प्रस्तुति-- धीरज पांडेय / ज्ञानेश पांडेय
By: Inextlive | Publish Date: Wed 29-Oct-2014 07:00:35
-आज होगी डूबते सूर्य की होगी पूजा, छठ व्रति भगवान सूर्य को देंगे पहला अर्घ्य
-इस महापर्व का आस्था और विश्वास के अलावा साइंटिफिक इंपॉर्टेस भी कम नहीं है
-ऋगवेद, रामायण और महाभारत काल में भी भगवान सूर्य की पूजा और छठ का वर्णन है
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JAMSHEDPUR : हम सभी अपनी आस्था और विश्वास के अनुसार ईश्वर को कई रूपों में पूजते हैं. इन सभी में भगवान सूर्य को श्रेष्ठ स्थान दिया जा सकता है. इन्हीं की कृपा से इस धरती पर जीवन संभव है. सबसे अहम बात यह है सूर्य साक्षात ईश्वर हैं, यानी इन्हें हम अपनी नजरों से देख सकते हैं. सूर्य की उपासना किसी धर्म से न जुड़कर समस्त मानव जाति द्वारा साक्षात ईश्वर के प्रति आस्था और विश्वास की एक मिसाल है. रामायण, ऋगवेद और महाभारत में भी सूर्य की उपासना और छठ पर्व की चर्चा है. पुरातन काल से मनाए जा रहे इस महापर्व का साइंस से भी नाता है.
है गहरा रिश्ता
सूर्य की उपासना का साइंस से भी गहरा रिश्ता है. चैत्र और कार्तिक की षष्ठी तिथि को सूर्य से अल्ट्रावायलेट रेज पृथ्वी पर सामान्य से ज्यादा आती हैं. इन खतरनाक किरणों से बचने के लिए सूर्य की उपासना की जाती है. इसके अलावा छठ में पूजा-पाठ के सभी पकवान लकड़ी जलाकर ही बनाया जाता है. इसके लिए आम की लकड़ी यूज किया जाता है. साइंस मानता है कि आम की लकड़ी और डिफरेंट टाइप के धूप के जलने और उसके धुएं से आस-पास का माहौल शुद्ध होता है और कई तरह के हानिकारक बैक्टिरिया को खत्म कर देता है. हम इसको इस तरह भी समझ सकते हैं कि साल में दो बार छठ होता है और दोनों ही बार उस समय सीजन चेंज हो रहा होता है. ऐसे सीजन में कई तरह की बीमारियों से लोग परेशान रहते हैं.
अर्घ्य से आंखों को फायदा
वैसे तो कहा जाता है कि उगते सूर्य की सभी पूजा करते हैं, लेकिन छठ में ना सिर्फ उगते, बल्कि हम डूबते सूर्य की भी उपासना करते हैं. हाथ में गंगाजल लेकर सूर्य की तरफ नजरें कर जब दुनिया को रोशन करने वाले भगवान को हम अर्घ्य देते हैं, तो अर्घ्य से छनकर सूर्य की किरणें आखों तक आती हैं और इससे आंखों के रेटिना को काफी फायदा होता है. छठ में हम शाम और सुबह सूर्य को अर्घ्य देते हैं. इस समय सूर्य की किरणें ज्यादा तेज नहीं होतीं और इससे हमें फायदा होता है. छठ के दौरान अर्घ्य देते हुए पानी में खड़ा होने को भी साइंस अलग नजरिए से देखता है. पर्यावरणविद केके शर्मा कहते हैं कि सूर्य के सामने खड़े होकर हम सूर्य से एनर्जी गेन करते हैं. इस दौरान पानी में खड़ा रहने से एनर्जी वापस नहीं जाती और बॉडी में उसका फ्लो बना रहता है. पानी में खड़े रहने से बॉडी का टेम्परेचर भी नॉर्मल बना रहता है. छठ के दौरान तीन दिनों तक फास्ट रखने या नेचुरल फूड प्रोडक्ट खाने से बॉडी खुद को नए सिरे से एडजस्ट करता है और सारे सेल फिर से एक्टिव हो जाते हैं. ऐसा होने पर कई तरह की बीमारियां खत्म हो जाती हैं और बॉडी का इम्यूनो सिस्टम स्ट्रांग हो जाता है.
छठ के साथ ही इस साल के हिंदू पर्व-त्योहार का अंत हो गया. इसके साथ ही अगले साल के लिए त्योहारों का द्वार खुल गया. छठ के इंपॉर्टेस को हम क्लाइमेटिक चेंज से जोड़कर भी देख सकते हैं. डूबते सूर्य को अर्घ्य देकर हम गर्मी को अलविदा कहते हैं और सुबह के अर्घ्य के साथ सर्दी के लिए शरीर के इम्यूनो सिस्टम को तैयार करने के लिए सूर्य से प्रार्थना करते हैं.
