मगध महाजनपद
मगध प्राचीन भारत के 16 महाजनपदों में से एक था। आधुनिक पटना तथा गया जिला इसमें शामिल थे। इसकी राजधानी "गिरिव्रज" (वर्तमान राजगीर) बाद में "पाटलिपुत्र" थी। मगध का सर्वप्रथम उल्लेख अथर्व वेद में मिलता है। अभियान चिन्तामणि के अनुसार मगध को कीकट कहा गया है। गौतम बुद्ध के पूर्व बृहद्रथ वंश के बृहद्रथ तथा जरासंध यहाँ के प्रतिष्ठित राजा थे।[1] अभी मगध नाम से बिहार में एक प्रंमडल है - मगध प्रमंडल है।
भौगोलिक स्थिति और विस्तार
प्राचीन मगध
प्रथम मगध राजवंश
यह मगध का सबसे प्राचीनतम राजवंश था। इसका उल्लेख प्राचीन हिंदू ग्रंथो मैं मिलता है।
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बृहद्रथ राजवंश
यह मगध का एक प्राचीनतम राजवंश था। महाभारत तथा पुराणों के अनुसार जरासंध के पिता तथा चेदिराज महाराजा उपरिचर वसु के पुत्र बृहद्रथ ने बृहद्रथ वंश की स्थापना की। इस वंश में दस राजा हुए जिसमें बृहद्रथ पुत्र जरासंध एवं प्रतापी सम्राट था। जरासंध ने काशी, कौशल, चेदि, मालवा, विदेह, अंग, वंग, कलिंग, कश्मीर और गांधार राजाओं को पराजित किया।
मथुरा शासक कंस ने जरासंध की दो पुत्रियों अस्ति और प्रप्ति से शादी की थी तथा ब्रहद्रथ वंश की राजधानी वशुमति या गिरिव्रज या राजगृह को बनाई। भगवान श्रीकृष्ण की सहायता से पाण्डव पुत्र भीम ने जरासंध को द्वन्द युद्ध में मार दिया। उसके बाद उसके पुत्र सहदेव को शासक बनाया गया। इस वंश का अन्तिम राजा रिपुन्जय था। रिपुन्जय को उसके दरबारी मंत्री 'पुलिक' ने मारकर अपने पुत्र प्रद्योत को राजा बना दिया। ईसा पूर्व 682 में ब्रहद्रथ वंश को समाप्त कर एक नये राजवंश प्रद्योत वंश की स्थापना हुई।
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प्राचीन गणराज्य
प्राचीन बिहार में गंगा घाटी में लगभग 10 गणराज्यों का उदय हुआ। ये गणराज्य हैं-
वैशाली के लिच्छवी
बिहार में स्थित प्राचीन गणराज्यों में बुद्धकालीन समय में सबसे बड़ा तथा शक्तिशाली राज्य था। इस गणराज्य की स्थापना सूर्यवंशीय राजा इक्ष्वाकु के पुत्र विशाल ने की थी, जो कालान्तर में ‘वैशाली’ के नाम से विख्यात हुई।
- महावग्ग जातक के अनुसार लिच्छवि वज्जि का एक धनी समृद्धशाली नगर था। यहाँ अनेक सुन्दर भवन, चैत्य तथा विहार थे।
- लिच्छवियों ने बुद्ध के निर्वाण हेतु महावन में प्रसिद्ध कतागारशाला का निर्माण करवाया था।
- राजा चेतक की पुत्री चेलना का विवाह मगध नरेश बिम्बिसार से हुआ था।
- ईसा पूर्व ७वीं शती में वैशाली के लिच्छवि राजतन्त्र से गणतन्त्र में परिवर्तित हो गया।
- विशाल ने वैशाली शहर की स्थापना की। वैशालिका राजवंश का प्रथम शासक "नमनेदिष्ट" था, जबकि अन्तिम राजा "सुति" या "प्रमाति" था। इस राजवंश में २४ राजा हुए हैं।
अलकप्प के बुलि
यह प्राचीन गणराज्य बिहार के शाहाबाद, आरा और मुजफ्फरपुर जिलों के बीच स्थित था। बुलियों का बैठ द्वीप (बेतिया) के साथ घनिष्ठ सम्बन्ध था। "बेतिया" बुलियों की राजधानी थी। बुलि लोग कालांतर में बौद्ध धर्म के अनुयायी हो गए। बुद्ध की मृत्यु के पश्चात् उनके अवशेष को प्राप्त कर एक स्तूप का निर्माण करवाया था। गुर्जर नरेश चुलिक ने सर्वप्रथम राज किया जो चुलिक वंश से था गुर्जर प्रतिहार वंश एवं चालुक्या गुर्जर,शक गुर्जर,कुषाण गुर्जर,मोरी गुर्जर, चेची गुर्जर,चौहान वंश भी गुर्जर के अधीन है| पृथ्वीराज चौहान गुर्जर सम्राट की उपाधि का त्याग कर दिया उनके पिता सोमेस्वर गुर्जर वंश के अंतिम चौहान गुर्जर वंशी थे | पृथ्वीराज चौहान को राजपूत वंश भी नहीं कह सकते क्योकि पृथ्वीराज चौहान के पिता गुर्जर थे | लेकिन पृथ्वीराज राज ने गुर्जर लगाना उचित नहीं समझा पृथ्वीराज चौहान के बाद उनके वंशज गुर्जर से राजपूत में परिवर्तन हो गए इसका सबसे बड़ा उदाहरण स्वयं पृथ्वीराज चौहान थे | क्योकि उन्होंने गुर्जर सम्राट लिखना बंद कर दिया था | जबकि उनके पिता सोमेश्वर गुर्जर सम्राट शब्द प्रयोग करते थे |पृथ्वीराज चौहान के पिता सोमेश्वर अपने आप को गुर्जर वंशज बता ते थे | जबकि पृथ्वीराज के बाद में चौहान वंश गुर्जर की बजाय राजपूत लगाने लगे |
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