*15-08-23- आज शाम सतसंग में पढ़ा गया बचन-कल से आगे:-*
*(21-9-31-सोम का शेष भाग)*
*एक मद्रासी भाई ने ख़त लिखा है कि उसकी स्त्री गर्भवती है उसे दूसरा उपदेश बतला दिया जावे। अभ्यास वह बच्चा पैदा होने के बाद करेगी। नीज (और भी) बच्चे का अभी से नाम रख दिया जावे और बतला दिया जावे कि अगर लड़का हो तो क्या नाम रखा जावे और लड़की हो तो किस नाम से पुकारा जाये। बहुत खूब ! लगे हाथ बच्चे की शादी के लिये भी लिख दिया होता तो ज़्यादा अच्छा होता। मद्रास में तो यह आम रवाज है कि गर्भ के बच्चों ही का रिश्ता मंजूर कर लिया जाता है। जवाब भेजा गया है कि उपदेश व नाम के लिये जल्दबाजी न करें। दुनिया के सब काम क़ायदे ही से करने में सुख होता है।*
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