राधा स्व आमी
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बच्चों को एक उत्तम सतसंगी बनाने की जिम्मेदारी माता पिता की है, 🙏
इसका एक उदाहरण
🙏
यह कोई कहानी नही है किस्सा नहीं है एक सच्चाई है, एक हकीकत है, जो मै आप सभी को बता रहा हूँ,
परम पूज्य हुज़ूर मेहता जी महाराज के समय में एक आदमी अपनी ससुराल में जाता था, उसकी ससुराल में सतसंग होता था, वह आदमी सतसंग में बैठा और सतसंग से प्रभावित हुआ,
उसने अपने गाँव में आकर अपने मिलने बाले और परिवार बालों से सतसंग करने के लिए, सतसंग में बैठने के लिए कहा समझाया,
और इस तरह से उसके घर पर सतसंग होने लगा,
उसके बराबर वाले गाँव के कुछ लोग भी वहाँ जाने लगे,
और कुछ दिन बाद हुज़ूर राधास्वामी दयाल की दया से वहाँ ब्रांच बन गई और जिन्होंने सतसंग शुरू कराया था उन्ही को ब्रांच सेक्रेटरी बनाया गया,
कुछ दिन ठीक तरह से काम करने के बाद उनका रवैया बदल गया,
वह ब्रांच का कोई काम ठीक से नहीं करते थे,
सभा से बार बार पत्र आने पर भी उन पर कोई असर नहीं होता था,
और उस बराबर बाले गाँव में सतसंगी अधिक होने के कारण वहाँ ब्रांच बना दी गई,
और पहली वाली को तोड कर उसमें मिला दिया गया,
तो पहली बाली जो ब्रांच थी और ब्रांच सेक्रेटरी थे ना उनके बच्चे सतसंग में आये आजतक और ना ही परिवार के लोग आये,
कारण कि, बच्चों को कभी समझाया ही नहीं गया, और वह ब्रांच सेक्रेटरी साहब दुनिया से चले गये,
अब जो बराबर वाले गाँव में ब्रांच बनी तो वहाँ सभी लोग सतसंग में आने लगे,
गांव तो छोटा सा था मगर सभी पति पत्नी सतसंग करते थे ब्रांच बहुत अच्छी चली,
हुज़ूर डा. लाल साहब जी के आगमन की बात चली किसी करण बस हुज़ूर का आगमन नहीं हुआ,
फिर मालिक की दया हुई सतसंग घर बन गया, महिला ऐसोसिएशन बन गई ई० सतसंग शुरू हुआ और फिर मालिक की दया हुई हुज़ूर सतसंगी साहब जी का आगमन हुआ,
मगर आज वह ब्रांच ठप्प है, वहाँ पांच सतसंगी सतसंग करने के लिए नहीं है,
अब सवाल होता है कि ऐसा क्यो,
तो सुनो उस ब्रांच में जो सतसंगी भाई बहन थे उन्होंने कभी अपने बच्चों को सतसंग में जाने के लिए सतसंग के किसी भी प्रोग्राम में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित नहीं किया,
न अपने बच्चों को कभी सतसंग की A B C D समझाई
सतसंग में आने के क्या लाभ है न आने के क्या नुकसान है.
कभी अपने बच्चों को नहीं बताया, ना कभी बच्चों को सतसंग में लेकर आये,
और ना ही बच्चे सतसंग में कभी आये,
अपने बेटी बेटा की शादियां गैर सतसंगी परिवार में कर दी गई,
और सभी के बच्चे सतसंग से बहुत दूर चले गये,
पूजा पाठ करने लगे,
और जिन्होंने सतसंग शुरू किया ब्रांच बनाई वह बुजुर्ग हो गये और दुनिया छोड़ कर चले गये,
🙏अब जरा सोचो उन्होंने अपने बच्चों के साथ क्या कीया न्याय किया अन्याय किया,
अगर हमसे कोई पूछे कि आप राधास्वामी मत मे है तो इस मत की क्या विशेषता है,
हम हजारों गिना देगें,
यह मत काल के जाल से निकाल देता है,
चोरासी के चक्र से निकाल देता है,
फिर कोई कहे कि आप तो काल के जाल से निकल गये,
और आपने अपने बच्चों को काल के जाल में डाल दिया तो आप बच्चों के माता पिता है या दुश्मन
फिर हमारे पास क्या जबाब है जरा सोचो,
🙏इसलिए सभी से निवेदन है कि अपने बच्चों को सतसंग में आने के लिए सतसंग के सभी प्रोग्राम में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करें, 🙏
हुज़ूर डा. लाल साहब जी ने फरमाया है कि छोटे बच्चों का दिल और दिमाग कोरी सिलेट की तरह होता है जो लकीर आप खींच दोगे वही खिच जायेगी,
बड़े होने पर वह आपकी बात नहीं मानेंगे, 🙏
🙏सभी को
राधास्वामी
आप सभी का
जी०एस०पाठक
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