Friday, June 24, 2022

परम गुरु हुजूर साहबजी महाराज- सत्संग के उपदेश

परम गुरु हुजूर साहबजी महाराज

 सत्संग के उपदेश- भाग -3-(18)


 अगर सत्संगी बढ़ कर सेवा करने का मौका हासिल करने की गरज से दुनिया में बड़ा दर्जा मिलने के लिए प्रार्थना व कोशिश करें तो निहायत जायज   व दुरुस्त है। लेकिन अगर इज्जत ,दौलत व हुकूमत का रस लेने की गरज से प्रार्थना व कोशिश करें तो नाजायज व नामुनासिब है।

जिस शख्स को सच्चे मालिक के दर्शन, सच्ची मुक्ती, और ऊँची से ऊँची रूहानी गति की प्राप्ति के लिए रास्ता मिल गया और जिसने इन बातों को अपनी जिंदगी का उद्देश्य करार दिया उसके लिए दुनिया का रुतबा, दौलत व हुकूमत क्या हैसियत रखते हैं ?

चूँकि हुजूर राधास्वामी दयाल ने स्वार्थ व प्रमार्थ दोनों के कमाने के लिए उपदेश फरमाया है इसलिए सत्संग में स्वार्थ के लिए गुँजाइश निकल आई है वर्ना स्वार्थ की क्या हकीकत कि सच्चे परमार्रथ से आँख मिला सके। इसलिए याद रखना चाहिए कि हरचंद सतसंगी को  स्वार्थ कमाने की इजाजत है लेकिन हर हालत में मुख्यता परमार्रथ ही की रहेगी।                            

🙏🏻 रा धा स्व आ मी🙏🏻


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