- डॉ केके शर्मा, पर्यावरणविद
प्राचीन काल से ही महत्व रहा है छठ का
साल में दो बार छठ पर्व सेलिब्रेट किया जाता है. एक चैत्र माह में और दूसरी बार कार्तिक में. दोनों ही महीने के शुक्ल पक्ष षष्ठी को होने की वजह से इसे छठ नाम दिया गया. हालांकि ऐसा भी माना जाता है कि सूर्य की बहन का नाम छठी था. मान्यता यह भी है कि रामायण काल में लंका विजय के बाद रामराज्य की स्थापना के दिन कार्तिक शुक्ल षष्ठी का दिन था और उस दिन भगवान राम और मां सीता ने भगवान सूर्य की उपासना की थी. ऋगवेद में देवता के रूप में सूर्य की उपासना का पहली बार उल्लेख किया गया है. महाभारत के समय पांडव जब कौरवों से सबकुछ हार गए थे तो द्रौपदी ने छठ का व्रत किया था. इसके अलावा राजा कर्ण द्वारा भी सूर्य की उपासना का जिक्र है. छठ व्रत करने वाले व्रती को भोजन का त्याग करना होता है और जमीन पर चादर या कंबल पर सोना होता है. वे ऐसे कपड़े पहनते हैं जिसमें सिलाई न हो.
उषा और प्रत्यूषा हैं शक्तियों का श्रोत
ऐसी मान्यता है कि सूर्य की शक्तियों का मुख्य श्रोत उनकी दो पत्िनयां उषा और प्रत्यूषा हैं. छठ पर्व में सूर्य देव के साथ ही प्रात: काल में सूर्य की पहली किरण (ऊषा) और डूबते सूर्य की अंतिम किरण (प्रत्यूषा) को अर्घ्य दिया जाता है. नहाय-खाय के बाद खरना होता है. खरना की रात में पूजा के बाद से सुबह के अर्घ्य तक व्रती उपवास में रहते हैं.
मैं कई साल से छठ व्रत कर रही हूं. आस्था और विश्वास के इस महापर्व सा दूसरा कोई पर्व नहीं है. भगवान सूर्य की उपासना करते हैं और इस पर्व के दौरान शुद्धता और पवित्रता का खास ध्यान रखा जाता है.
- निमर्1ला वर्मा
मेडिकल टीम रहेगी तैनात
महापर्व छठ के अवसर पर स्वास्थ्य विभाग की ओर से शहर के दर्जनों घाटों पर मेडिकल टीम तैनात की जाएगी. मंगलवार को सिविल सर्जन डॉ. विभा शरण ने सभी घाटों के लिए टीम गठित कर ड्यूटी पर तैनात होने का सख्त निर्देश दिया. ताकि किसी भी तरह की अनहोनी से बचा जा सके. डॉ. विभा शरण ने कहा कि बुधवार को दोपहर एक बजे से अंतिम समय तक और गुरुवार की सुबह तीन बजे से अंतिम समय तक एंबुलेंस सहित मेडिकल टीम उपलब्ध होगी.
ऐसी होगी टीम
- साकची स्वर्णरेखा घाट : संध्या में टीएसआरडीएस की मेडिकल टीम एंबुलेंस सहित. फोन नंबर : 9ब्फ्क्7म्0म्म्8. सुबह में राम कृष्ण मिशन की टीम एंबुलेंस सहित. फोन नंबर : 0म्भ्7-ख्फ्ख्0म्99.
- साकची स्वर्णरेखा बालू घाट : संध्या में सीटिजन फाउंडेशन की मेडिकल टीम एंबुलेंस सहित. फोन नंबर : 9ख्म्फ्म्फ्078फ्, 809ख्779फ्फ्क्
सुबह में तंतुश्री सेवा संघ की मेडिकल टीम एंबुलेंस सहित. फोन नंबर : 9ख्79फ्म्फ्0फ्ख्
- भुईयांडीह स्वर्णरेखा घाट : डॉ. आरके पांडा, अभिषेक बोस, बसंत कालिंदी एंबुलेंस सहित. फोन नंबर : 80भ्क्090क्9ख्
- मानगो स्वर्णरेखा घाट : डॉ. अरविंद कुमार, अरिजितदे, किसनत अली एंबुलेंस सहित. फोन नंबर : 9ब्7क्क्78क्98.
- सोनारी दुमुहानी घाट : भारत सेवाश्रम संघ की टीम एंबुलेंस सहित. फोन नंबर : 90फ्क्9ख्क्क्ख्7.
- सोनारी कपाली घाट : भारत सेवाश्रम संघ की टीम एंबुलेंस सहित. 0म्भ्7-ख्फ्0ब्000.
- कदमा सतीघाट : रेडक्रॉस सोसाइटी की टीम एंबुलेंस सहित. फोन नंबर : 9ब्फ्क्फ्0फ्9फ्फ्.
- बिष्टुपुर खरकाई घाट : रेडक्रॉस सोसाइटी की टीम एंबुलेंस सहित. फोन नंबर : 9ब्फ्क्फ्0फ्9फ्फ्.
- बड़ौदा घाट : राजस्थान सेवा सदन की टीम एंबुलेंस सहित. फोन नंबर : 0म्भ्7-ख्ख्9क्ब्फ्ब्.
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