गुरुवचनों की प्रेरक माला
प्रस्तुति - रेणु दत्ता / आशा सिन्हा
1. भजन का उत्तम समय सुबह 3 से 6 बजे तक होता है ।
2. ,*24 घंटे में से 3 घंटों पर आप का हक नही, ये समय गुरु का है ।*
3 *कमाए हुए धन का 10 वा अंश गुरु का है. इसे परमार्थ में लगा देना चाहिए।*
4. *गुरु आदेश की पलना ही गुरु भक्ति है । गुरु का पहला आदेश भजन का है जो नामदान के समय मिला था ।*
5. 24 घंटों के जो भी काम, सुबह उठने से लेकर रात को सोने तक करो सब गुरु को समर्पित करके करोगे तो कर्म लागू नही होंगे ।
6.*24 घंटे मन में सुमिरन करने से मन और अन्तः कर्ण साफ़ रहता है. और गुरु की याद भी हमसे रहेगी. यही तो सुमिरन है।*
7. भजन करने वालो को, भजन न करने वाले पागल कहते है । मीरां को भी तो लोगो ने प्रेम दीवानी कहा था ।
8. कही कुछ खाओ तो सोच समझ कर खाओ, क्यों की जिसका अन्न खाओगे तो मन भी वैसा ही हो जायेगा
मांसाहारी के यहाँ का खा लिए तो फिर मन भजन में नही लगेगा |
*"जैसा खाए अन्न वैसा होवे मन, जेसा पीवे पाkनी वैसी होवे वाणी."*
9. गुरु का आदेश, एक प्रार्थना रोज़ होनी चाहिए ।
10. सामूहिक सत्संग ध्यान भजन से लाभ मिलता है. एक कक्षा में होंशियार विधार्थी के पास बेठ कर कमजोर विध्यार्थी भी कुछ सीख लेता है, और कक्षा में उतीर्ण हो जाता है ।
11. गुरु का प्रसाद यानी *"बरक्कत"* रोज़ लेनी चाहिए |
12. भोजन दिन में 2 बार करते हो तो भजन भी दिन में 2 बार करना चाहिए ।
13. हर जीव में परमात्मा का अंश है इस लिए सब पर दया करो, सब के प्रति प्रेम भाव रखो, चाहे वो आपका दुश्मन ही क्यों न हो. इसे सोचोगे की में परमात्मा की हर रूह से प्रेम करता हूँ तो भजन भी बनने लगेगा ।
14. परमार्थ का रास्ता प्रेम का है, दिमाग लo😪hhhगाने लगोगे तो दुनिया की बातो में फंस के रह जाओगे ।
15. अगर 24 घंटो में भजन के लिए समय जरूर निकालना चाहिए ।
16. आज के समय में वाही समझदार है जो घर गृहस्थी का काम करते हुए भजन करके यहाँ से निकल चले, वरना बाद में तो रोने के सिवाय कुछ नही मिलने वाला ।
17. आपनी मौत को हमेशा याद रखो. मौत याद रहेगी तो मन कभी भजन में रुखा नही होगा. मौत समय बताके नही आएगी ।
18. साथ तो भजन जायेगा और कुछ नही. इसलिए कर लेने में ही भलाई है, और जगत के काम सब झूंठे है।
19. भोजन तो बस जीने के लिए खाओ. खाने के लिए मत जीवो. भोजन शरीर रक्षा के लिए करो ।
20. परमार्थ में शरीर को सुखाना पड़ता है मन और इन्द्रियों को वश में करना पड़ता है जो ये करे वही परमार्थ के.लायक है ।
21. अपने भाग्य को सराहो की आपको गुरु औरनामदान मिल गया
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22. किसी की निंदा मत करो।
23. इस कल युग में तीन बातों से जीव का कल्याण हो सकता है, एक सतगुरु पूरे का साथ, दूसरा साधन की संगत सत्संग और सेवा तीसरा "नाम" का सुमिरन,* ध्यान और भजन
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