*राधास्वामी!
02-05-2022-आज शाम सतसंग में पढ़ा जाने वाला दूसरा शब्द पाठ:-
बचन गुरु सुनत हुआ आनंद।
ध्यान कटे मन फंद॥१॥
करम और भरम दिये सब छोड़।
चरन में लाग रहा चित जोड़॥२॥
हुई गुरु बचनन दृढ़ परतीत।
धार लई चित में भक्ती रीति॥३॥
भरोसा राधास्वामी मन में धार।
रहूँ नित राधास्वामी नाम पुकार॥४॥
भरे मेरे मन में बहुत बिकार।
दया कर राधास्वामी लेहैं सम्हार॥५॥
करम मैं कीन्हे बहु भाँती।
मेहर बिन नहिं आई शांती॥६॥
मान बस भूला बारम्बार।
गुरू बिन नहिं लखिया पद सार॥७॥
मिला अब राधास्वामी पद का भेद।
करम के मिट गये सारे खेद।।८।।
बीनती गुरु चरनन में धार।
गुरू से माँगूँ दया अपार॥९॥
सरन दे मोहि उतारो पार।
नाम गुरु जपत रहूँ हर बार॥१०॥
काल अब करे न कोई घात।
दूर करो मन के सब उत्पात॥११॥
चलूँ अब चरन सम्हार सम्हार।
बचन पर निस दिन रहूँ हुशियार॥१२॥
सुरत मन निरमल होय चालें।
प्रीति गुरु हिये छिन छिन पालें॥१३॥
रूप गुरु ध्यान धरूँ दिन रात।
करम की बाज़ी होवे मात॥१४॥
गगन चढ़ सुनूँ शब्द घनघोर।
छुटे तब मन का मोर और तोर॥१५॥
दसम दर निरखूँ पाट हटाय।
सत्तपुर सुनूँ बीन धुन जाय।।१६।।
चरन में राधास्वामी के धाऊँ।
प्रेम सँग वहाँ आरत गाऊँ॥१७॥
दीन दिल पकड़ूँ गुरु चरना।
धार रहूँ हिये में गुरु सरना।।१८।।
दया राधास्वामी पाई सार।
उतर गया जन्म जन्म का भार।।१९।।
भाग बिन नहिं पावे यह धाम।
मेहर बिन नहिं मिलिहै निज नाम॥२०॥
करी मोपै राधास्वामी दया अपार।
दिया मोहि निज चरनन आधार॥२१॥
(प्रेमबानी-1-शब्द-81- पृ.सं.379,380,381)*
🙏🏿🙏🏿🙏🏿🙏🏿🙏🏿🙏🏿🙏🏿🙏🏿🙏🏿🙏🏿🙏🏿🙏🏿🙏🏿🙏🏿🙏🏿🙏🏿🙏🏿
No comments:
Post a Comment