देव के ऐतिहासिक सूर्य मंदिर में होता है ब्राह्मणो का शोषण , ब्राह्मणो का संगठन मौन
धीरज पाण्डेय
औरंगाबाद - ऐतिहासिक , पौराणिक एवं धार्मिक सूर्य मंदिर देव में मंदिर न्यास समिति द्वारा प्रत्येक दिन यहाँ पूजा पाठ करवाने वाले ब्राह्मणो का शोषण निरंतर जारी है , यह शोषण किन किन रूपों में होता है इसका कुछ अंश - आप जानते है सनातन काल से ब्राह्मण पूजा पाठ करा कर दान एवं दक्षिणा यजमान से लेते है , और यजमान ब्राह्मणो की संतुष्टि हेतु यथा संभव दान दक्षिणा देते है , देव मंदिर में पूजा पाठ करवाने वाले वैसे कोई ब्राह्मण वैसा नहीं है जिनके घर में कोई सरकारी नौकरी में है ,या कोई ब्राह्मण धनाढ्य सेठ है। यहाँ के ब्राह्मण किसी तरह सुबह से रात्रि होने तक पूजा पाठ करा कर , गाडी पूजा करा कर , शादी विवाह कराकर अपना एवं अपने परिवार का भरण पोषण करते है , लेकिन इनका यह करना मंदिर न्यास समिति की आँखों का किरकिरी बना हुआ है। न्यास समिति ने ब्राह्मणो को मिलने वाले दान दक्षिणा पर अपना ५०% का टैक्स बाँध रखा है। गर्भगृह में सिर्फ मुख्य पुजारी कार्य करते है , जो मंदिर समिति से वेतनभोगी है , लेकिन मंदिर परिसर में पभगवान के प्रत्येक स्थानो पर दान - पेटी है जिसमे कोई भी रुपये पैसे दान कर सकता है , यदि आप मंदिर शादी करवा रहे है तो आपकी न्यास समिति से शुल्क देकर रसीद लेना पड़ता है ,रशीद के साथ ही ब्राह्मण निर्धारित होते है की कौन शादी करवाएगा , यदि कोई ब्राह्मण मिल गया तो उससे यजमान को तय करना पड़ता है शादी करवाने का दक्षिणा कितना होगा , यदि ५०० में तय हुआ तो २५० रुपये समिति ले लेगी, जरा सोचिये शादी करवाये कौन , मेहनत करे कौन और मुफ्त का ५० % समिति को। वही यदि आप गाडी की पूजा करवाते है तो यही प्रक्रिया लागू होती है ,पूजा पाठ करवाने पर भी वही ५०% समिति को, यदि कोई यजमान अपने पुरोहित को लेकर बाहर से आता है तो उसमे भी ५० % ,समिति को मंदिर समिति के लोग यदि प्रसाद अपने घर ले जाए तो कोई परेशानी नहीं , ब्राह्मण ले जाए तो चेकिंग होगा , यदि आय दिन ब्राह्मणो को दान में अन्न मिलता है तो उसमे भी ५० % समिति को , तो आप ही बताइये ये ब्राह्मणो के साथ शोषण नहीं है तो क्या है।यहाँ के ब्राह्मण इसलिए चुप रहते है की पूरी जिंदगी इन्होने मंदिर में बिता दी यदि आज इसका विरोध करते है तो कल इन्हे मंदिर से निकाल दिया जाएगा और दाने दाने को मोहताज हो जाएंगे। इसलिए ब्राह्मण अभी सुदामा की तरफ चुप है। सबसे बड़ी बात यह है की ब्राह्मणो के हित में बात करने वाले जितने भी संगठन है आज मौन है , बंद कर देना चाहिए ऐसे संगठन को जो ब्राह्मणो को गुमराह करने का काम करती है ,संगठन बना कर राजनीति की रोटी सेंकने वालो को शर्म आना चाहिए।
— with Ranjan Singh and 19 others.
धीरज पाण्डेय
औरंगाबाद - ऐतिहासिक , पौराणिक एवं धार्मिक सूर्य मंदिर देव में मंदिर न्यास समिति द्वारा प्रत्येक दिन यहाँ पूजा पाठ करवाने वाले ब्राह्मणो का शोषण निरंतर जारी है , यह शोषण किन किन रूपों में होता है इसका कुछ अंश - आप जानते है सनातन काल से ब्राह्मण पूजा पाठ करा कर दान एवं दक्षिणा यजमान से लेते है , और यजमान ब्राह्मणो की संतुष्टि हेतु यथा संभव दान दक्षिणा देते है , देव मंदिर में पूजा पाठ करवाने वाले वैसे कोई ब्राह्मण वैसा नहीं है जिनके घर में कोई सरकारी नौकरी में है ,या कोई ब्राह्मण धनाढ्य सेठ है। यहाँ के ब्राह्मण किसी तरह सुबह से रात्रि होने तक पूजा पाठ करा कर , गाडी पूजा करा कर , शादी विवाह कराकर अपना एवं अपने परिवार का भरण पोषण करते है , लेकिन इनका यह करना मंदिर न्यास समिति की आँखों का किरकिरी बना हुआ है। न्यास समिति ने ब्राह्मणो को मिलने वाले दान दक्षिणा पर अपना ५०% का टैक्स बाँध रखा है। गर्भगृह में सिर्फ मुख्य पुजारी कार्य करते है , जो मंदिर समिति से वेतनभोगी है , लेकिन मंदिर परिसर में पभगवान के प्रत्येक स्थानो पर दान - पेटी है जिसमे कोई भी रुपये पैसे दान कर सकता है , यदि आप मंदिर शादी करवा रहे है तो आपकी न्यास समिति से शुल्क देकर रसीद लेना पड़ता है ,रशीद के साथ ही ब्राह्मण निर्धारित होते है की कौन शादी करवाएगा , यदि कोई ब्राह्मण मिल गया तो उससे यजमान को तय करना पड़ता है शादी करवाने का दक्षिणा कितना होगा , यदि ५०० में तय हुआ तो २५० रुपये समिति ले लेगी, जरा सोचिये शादी करवाये कौन , मेहनत करे कौन और मुफ्त का ५० % समिति को। वही यदि आप गाडी की पूजा करवाते है तो यही प्रक्रिया लागू होती है ,पूजा पाठ करवाने पर भी वही ५०% समिति को, यदि कोई यजमान अपने पुरोहित को लेकर बाहर से आता है तो उसमे भी ५० % ,समिति को मंदिर समिति के लोग यदि प्रसाद अपने घर ले जाए तो कोई परेशानी नहीं , ब्राह्मण ले जाए तो चेकिंग होगा , यदि आय दिन ब्राह्मणो को दान में अन्न मिलता है तो उसमे भी ५० % समिति को , तो आप ही बताइये ये ब्राह्मणो के साथ शोषण नहीं है तो क्या है।यहाँ के ब्राह्मण इसलिए चुप रहते है की पूरी जिंदगी इन्होने मंदिर में बिता दी यदि आज इसका विरोध करते है तो कल इन्हे मंदिर से निकाल दिया जाएगा और दाने दाने को मोहताज हो जाएंगे। इसलिए ब्राह्मण अभी सुदामा की तरफ चुप है। सबसे बड़ी बात यह है की ब्राह्मणो के हित में बात करने वाले जितने भी संगठन है आज मौन है , बंद कर देना चाहिए ऐसे संगठन को जो ब्राह्मणो को गुमराह करने का काम करती है ,संगठन बना कर राजनीति की रोटी सेंकने वालो को शर्म आना चाहिए।
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