राधास्वामी | |||
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स्वामी बाग समाधि | |||
आदर्श वाक्य/ध्येय: | |||
कुल अनुयायी | |||
संस्थापक | |||
श्री शिव दयाल सिंह साहब् | |||
उल्लेखनीय प्रभाव के क्षेत्र | |||
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धर्म | |||
हिन्दू धर्म | |||
पाठ्य | |||
भाषाएं | |||
हिन्दी, |
संस्थापक[संपादित करें]
राधास्वामी मत के संस्थापक परम पुरुश पुरन धनी हुजूर स्वामी जी महाराज है। आपक जन्म 24 अगस्त 1818 को पन्नी गाली, आगरा मे हुआ था। आपका जन्म नाम श्री शिव दयाल सिह् साहब है। आप बचपन से ही सुरत शब्द योग के अभ्यास मे लीन रह्ते थे। सन 1861 से पूर्व राधास्वामी मत का उपदेश बहुत चुने हुए लोगो को ही दिया जाता था परन्तु राधास्वामी मत के दूसरे आचार्य परम गुरु हुजूर महाराज की प्रार्थना पर हुजूर स्वामी जी महाराज ने 15 फरवरी सन 1861 को बसन्त पन्चमी के रोज राधास्वामी मत आम लोगो के लिये जारी कर दिया।राधास्वामी मत के वर्तमान आचार्य परम गुरु हुजुर सत्सन्गी साहब (परम पूज्य डा प्रेम सरन सत्सन्गी)है। इनका निवास स्थान आगरा मे दयालबाग है।
समाधि[संपादित करें]
दाईं ओर दिया गया सुंदर चित्र राधास्वामी मत के संस्थापक परम पुरूष पूर्ण धनी परम पुरुश पूरन धनी हजूर स्वामी जी महाराज की पवित्र समाधि का है। यह आगरा के दयालबाग मोहल्ले में स्थित है। इस परिसर को स्वामीबाग कहते हैं। यह पच्चीकारी और सन्गमरमर पर नक्काशी का अद्भुत नमूना है। पूरे विश्व में फैले राधास्वामी मत की स्थापना आगरा में ही हुई थी।सन्दर्भ[संपादित करें]
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