हैं और और वर्तमान जनकल्यान की नीति पर चलने वाली B J P सरकार के शासन काल मे तो इस प्रकार की बर्बारिक अत्याचार की तो कोई उम्मीद भी नहीं कर सकता |
सरकार से आशा हैं कि वो न्याय करेगी और जनता से भी यह उम्मीद हैं कि वो पीत पत्रकारिता से प्रभावित हुये बिना अपनी विवेक बुद्धि का इस्तेमाल करेगे किसी पर भी बेबुनियाद आरोप लगाने से पहले सोचे , सत्संगी जन भी समाज का हिस्सा हैं और उन को भी अपनी बात सरकार और समाज मे रखने का पूरा अधिकार हैं , कोई जंगलराज नहीं चल रहा कि सोशल media पर किसी का भी चरित्रहनन कर दिया जाये और उस को प्रताडित किया जाये |
जो कुछ भी सत्य होगा वो समय आने पर खुद ब खुद सामने आयेगा, पहले भी आया था और अब भी आयेगा और वो समय आँख खोलने वाला होगा |
जय हिन्द/ रा धा / ध
स्व आ मी
🙏🙏🙏🙏
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