- मोटापे से बचें
- नवजात का ज्यादा वजन खतरनाक
- एंटीबायोटिक से बच्चों में मोटापा
- मोटापे से दूर रखता है मां का दूध
- मां से झगड़ोगे तो मोटे हो जाओगे
- मोटा नहीं करतीं गर्भनिरोधक गोलियां
- डायटिंग में चलेगा डाइट कोक
- काम के तनाव में ज्यादा खाती हैं महिलाएं
- सिगरेट छोड़ने पर वजन बढ़े तब भी छोड़िए
- शुक्राणुओं पर असर डालते हैं चीज और मांस
- शाकाहार की शिक्षा
- मोटापे, बेचैनी की वजह रासायनिक दवाएं
- खाने से भी हो सकता है दमा
- भोजन में छिपा है कदकाठी का राज
- 2030 तक 55 करोड़ डायबिटीज रोगी
- ज्यादा खाना नहीं ज्यादा बीमारी है तोंद
- मोटापे ने बदला जर्मन ढांचा
- मोटापे से लड़ता मेक्सिको
- जर्मन खाने लगे हैं ज्यादा सब्जियां
- तोंद से लड़ती पाकिस्तान की पंजाब पुलिस
सिगरेट पीना तो दमा के लिए जिम्मेदार है ही लेकिन खाने में क्या खाएं यह ध्यान नहीं रखा तो भी यह बीमारी गले पड़ सकती है. ताजा शोध में पाया गया कि कैसे दमा की संभावना 40 फीसदी बढ़ जाती है.
वैज्ञानिकों के अनुसार फास्ट फूड से बच्चों में दमे की संभावना 40 फीसदी बढ़ जाती है. दुनिया भर के 31 देशों के बच्चों को आधार बनाकर की गई रिसर्च में यह बात सामने आई. हफ्ते में तीन या ज्यादा बार फास्ट फूड खाने वाले किशोरों में भी दमा की संभावना 39 फीसदी बढ़ जाती है. जबकि 6-7 साल की आयु के बच्चों के लिए खतरा 27 फीसदी बढ़ जाता है.
बहुत ज्यादा फास्ट फूड से होने वाली बीमारियों में दमा के अलावा एक्जिमा यानि खाज और रिंटिस भी हैं. रिपोर्ट के अनुसार जो बच्चे फल और सब्जियां खाते हैं, उनमें दमे का खतरा कम पाया गया.
इस रिसर्च में शामिल प्रोफेसर लुई गार्सिया मार्कोस कहते हैं कि दमा के लिए फास्ट फूट के अलावा भी कई बातें जिम्मेदार हैं, "दुनिया भर में सभी जगह इसकी समस्या है कि हम पश्चिमीकरण की ओर जा रहा हैं और खाने पीने के लिए मैकडोनैल्ड जैसे समूहों की तरफ भाग रहे हैं."
रिसर्च संस्था इंटरनेश्नल स्टडी ऑफ अस्थमा एंड एलर्जीस (आईसैक) में वैज्ञानिक 1994 से इस बारे में रिसर्च कर रहे हैं. इसमें मार्कोस के अलावा जर्मनी, न्यूजीलैंड, ऑस्ट्रेलिया और ब्रिटेन के वैज्ञानिक भी हैं. अपनी रिसर्च में उन्होंने लगभग 100 देशों के बच्चों पर अध्ययन किया. यह रिसर्च उच्च और निम्न वर्ग के बच्चों में दमे की संभावना में अंतर को भी समझाती है.
मोटापे और दमा में संबंध
दमा का संबंध काफी हद तक मोटापे से भी है. कार्बोहाइड्रेट और फैटी एसिड वाला खाना खाने वालों में दमा के ज्यादा प्रभाव पाए गए हैं. इसीलिए डॉक्टर भी दमा के मरीज को ज्यादा तेल और घी का खाना खाने से रोकते हैं.
जर्मनी की माक्स रूबनर इंस्टीट्यूट में खाने पीने के एक्सपर्ट प्रोफेसर बेर्नहार्ड वात्ल्स मानते हैं कि फास्ट फूड खाने वाले बच्चे वे हैं, जिन्हें घर पर सही खाना नहीं मिलता.
पश्चिमी देशों में गरीब परिवारों के बच्चे फल और सब्जियां कम ही खाते हैं क्योंकि यह खाना तैयार करना महंगा पड़ता है. इससे यह बात भी पता चलती है कि किस तरह दुनिया भर में पश्चिमी जीवन शैली का प्रभाव बढ़ रहा है. दमे के मरीज भी उसी तरह बढ़े हैं जिस तरह मोटापे के. मोटापा पहले ही सांस की बीमारी सीओपीडी के लिए जिम्मेदार माना गया है. इसलिए ऐसा होना हैरानी की बात नहीं होगी अगर मोटापा दमा के लिए भी जिम्मेदार हो. हालांकि सिगरेट पीना और कसरत की कमी भी इसके अहम कारण हैं.
रिसर्च की अहमियत
गार्सिया मार्कोस और उनके साथी उम्मीद कर रहे हैं कि उनके अध्ययन से खानपान के तरीकों में बदलाव लाने में मदद मिलेगी. यह पहली रिसर्च है, जो गरीब और अमीर दोनों देशों में दमे को भोजन से जोड़ती है. पहले सिर्फ विकसित देशों पर ऐसी रिसर्च हुई थी.
रिपोर्ट: चिपोंडा चिम्बेलू/ एसएफ
संपादन: ए जमाल
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