-एक दीवार और चंद गेट तोड़े जाने से नहीं टूटने वाली सतसंग सभा, अटल और अविनाशी है राधास्वामी सतसंग सभा
शनिवार को दयालबाग आगरा में राधास्वामी सतसंग सभा के स्वामित्व वाली भूमि पर लगे गेट और बनी दीवारों को प्रशासन के बुलडोजरों के तोड़ते समय जो लोग खुशी से नारे लग रहे थे, नाच और गा रहे थे, उन्हें शायद यह नहीं मालूम कि चंद गेट और एक दीवार टूटने से राधास्वामी सतसंग सभा नहीं टूटने वाली, वह तो अटल-अडिग और अविनाशी है। ऐसे न जाने कितने झंझावात आए और गए, कोई उसका कुछ नहीं बिगाड़ पाया। क्योंकि जिस तरह सत्य हमेशा अपराजेय है, बिलकुल उसी तरह राधास्वामी सतसंग सभा दयालबाग आगरा भी अपराजेय। उसका ना तो कोई आदि है और ना ही कोई अंत, वह तो अनंत है। *रा धा/ध: स्व आ मी* शब्द की गूंज पूरे ब्रह्मांड में गुंजायमान है। ऐसे में यह अनैतिक और अवैध प्रशासनिक कार्रवाई उसका क्या बिगाड़ लेगी, उसका क्या बिगाड़ सकती। यह कार्रवाई कोई मायने नहीं रखती।
*छत्रपति शिवाजी महाराज ने विदेशी आक्रांताओं द्वारा तुलजा भवानी का मंदिर तोड़े जाने पर कहा था, मंदिर टूटने से देवी तुलजा भवानी नहीं टूटा करती। इतिहास गवाह है कि उनके कहे में कितनी सच्चाई थी। शिवाजी महाराज की कही इस बात को समय ने साबित किया।* कुल मलिक राधास्वामी दयाल के रचित इस खेल में भी आने वाले कल का वह भविष्य छुपा हुआ है, जिसकी कल्पना कर पाना भी असंभव। बिना उनकी मर्जी के पत्ता भी नहीं हिलता तो आज प्रशासन इतनी बड़ी कार्रवाई कैसे कर पाया। जाहिर सी बात है, कहीं ना कहीं जगत के कल्याण के लिए इसमें भी उनकी मर्जी शामिल थी, उनका कोई संदेश जरूर छुपा हुआ है इसके पीछे, जो आने वाला भविष्य तय करेगा। क्योंकि देश-दुनिया में फैले लाखों-करोड़ों सतसंगियों के दिलों पर आज जो गुजरी है, उनके मन में इस कार्रवाई को लेकर आक्रोश है, उसका प्रतिकार कहीं तो निकलेगा। सतसंगियों का यही आक्रोश आने वाले कल के भविष्य का और तमाम के भाग्य का फैसला करेगा।
और आज जो इस कार्रवाई को लेकर खुश हो रहे हैं, जश्न मना रहे हैं, उन्हें आने वाला वक्त बताएगा हकीकत क्या है, सच क्या था और झूठ क्या है। दीवारों और गेट का क्या है, वह तो बनते-बिगड़ते रहते हैं। सुबह तोड़े गए, शाम को लग गए, हो सकता आगे भी तोड़े जाएं, तो क्या हुआ, फिर लग जाएंगे। यह तो सतत् प्रक्रिया है, इसे कौन रोक सकता है। और कौन रोक सका है, जिस किसी ने भी इसे रोकने की कोशिश की, वह मुंह की खाया है। आज नहीं तो कल। इतिहास गवाह है, पहले भी तमाम इसे रोकने-तोड़ने आए, वक्त ने उन्हें जेल की सलाखों के पीछे पहुंचा दिया था। उन्होंने और उनके घर परिवार वालों ने नाक रगड़कर माफी मांगी, दया की अर्चना की, जीवो के कल्याण के लिए धरती पर अवतरित हुए राधास्वामी दयाल ने उन पर भी रहम किया। पर, व्यक्ति को अपने कर्मों का हिसाब इसी जन्म में देना होता है, इसलिए हिसाब तो देना ही पड़ेगा।
आज से पहले भी प्रशासनिक शह पर कई तरह की कोशिशें की गईं पर, हर बार समाज के दुश्मनों ने मुंह की खायी। और राधास्वामी सतसंग सभा पहले से और अधिक मजबूत हुई । *सतसंग पर हमला हमें कमजोर नहीं मजबूत बनाता, हमारे संकल्प को दृढ़ करता है, हमारी सेवा भावना को उग्र करता है और क्रोध को शांत कर हृदय को निर्मल करता है *
