Thursday, March 2, 2023

"भगवद्भक्त कूबा जी"*? / कृष्ण मेहता

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राज पूताना के किसी गांव में कुम्हार जाति के एक कूबा जी नाम के भगवद्भक्त रहते थे ! ये अपनी पत्नी पुरी के साथ महीने भर में मिट्टी के तीस बर्तन बना लेते और उन्हीं को बेचकर पति पत्नी जीवन निर्वाह करते थे ! धन का लोभ था नही भगवान् के भजन में अधिक से अधिक समय लगना चाहिये इस विचार से कूबा जी अधिक बर्तन नही बनाते थे ! घर पर आये हुए अतिथियों की सेवा और भगवान् का भजन बस इन्ही दो कामों में उनकी रुचि थी उनका सुन्दर नाम केवल राम था !

आपने अपनी भक्ति के प्रभाव से अपने कुल का ही नही संसार का भी उद्धार किया आप साधू संतो की बडी अच्छी सेवा करते थे !

एक बार कूबा जी के गांव में दो सौ साधू पधारे ! किसी ने साधुओं का सत्कार नही किया सबने कूबा जी का नाम बताया ! आपके घर मे सब संत पधारे उनका सप्रेम स्वागत-सत्कार किया परंतु उस दिन घर मे अन्न धन कुछ भी न था ! बड़ी भारी आवश्यकता थी अत: आप कर्ज लेने के लिये चले परंतु किसी महाज़न ने कर्ज नही दिया !

एक महाजन ने कहा यदि मेरा कुआँ खोदने का काम कर दो तो मैं तुम्हारे लिये आवश्यक सारा सामान उधार दे सकता हूँ ! इस बात को स्वीकार कर आपने प्रतिज्ञा की और आवश्यक अन्न-धन लाये !

एकमात्र श्याम सुंदर जिन्हें प्रिय है ऐसे संतों को आपने बड़े प्रेम से भोजन कराया ! संतो की सेवा के लिए कुंआ खोदने का कार्य भी प्रसन्नता से मान्य कर लिया !

अब साधु संतों की सेवा से अवकाश पाकर श्री केवल राम जी महाज़न का कुंआ खोदने लगे ! खोदते समय आप तोते की तरह भगवान् के नामों का उच्चारण कर रहे थे ! कुंआ खुद गया यह जान कर महाजन को और कूबा जी को बडी प्रसन्नता हुई !

खोदते-खोदते रेतीली जमीन आ गयी और चारों ओर से कईं हजार मन मिट्टी खिसक कर गिर पड़ी ! उसमें श्री केवल रामजी दब गये !

लोगों ने सोचा कि अब इतनी मिट्टी को कैसे हटाया जाय ! केवल रामजी तो मर ही गये होगे अब मिट्टी को हटाने से भी क्या लाभ ! इसप्रकार शोक करतें हुए लोग अपने-अपने घरों को चले गये ! इसके कुछ दिन बाद कुछ यात्री उधर से जा रहे थे ! रात्रि मे उन्होंने उस कुएं वाले स्थान पर ही डेरा डाला ! उन्हें भूमि के भीतर से करताल मृदङ्ग आदि के साथ कीर्तन की ध्वनि सुनायी पडी !

उनको बडा आश्चर्य हुआ ! रात भर वे उस ध्वनि को सुनते रहे ! सवेरा होने पर उन्होंने गांव वालों को रात की घटना बतायी ! अब वहाँ जो जाता जमीन में कान लगाने पर उसी को वह शब्द सुनायी पड़ता ! वहां दूर दूर से लोग आने लगे ! समाचार पाकर स्वयं राजा अपने मंत्रियो के साथ आये !

भजन की ध्वनि सुन कर और गांव वालों से पूरा इतिहास जान कर उन्होंने धीरे धीरे मिट्टी हटवाना प्रारम्भ किया ! बहुत से लोग लग गये कुछ घंटों में कुआं साफ हो गया ! लोगों ने देखा कि नीचे निर्मल जल की धारा बह रही है !

जब लोग आपके पास पहुंचे तो इनको भगवान् का नाम *“हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे”* उच्चारण करते सुना !

एक ओर आसन पर शंख चक्र गदा पद्मधारी भगवान् विराजमान है और उनके सम्मुख हाथ में करताल लिये कूबा जी कीर्तन करते नेत्रों से अश्रुधारा बहाते तन मन की सुधि भूले नाच रहे है !

राजा ने यह दिव्य दृश्य देखकर अपना जीवन कृतार्थ माना ! अचानक वह भगवान् की मूर्ति अदृश्य हो गयी !

राजा ने कूबा जी को कुएं से बाहर निकलवाया ! सबने उन महा भागवत की चरण धूलि मस्तक पर चढायी !

कूबा जी घर आये ! दूर दूर से अब लोग कूबा जी के दर्शन करने और उनके उपदेश से लाभ उठाने आने लगे !

जहां आप बैठा करते थे वहां भगवत्कृपा से एक गोल मिहराब सी जगह बन गयी थी जिसके कारण आप का शरीर सुरक्षित था !

लोगों ने देखा कि अधिक दिनों तक झुक कर बैठे रहने से आपकी पीठ में कूबढ़ निकल आया है !

आपके समीप एक जल से भरा हुआ स्वर्णपात्र रखा था ! उसे देखकर लोगों ने श्री केवल राम जी को भगवान् का महान् कृपापात्र समझा !

आपकी भक्ति और महिमा को जान कर लोगों ने बहुत सी सम्पत्ति आप को भेंट की तथा दीन दुःखीयों को बांट दी !!

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