अमृत कथा / कृष्ण मेहता
*अब "रहीम" मुश्किल पड़ी, गाढ़े दोऊ काम।*
*सांचे तो जग नहीं, झूठे मिलें न राम।*
*अर्थ:* बड़ी मुश्किल में आ पड़े ये दोनो काम बड़े कठिन है। सच्चाई से दुनियादारी हासिल नहीं होती, लोग रीझते नही है,और झूठ से राम की प्राप्ति नहीं होती है। तो अब किसे छोड़ा जाए, और किससे मिला जाए।
*चीजों का उपयोग करना, लेकिन उनके मोह में न पड़ना, सफलता का यही रहस्य है*
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