Tuesday, October 4, 2011

विजयदान देथा नोबल के लिए नामांकित

 

 

नोबेल की दौड़ में राजस्थान के शेक्सपीयर!


 इसे मेरा स्थायी शहर बनाएं


जयपुर, जागरण संवाद केंद्र। इस












इस साल साहित्य के क्षेत्र में मिलने वाले प्रतिष्ठित नोबेल पुरस्कार के लिए राजस्थान के साहित्यकार दौड़ में हैं। यह है विजयदान देथा विज्जी के नाम से मशहूर विजयदान को राजस्थान का शेक्सपीयर भी कहा जाता है।
छह अक्टूबर को होने वाली इस पुरस्कार की घोषणा के लिए विश्व के कई देशों के साहित्यकार दौड़ में है। नोबेल मिलने के सवाल पर वह कहते हैं कि मुझे यह सम्मान मिले या न मिले, लेकिन मेरी रचना 100 प्रतिशत नोबेल के लायक होती है। उनकी रचना बातां री फुलवारी के 14 खंड प्रकाशित हो चुके हैं।
इनमें लोक साहित्य के साथ-साथ राजस्थान की स्थानीय भाषाओं पर रोशनी डाली गई है। देथा की कई कहानियों और उपन्यासों पर कई फिल्में और नाटक बन चुके हैं। इनमें हबीब तनवीर द्वारा निर्देशित नाटक चरणदास चोर और अमोल पालेकर के द्वारा बनाई गई फिल्म पहेली प्रमुख है। पहेली को भारत की ओर से ऑस्कर में भी भेजा गया था।
2007 में एक दुर्घटना के बाद देथा ने लिखना बंद कर दिया है। वह कहते हैं, जब भी लिखने बैठता हूं, तनाव होने लगता है। इसलिए यह संभव नहीं है। हम चारणों के वंशज हैं। हमारे पूर्वज राजाओं के लिए गाते थे। इसलिए कहानी हमारे खून में है।
सूत्रों के मुताबिक नोबेल के लिए नामांकित करने वाली चयन समिति ने जो सूची बनाई है, उनमें विजयदान देथा का नाम शामिल है।



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जयपुर। राजस्थान के चर्चित साहित्यकार विजयदान देथा को नोबल पुरस्कार के लिए नामांकित किया गया है। साहित्यकर्मियों के बीच "विज्जी" के नाम से विख्यात देथा को राजस्थान का शेक्सपीयर भी कहा जाता है। राजस्थान की लोक पृष्ठभूमि पर रचना लिखने वाले देथा की आठ सौ से अधिक कहानियां को अंग्रेजी सहित विभिन्न भाषाओं में अनुवाद किया गया है।

जोधपुर के बोरूंदा शहर में एक सितंबर 1926 को जन्मे विजयदान देथा ने राजस्थानी साहित्य को नया आयाम दिया है। उनकी प्रमुख रचना बांता री फुलवारी को भारत के साथ ही दूसरे देशों में भी ख्याति मिली।

इसके अलावा उनकी कहानी पर अभिनेता व निर्देशक अमोल पालेकर ने "पहेली" फिल्म बनाई, जिसमें अमिताभ बच्चन, शाहरूख खान और रानी मुखर्जी ने अभिनय किया। इसके अलावा देथा को kश्री, बिहारी पुरस्कार, साहित्य अकादमी अवार्ड, भारतीय भाषा परिषद अवार्ड, मरूधरा पुरस्कार, साहित्य चूड़ामणि अवार्ड से भी सम्मानित किया जा चुका है।

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