यही वजह है कि शासन-सत्ता के घमंड में चूर शनिवार को दयालबाग आगरा में जिला प्रशासन ने मनमानेपन का जो तांडव किया, राधास्वामी सतसंग के अनुयायियों ने सक्षम होते हुए भी उसका कोई प्रतिकार नहीं किया। शांत भाव से सब कुछ होता हुआ देखते रहे। छोटी-छोटी झोपड़ पत्तियों को हटाने में प्रशासन के पसीने छूट जाते हैं चंद लोगों के सामने उनके बुलडोजर खड़े-खड़े रह जाते हैं। ऐसे में हजारों सतसंगियों यह रहते क्या कार्रवाई इतनी आसानी से और शांति से कर पाता। बिल्कुल भी नहीं, वह सिर्फ इसलिए कर पाया कि राधास्वामी सत्संग के आचार्य ने हमें संयम, धैर्य और शांत रहना सिखाया है। हमें सच्चा मार्ग दिखाया है, सन्मार्ग दिखाया है, हमें मालूम है कि सच एक दिन सामने आएगा और दुनिया को रोशनी दिखाएगा। तब हम सिर्फ हम होंगे।
पर, आज की अनैतिक और अवैध प्रशासनिक कार्रवाई की गूंज दूर तलक जाएगी और लंबे समय तक रहेगी। उसकी धमक दोषियों अपना कोजवाब खुद देगी और बाखूबी देगी। आने वाला वक्त इसका गवाह बनेगा, जिन्होंने भी इस षड्यंत्र की नींव रखी है, साथ दिया है, उन्हें भी इसका जवाब देना होगा, अवश्य देना होगा। यहां नहीं तो वहां पर, देना जरूर पड़ेगा। क्योंकि उसके घर में देर है पर, अंधेर नहीं।
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करोड़ों सतसंगियों के हृदय में शूल की तरह चुभा, डा. एमबी लाल साहब की समाधि का तोड़ा जाना
थम नहीं रहा देश दुनिया में फैले करोड़ों सतसंगियों का आक्रोश, प्रशासन का सभा की निजी भूमि पर बनी राधास्वामी धाम गमन कर चुके आचार्य की समाधि का बुलडोजर चला तोड़ा
शासन और सत्ता के नशे में चूर आगरा जिला प्रशासन के अधिकारियों ने अपने मनमानेपन में राधास्वामी सतसंग सभा के अनुयायियों की धार्मिक भावनाओं का भी ख्याल नहीं किया। अनैतिक और अवैध तरीके से राधास्वामी सतसंग सभा की निजी स्वामित्व की भूमि पर राधास्वामी धाम गमन कर चुके आचार्य डा. एमबी लाल साहब की समाधि कि ना सिर्फ बेकद्री की बल्कि बुलडोजर चलाकर उसे तोड़ भी दिया। जबकि समाधि निजी भूमि पर एक तरफ किनारे स्थापित थी। ना तो वह किसी का रास्ता रोक रही थी, नई उसकी वजह से कहीं कोई अड़चन थी। उसे लेकर कहीं कोई आपत्ति भी दर्ज नहीं थी, फिर भी प्रशासन ने जानबूझकर ऐसा किया। क्योंकि प्रशासन का उद्देश्य अतिक्रमण या अवैध निर्माण तोड़ना नहीं था। वह तो अपनी भेजो कार्रवाई से सतसंगियों को उकसाना चाह रहा था, ताकि उसे बल प्रयोग करने का मौका मिल सके और कुछ प्रशासनिक अधिकारियों और न्यायालय के सामने अपनी सफाई में कह सके कि वहां पर स्थितियां खराब थी। पर, सतसंगियों ने अपने गुरु की भी शिक्षाओं का पूरा-पूरा मान रखा और कहीं कोई आक्रोश प्रदर्शित नहीं किया, शांत खड़े रहे। जबकि समाधि तोड़े जाने पर उनके दिलों में गुस्से का लावा धड़क रहा था। दिलों में जल रही है आग, कहीं तो निकलेगी, आज का बुझाना भी जरूरी है। पर, सरकार और सरकार के लोगों को यह समझ में नहीं आ रहा है।
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