तैरने वाले पत्थरों से बना रहस्यमयी मंदिर
भारत वर्ष के हिन्दू मंदिर की भव्यता देखो।
मन्दिर का हर एक चित्र ध्यान से देखिए आपको इसकी भव्यता साफ साफ दिखाई देगी।
इस मंदिर की मूर्तियों और छत के अंदर जो पत्थर उपयोग किया गया है वह है बेसाल्ट जो कि पृथ्वी पर सबसे मुश्किल पत्थरों में से एक है इसे आज की आधुनिक Diamond electron machine ही काट सकती है वह भी केवल 1 इंच प्रति घंटे की दर से।
अब आप सोचिये कैसे इन्होंने 900 साल पहले इस पत्थर पर इतनी बारीक कारीगरी की है ।
बहुत सी नृत्यांगनाओं को बहुत बारीकी से तराशा गया है।यहां पर एक नृत्यांगना की मूर्ति भी है जिसने हाई हील पहनी हुई है।
सबसे ज्यादा अगर कुछ आश्चर्यजनक है वह है इस मंदिर की छत यहां पर इतनी बारीक कारीगरी की गई है जिसकी सुंदरता देखते ही बनती है
मंदिर की बाहर की तरफ जो पिलर लगे हुए हैं उन पर कारीगरी देखिए दूसरा उनकी चमक और लेवल में कटाई।
मंदिर के प्रांगण में एक नंदी भी है जो भी इसी पत्थर से बना हुआ है और जिसकी ऊंचाई नौ फीट है,उस पर जो कारीगरी की हुई है वह भी बहुत अद्भुत है।
पुरातात्विक टीम जब यहां पहुंची तो वह इस मंदिर की शिल्प कला और कारीगिरी से बहुत ज्यादा प्रभावित हुई लेकिन वह एक बात समझ नहीं पा रहे थे कि यह पत्थर क्या है और इतने लंबे समय से कैसे टिका हुआ है
पत्थर इतना सख्त होने के बाद भी बहुत ज्यादा हल्का है और वह पानी में तैर सकता है इसी वजह से आज इतने लंबे समय के बाद भी मंदिर को किसी प्रकार की क्षति नहीं पहुंची है
यह सब आज के समय में करना असंभव है इतनी अच्छी टेक्नोलॉजी होने के बाद भी तो इतने साल पहले क्या इनके पास मशीनरी नहीं थी?
उस समय की टेक्नोलॉजी आज से भी ज्यादा आगे थी ।
यह सब इस वजह से संभव था कि उस समय वास्तु शास्त्र और शिल्पशास्त्र से जुड़ी हुई बहुत सी किताबें उपलब्धि थी जिनके माध्यम से ही यह निर्माण संभव हो पाये उस समय के जो इंजीनियर थे उनको इस बारे में लंबा अनुभव था क्योंकि सनातन संस्कृति के अंदर यह सब लंबे समय से किया जा रहा है
मंदिर शिव को समर्पित है
🙏🚩 हर हर महादेव🚩🙏
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