*राधास्वामी!
04-02-2020- आज सुबह सतसंग में पढ़ा जाने वाला दूसरा शब्द पाठ:-
होली खेलन ऋतु आई सखी री।
क्या भूल रही संसारी ॥ १ ॥ काम क्रोध और मोह नशे में l
लोभ मतवारी ॥ २ ॥
नर देही फिर हाथ न आवे ।
धरमराय करे ख्वारी।।३।। याते समझो बूझो अब ही। सरन सतगुरु उबारी ॥ ४ ॥ खोज लगाय पड़ो उन चरनन । प्रीति प्रतीति सम्हारी ॥ ५ ॥ माया की फिर धूल उड़ाओ । देखो घट उजियारी ॥ ६ ॥ सुरत अबीर मलो गुरु चरनन ।
प्रेम का रंग बहा री ॥ ७ ॥ गुनन गुलाल उड़ाय सुनो धुन ।
मिरदूँग बीन बजा री ॥ ८ ॥ जगमग जोत सूर चमका री ।
झलक चंद्र और नूर निहारी ॥ ९॥
गुरु दयाल काटें जम जाला ।
कर दें तुम छुटकारी ॥१० ॥
मगन होय जाओ घर अपने ।
राधास्वामी चरन सिहारी ॥
११॥
(प्रेमबानी-3-शब्द-6- पृ.सं.294,295)*
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