*राधास्वामी!
15-02-2022-आज शाम सतसंग में पढ़ा जाने वाला दूसरा शब्द पाठ:-
जगत सँग मनुआँ रहत उदास ।
चहत गुरु चरनन नित्त बिलास ॥ १ ॥
रीति मोहि जग की नहिं भावे ।
साध सँग छिन छिन मन धावें ॥ २ ॥
तजत मन अब कृत संसारी ।
भजत गुरु नाम सुरत प्यारी ॥ ३ ॥
काम और क्रोध रहे मुरझाय ।
चरन गुरु आसा मनसा लाय ॥४ ॥
लोभ और मोह गये घर छोड़ ।
नाम में राधास्वामी के चित जोड़ ॥ ५ ॥
अहँगता दीनी सब जारी।
दीनता चरनन में बाढ़ी ॥ ६ ॥
बिरह अनुराग रहे घट छाय।
सुरत मन धुन सँग रहे
लिपटाय ॥ ७ ॥ किया राधास्वामी यह सिंगार ।
गाऊँ कस महिमा उनकी सार ॥ ८ ॥
चरन गुरु लागी बिरह सम्हार ।
रही मैं अचरज रूप निहार ॥ ९ ॥
प्रेम की धारा बढ़ी नियार।
करी राधास्वामी दया अपार ॥१० ॥
गाऊँ नित आरत राधास्वामी साज ।
दिया मोहि राधास्वामी अचरज दाज।। ११।।
गगन में बाजे अनहद तूर ।
लखा घट अंतर अद्भुत नूर ॥१२ ॥
गुरू पद परस गई सुन में ।
रली जाय फिर मुरली धुन में ॥१३ ॥
सुनी धुन बीना सतपुर में ।
अलख लख गई अगमपुर में ॥१४ ॥
परे तिस धाम अनूप दिखाय ।
चरन राधास्वामी परसे जाय ॥१५ ॥
(प्रेमबानी-1-शब्द-42- पृ.सं.309,310)*
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