*रा धा स्व आ मी*
*रोजाना वाकिआत-परम गुरु हुज़ूर साहबजी महाराज!*
*25-03-23- आज शाम सतसंग में पढ़ा गया बचन-कल से आगे:-*
*(14.6.31-आदित्य)*
*मेल रात के बारह बजे आगरा छावनी स्टेशन पहुंच गई। दयालबाग जाकर राय बहादुर रविनन्दन प्रसाद के लिये मोटर पर स्ट्रेचर भिजवाया लेकिन दूसरी गाड़ी आने पर एक बजे मालूम हुआ कि आपको मथुरा स्टेशन पर उतार लिया गया है। फ़ौरन(तुरन्त) एक लारी मथुरा भिजवाई गई और अलस्सुबह(तड़के) राय बहादुर साहब की लाश दयालबाग पहुँच गई। मेरे आने पर लोग हमेशा खुशी मनाते हैं बैण्ड बजता है और नारे लगाये जाते हैं। लेकिन इस मौके पर यह सब बातें मौक़ूफ़(स्थगित) की गई। 9 बजे के क़रीब दाह कर्म किया गया। सैकड़ों सतसंगी शमशान भूमि में जमा थे। अन्त में इससे ज्यादा एक इन्सान दूसरे के लिये और क्या कर सकता है। राय बहादुर साहब के रिश्तेदारान(सम्बन्धियों) के नाम जरूरी तारे खबरी(सन्देश का तार) भेजी गई।*
*🙏🏻रा धा स्व आ मी🙏🏻*
No comments:
Post a Comment