न रंग, न अबीर, न पिचकारी, न गुब्बारे, फिर भी ऐसी होली हुई कि सभी मस्त हो गए, क्योंकि यह होली आपस में नहीं, सुरत (आत्मा) और गुरु के साथ सत्संगियों की होली थी। जिसमें गुरु प्यारे ने सभी को दर्शन देकर आशीर्वाद प्रदान किया। इस दौरान खेत सेवा भी होती रही।
राधास्वामी सत्संग सभा द्वारा सोमवार को होली का विशेष आयोजन दयालबाग में खेलगांव के समीप गेंदे वाले टीले पर किया गया। वैसे तो यहां होली हर साल होती है, लेकिन इस वर्ष दयालबाग की स्थापना और दयालबाग शिक्षण संस्थान का शताब्दी वर्ष था, जिसमें देश-विदेश से भाग लेने के लिए सत्संगी आए थे।
आयोजन स्थल पर खेत को आकर्षक ढंग से सजाया गया था। चारों रंग-बिरंगी पताका फहरा रही थीं। आकर्षक पंडाल भी बनाए गए थे। बच्चों द्वारा सुंदर झांकी भी बनाई, जिसमें पूरे भारत की संस्कृति प्रदर्शित थी। कोई बालिका कश्मीरी वेश में थी तो कुछ राजस्थानी, पंजाबी संस्कृति प्रदर्शित कर रही थीं। कश्मीर की डल झील भी दिखाई गई थी। दयालबाग कॉलोनियों के सत्संगी अलग-अलग रंग की टोपियां लगाए हुए थे। किसी टोपी पर होली शुभ लिखा था तो कुछ पर राधास्वामी चमक रहा था।
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एक ओर पाठ, दूसरी और खेत सेवा
इस होली उत्सव में एक ओर दयालबाग के विभिन्न पाठियों द्वारा सत्संग पाठ किये जा रहे थे, वहीं दूसरी ओर खेतों में बोए गए आलू को खुरपी से निकालने में गुरु प्रो.पीएस सत्संगी अपने परिवार के साथ जुटे थे। उनका साथ दे रहे थे रूहानी सत्संग, दिल्ली से आए गुरु परमानंद। उन्होंने विशेष अनुमति लेकर इस सत्संग में परिवार सहित भागीदारी की। इन सबके अलावा दूर-दूर तक सभी सत्संगी खेतों में अपनी सेवा दे रहे थे।
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आज गुरु खेलन आए होली
सामूहिक रूप से यहां होली के आध्यात्मिक गीतों का पाठ किया गया। दयालबाग की विभिन्न कॉलोनियों के महिला और पुरुषों ने अलग-अलग समूह में पाठ किया। जिन्होंने सुनाया-सत्संगी मिल आरती गाएं, छाई उमंग-उमंग। आज गुरु खेलन आए होली।
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दयालबाग में निकाली फेरी
होली महोत्सव के दूसरे दिन मंगलवार की शाम दयालबाग में फेरी का आयोजन किया गया। जिसमें दो कोर टीम थी, जिसमें 45-45 लोग शामिल थे। हर मोहल्ले का एक दल था, जिसमें 60-60 लोग मौजूद थे। फेरी की शुरुआत गुरु महाराज के आवास से हुई। यहां होली गीतों का पाठ करते हुए सत्संगियों ने पूरे प्रेम नगर और उसके आसपास पाठ करते हुए भ्रमण किया। जो विभिन्न मोहल्लों में होते हुए पीटी ग्राउंड पहुंचे, जहां आयोजन का समापन हुआ। 12 वर्ष से कम आयु के बालक-बालिकाओं ने नृत्य करके माहौल को खुशनुमा बना दिया।
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होली पर मनाई दीवाली
मंगलवार को दयालबाग में दीवाली जैसा जश्न का माहौल भी था। यहां सभी शिक्षण संस्थानों के अलावा गुरु महाराज के आवास, ऑफिस सहित सभी स्थल विद्युत झालरों से झिलमिला रहे थे। कॉलोनियों में भी सजावट की गई थी।
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इन्होंने संभाली व्यवस्था
आयोजन की व्यवस्था राधास्वामी सत्संग के अध्यक्ष प्रेम कुमार, वरिष्ठ उपाध्यक्ष प्रेम प्रशांत, उपाध्यक्ष गुरमीत सिंह के अलावा दयाल सरन, डीएस मिश्रा, एसके नैयर, प्रदीप सहगल आदि ने संभाली।
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(बॉक्स) शिष्य बने बिना गुरु नहीं बनते
आगरा: रुहानी सत्संग दिल्ली के गुरु परमानंद ने कहा कि बेटा बने बिना कोई व्यक्ति बाप नहीं बन सकता। इसी प्रकार गुरु बनने के लिए पहले शिष्य बनना जरूरी है। गुरु महाराज दयालबाग में आयोजित महोत्सव में भाग लेने आए थे। पत्रकारों से बात करते हुए उन्होंने कहा कि जो भी वर्तमान गुरु हुए, उनकी शरण में पहुंचे बिना जीवन में कोई सफलता नहीं मिल सकती। कुल मालिक ने हर युग में भक्ति का संदेश दिया है। लेकिन गुरु तो बहुत हैं, लेकिन सच्चे गुरु कम हैं, इसलिए सच्चे गुरू की तलाश करके ही हमें उन्हें मानना चाहिए।
प्रस्तुति-- अनामी शरण बबल
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