Thursday, July 24, 2014

विज्ञान के लिए आध्यात्म है एक पहेली






प्रस्तुति-- उषा रानी ,राजेन्द्र प्रसाद


दुनिया में अब नए युग का अवतरण हुआ है। सदियों से चली आ रही साधु-संतों के अध्यात्म की ताकत अब विज्ञान भी पहचानने लगा है। वैज्ञानिक मानने लगे हैं कि कई खोजें जो विज्ञान में अब हुई हैं, धर्म के अनुयाइयों ने सदियों पहले उनकी भविष्यवाणी कर दी थी।
इन तमाम बिंदुओं पर शुक्रवार को दयालबाग शिक्षण संस्थान में रिलीजन ऑफ सेंट्स-स्पिरिचुअल कांशसनेस स्टडीज-2010 विषय पर शुरू हुई कांफ्रेंस में मुहर लगी। एम्स से आए नेशनल ब्रेन रिसर्च सेंटर के अध्यक्ष प्रो. पीएन टंडन ने बताया कि कई शोधों के बाद निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि धर्म और अध्यात्म में ताकत है। साधु संतों ने अध्यात्म के जरिये चांद, तारों और चंद्रमा आदि के बारे में जो भविष्यवाणियां की थीं, वह सही साबित हुई हैं।
याक यूनिवर्सिटी (टोरंटो) से आए वैज्ञानिक प्रो. जैक कैलिस ने कहा कि सिस्टम विज्ञान अलग-अलग सिस्टम पर काम करता है, वहीं धर्म एक सिस्टम पर। कैलीफोर्निया स्टेट यूनिवर्सिटी के प्रो. डेविड लेन एवं प्रो. आंद्रे लेन, कार्निल यूनिवर्सिटी के प्रो. डेनियल गोल्ड, सेंटा क्लारा यूनिवर्सिटी के प्रो. मार्क ग्रेव्स, यूके की जॉन मूर्स यूनिवर्सिटी से प्रो. ब्रायन एल. लैंग्केस्टर ने विज्ञान और धर्म से जुड़े बिंदुओं पर व्याख्यान दिए। विवेकानंद आश्रम से आए वैज्ञानिक और स्वामी जितात्मानंदा सहित कई धर्म गुरुओं ने वैज्ञानिकों की बदलती सोच को सराहा। कांफ्रेंस में पहले दिन 70 से अधिक शोध पत्र प्रस्तुत किए गए।
कांफ्रेंस का सीधा प्रसारण भारत के 201 केंद्रों सहित अमेरिका, कनाडा, सिंगापुर, इंग्लैंड, जर्मनी, श्रीलंका, खाड़ी सहित 231 केंद्रों पर किया गया। इससे पूर्व कांफ्रेंस की शुरुआत डॉ. अंबेडकर विवि के पूर्व कुलपति प्रो. अगम प्रसाद माथुर ने की। उद्घाटन समारोह में राधास्वामी सत्संग सभा के अध्यक्ष पे्रम कुमार सहित देश-विदेश के कई वैज्ञानिक, अध्यापक और छात्र-छात्राएं मौजूद रहे। रविवार को धर्म और विज्ञान के विषय पर पैनल डिस्कशन होंगे
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